Hathras satsang से लेकर नासिक के कुंभ मेले तक, जानलेवा भगदड़ क्यों रोक नहीं पा रहे हम?
महीने के पहले मंगलवार यानी 2 जुलाई के दिन ये सत्संग शुरू हुआ। बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे पहुंचे। सत्संग देर दोपहर खत्म हुआ और अचानक से वहां पर भगदड़ शुरू हो गई। भगदड़ का कारण अभी तक स्पष्ट नहीं है कि क्या हुआ और कैसे हुआ?
उत्तर प्रदेश के हाथरस से एक खौफनाक खबर सामने आई जहां एक धार्मिक सत्संग में भगदड़ हो गई। भगदड़ में लगभग 121 लोग मारे गए और 28 घायल हो गए। घटनास्थल से आई तस्वीरें और वीडियो भयावह हैं। दरअसल, उत्तर प्रदेश के हाथरस के सिंकदराराव इलाके का गांव फूलरई जो ईंटा जिले से सटी हुई है। यहां मानव मंगल मिलन समागम सदभावना समिति द्ववारा एक सत्संग का आयोजन किया गया था। सत्संग नारायण हरी सरकार का था। जिन्होंने उनके अनुयायी भोले बाबा कहते हैं। महीने के पहले मंगलवार यानी 2 जुलाई के दिन ये सत्संग शुरू हुआ। बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे पहुंचे। सत्संग देर दोपहर खत्म हुआ और अचानक से वहां पर भगदड़ शुरू हो गई। भगदड़ का कारण अभी तक स्पष्ट नहीं है कि क्या हुआ और कैसे हुआ?
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उत्तर प्रदेश प्रांतीय सशस्त्र कांस्टेबुलरी (पीएसी), राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ), और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ) की टीमों के साथ एक फोरेंसिक इकाई, एक डॉग स्क्वाड भगदड़ स्थल पर हैं। राज्य सरकार ने कहा कि कार्यक्रम के आयोजकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जाएगी। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज हाथरस पहुँच कर भगदड़ वाली घटना के स्थल का जायजा लिया और अस्पताल जाकर घायलों से मुलाकात की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भगदड़ की घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया और मृतकों के परिजनों के लिए 2 लाख रुपये और घायलों के लिए 50,000 रुपये की अनुग्रह राशि की घोषणा की।
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सरकार ने अपने परिवार के सदस्यों के बारे में पूछताछ करने वालों के लिए विभिन्न शहरों से हेल्पलाइन नंबर जारी किए:
आगरा जोन नियंत्रण - 7839866849
अलीगढ रेंज कंट्रोल - 7839855724
आगरा रेंज कंट्रोल - 7839855724
हाथरस कंट्रोल - 9454417377
एटा कंट्रोल - 9454417438
अलीगढ कंट्रोल - 7007459568
वैसे पहली बार नहीं है कि इस तरह की आपदा ने कई लोगों की जान ले ली है। भारत में ऐसी ही त्रासदियों के बारे में आपको विस्तार से इस रिपोर्ट के जरिए बताते हैं।
महाराष्ट्र: मुंबई रेलवे स्टेशन
कब: 29 सितंबर 2017
हताहत: 23 से अधिक की मौत, लगभग 39 घायल
बारिश हो रही थी और यात्री पहले से ही भीड़भाड़ वाले एलफिंस्टन रेलवे स्टेशन के फुट ओवरब्रिज पर शरण लेने के लिए रुक गए। रेलगाड़ियाँ आती रहीं और जल्द ही क्रश बनना शुरू हो गया। शॉर्ट-सर्किट के बाद हुई तेज आवाज से अफरा-तफरी मच गई। भीड़ में कुछ लोग फिसल गए तो भगदड़ मच गई।
उत्तर प्रदेश: प्रयाग कुम्भ मेला
कब: 10 फरवरी 2013
हताहत: 40 से अधिक लोग मारे गए, 45 घायल
यह कुंभ मेले का सबसे व्यस्त दिन था। बताया गया कि मुख्य स्नान के दिन लगभग 30 मिलियन लोग प्रयागराज (तब इलाहाबाद) में एकत्र हुए थे। यह भगदड़ रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्मों पर भीड़भाड़ के कारण मची, जहां हजारों यात्री ट्रेन में चढ़ने के लिए एकत्र हुए थे।
केरल: पुल्मेदु
कब: 14 जनवरी, 2011
हताहत: 100 से अधिक लोग मारे गए और 40 से अधिक घायल हुए
सबरीमाला से लौट रहे हजारों तीर्थयात्री पुलमेडु में इंतजार कर रहे थे, तभी एक जीप भीड़ में घुस गई और पलट गई। तीर्थस्थल से लगभग 7 किमी दूर हुई इस दुर्घटना में कुछ लोगों की तुरंत मौत हो गई और भगदड़ मच गई।
राजस्थान: चामुंडा देवी मंदिर
कब: 30 सितंबर 2008
हताहत: 220 से अधिक लोग मारे गये
जोधपुर के प्रसिद्ध मेहरानगढ़ किले के अंदर चामुंडा देवी मंदिर में नवरात्र की पूजा करने के लिए हजारों भक्त एकत्र हुए। रिपोर्टों के मुताबिक, कुछ भक्तों का पैर मंदिर के पास ढलान पर फिसल गया, जिससे अन्य गिर गए। भीड़ मंदिर की ओर बढ़ी तो भगदड़ मच गई।
हिमाचल प्रदेश: नैना देवी मंदिर
कब: 3 अगस्त 2008
हताहत: 140 से अधिक लोग मारे गए और 47 घायल हुए
परिसर के पास एक वर्षा आश्रय ढह गया, जिसे उपासकों ने गलती से भूस्खलन समझ लिया। अफरा-तफरी मच गई क्योंकि एक बड़ी घबराई हुई भीड़ ने भागने की कोशिश की, जिससे भगदड़ शुरू हो गई। समाचार रिपोर्टों के अनुसार, मंदिर में लगभग 3000 भक्त थे।
महाराष्ट्र: मंढेर देवी मंदिर
कब: 25 जनवरी 2005
हताहत: लगभग 340 श्रद्धालु मारे गए, कई घायल हुए
शाकंभरी पूर्णिमा के दिन वार्षिक तीर्थयात्रा करने के लिए लगभग 300,000 लोग मंढेर देवी मंदिर में एकत्र हुए। भीड़ तब शुरू हुई जब कुछ तीर्थयात्री मंदिर की पत्थर की सीढ़ियों पर फिसल गए, जो प्रसाद से गिरे नारियल पानी के कारण फिसलन भरी हो गई थी।
महाराष्ट्र: नासिक कुंभ मेला
कब: 27 अगस्त 2003
हताहत: 39 तीर्थयात्रियों की मौत, 125 से अधिक घायल
महास्नान के लिए भक्त गोदावरी नदी के तट पर एकत्र हुए थे। 30,000 से अधिक तीर्थयात्रियों को बाड़ द्वारा रोका जा रहा था, ताकि साधु पहला औपचारिक स्नान कर सकें। कथित तौर पर, एक साधु ने भीड़ में कुछ चांदी के सिक्के फेंके और उसके बाद हुई हाथापाई से भगदड़ मच गई।
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