Prajatantra: सद्भावना रैली के जरिए Mamata Banerjee ने खेला कौन सा दांव, अब क्या करेगी BJP?
ममता ने हिंदुओं को भी अपने साथ रखने की कोशिश की है। ममता का उद्देश्य यह बताना है कि वह सभी धर्म को एक नजर से देखती हैं और किसी के बीच भेदभाव नहीं करती। लेकिन कहीं ना कहीं ममता की इस रैली को सियासी नफा नुकसान से जोड़कर देखा जा रहा है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने लोकसभा चुनाव से पहले धर्म का राजनीतिकरण करने के प्रयास के लिए भाजपा पर निशाना साधा और भगवान राम के बारे में विमर्श से देवी सीता को हटा देने के लिए उसे ‘‘महिला विरोधी’’ करार दिया। ममता बनर्जी की सद्भावना रैली को लोकसभा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है। एक ओर जहां भाजपा हिंदुत्व की राजनीति पर जोर दे रही है तो वहीं ममता बनर्जी अपनी इस रैली के जरिए पश्चिम बंगाल में एक खास समुदाय के वोट बैंक को साधने की कोशिश की। ममता ने हिंदुओं को भी अपने साथ रखने की कोशिश की है। ममता का उद्देश्य यह बताना है कि वह सभी धर्म को एक नजर से देखती हैं और किसी के बीच भेदभाव नहीं करती। लेकिन कहीं ना कहीं ममता की इस रैली को सियासी नफा नुकसान से जोड़कर देखा जा रहा है।
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ममता ने क्या कहा
अयोध्या में नवनिर्मित राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह के दिन तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) द्वारा आयोजित मार्च का नेतृत्व करते हुए ममता ने देश में धर्मनिरपेक्षता और समावेशिता के सिद्धांतों को संरक्षित करने में बंगाल की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया। अपने संबोधन में उन्होंने कहा, ‘‘मैं चुनाव से पहले धर्म का राजनीतिकरण करने में विश्वास नहीं करती। मैं ऐसी परिपाटी के खिलाफ हूं। मुझे भगवान राम की पूजा करने वालों से कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन लोगों की खान-पान की आदतों में हस्तक्षेप पर आपत्ति है।’’ मुख्यमंत्री ने कहा कि वे (भाजपा) भगवान राम के बारे में बात करते हैं, लेकिन देवी सीता का क्या? वह वनवास के दौरान हमेशा भगवान राम के साथ रहीं। वे उनके बारे में नहीं बोलते क्योंकि वे महिला विरोधी हैं। हम देवी दुर्गा के उपासक हैं, इसलिए हमें धर्म के बारे में उपदेश देने की उन्हें कोशिश नहीं करनी चाहिए।
किसका मिला साथ
टीएमसी प्रमुख ने विभिन्न धर्मों के नेताओं और अपनी पार्टी के नेताओं के साथ कोलकाता के हाजरा मोड़ से यात्रा शुरू की और यह पार्क सर्कस क्रॉसिंग पर समाप्त हुई। यात्रा के दौरान, उन्होंने रास्ते में एक मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा और चर्च का दौरा किया। सीएम के साथ चलने वालों में नाखोदा मस्जिद के इमाम मोहम्मद शफीक कासमी, श्रद्धेय परितोष कैनिंग और बौद्ध धार्मिक नेता अरुणज्योति भिक्खु शामिल थे। सफेद और नीली बॉर्डर वाली सूती साड़ी पहने और गले में शॉल लपेटे बनर्जी को सड़क के दोनों ओर खड़े लोगों का हाथ जोड़करअभिवादन करते देखा गया। अभिषेक बनर्जी ने अपने भाषण में कहा कि कोई कहता है हिंदू खतरे में है. कोई कहता है मुसलमान ख़तरे में है। मैं कहता हूं कि धरम का चश्मा हटा के देखो, पूरा हिंदुस्तान खतरे में है। उनका निशाना सीधे तौर पर भाजपा पर था।
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सद्भावना रैली क्यों जरूरी
भाजपा देश में राष्ट्रवाद और हिंदुत्व को लेकर अपनी राजनीति को उधार देने की कोशिश में लगी हुई है। पश्चिम बंगाल में भी उसने पिछले चुनाव में हिंदुत्व को जबरदस्त तरीके से उठाया है। इस साल होने वाले लोकसभा चुनाव में भाजपा पश्चिम बंगाल में अपने 2019 के प्रदर्शन में और सुधार करने की उम्मीद में है। पश्चिम बंगाल में लोकसभा के 42 सीटें हैं जिसमें से भाजपा ने पिछले चुनाव में 18 पर जीत हासिल की थी। इस बार पार्टी ने राज्य में 35 प्लस जीतने का लक्ष्य रखा है। लेकिन ममता बनर्जी 40 सीटों पर जीत हासिल करने की तैयारी में है। ऐसे में इस चुनाव में भाजपा और ममता के बीच जोरदार टक्कर होने की संभावना है। ममता बनर्जी सद्भावना रैली के जरिए मुस्लिम मतदाताओं को अपने पाले में रखने की तैयारी में है। बंगाल में करीब 30 फ़ीसदी मुस्लिम मतदाता है जो विधानसभा की लगभग 100 सीटों पर निर्णायक भूमिका में है। राज्य में 46 विधानसभा की सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 50% से ज्यादा है ।यही कारण है कि ममता बनर्जी की ओर से राज्य में मुस्लिम मतदाताओं को लगातार साधने की कोशिश की जाती है। वहीं भाजपा ममता पर मुस्लिम तुष्टिकरण का आरोप लगाती रहती हैं।
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