सरकार के साथ किसानों की बातचीत बेनतीजा रही, तीन दिसंबर को फिर होगी बैठक
किसानों ने आशंका व्यक्त की है कि केन्द्र सरकार के कृषि कानूनों की वजह से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) व्यवस्था ध्वस्त हो जायेगी जिससे किसान बड़े निगमित घरानों (कॉरपोरेट्स) की ‘दया’ के मोहताज हो जाएंगे।
नयी दिल्ली। केंद्रीय मंत्रियों और 30 से अधिक किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के बीच सरकार ने मंगलवार को विश्वास जताया कि वह आंदोलनकारी किसानों द्वारा उठाये गये मुद्दों पर विचार-विमर्श करने के बाद किसी समाधान पर पहुंचेगी। हालांकि किसानों के साथ सरकार की बैठक आज बेनतीजा रही। बीकेयू अध्यक्ष जोगिन्द्र सिंह उगराहां ने बताया कि सरकार की प्रदर्शनकारी किसान संगठनों के साथ बातचीत बेनतीजा रही। सरकार ने किसान संगठनों के साथ तीन दिसंबर को एक और बैठक बुलायी है। सरकार ने कहा कि किसानों के साथ बातचीत जारी रहेगी, उनके साथ एक और बैठक तीन दिसंबर को होगी।
यहां विज्ञान भवन में बैठक के लिए केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के साथ रेल तथा वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य राज्यमंत्री सोम प्रकाश, जो पंजाब के एक सांसद भी हैं, भी मौजूद थे। बैठक के लिए पहुंचे तोमर ने पत्रकारों से कहा, ‘‘हम उनके मुद्दों को हल करने के लिए चर्चा के लिए तैयार हैं। देखते हैं क्या निकलता है।’’The meeting was good and we have decided that the talks will be held on 3rd December. We wanted a small group to be constituted but farmers' leaders wanted that the talks should be held with everyone, we do not have problem with it: Union Agriculture Minister Narendra Singh Tomar https://t.co/73zml1sb0r pic.twitter.com/9pm3kMgfLk
— ANI (@ANI) December 1, 2020
Delhi: Union Ministers Narendra Singh Tomar and Piyush Goyal hold meeting with farmers' leaders at Vigyan Bhawan.#FarmLaws pic.twitter.com/zL4PNsQHtZ
— ANI (@ANI) December 1, 2020
सरकार ने किसान संगठनों से तीन नये कृषि कानूनों से संबंधित मसलों को स्पष्ट तौर पर चिन्हित करने और उसके बारे में बताने को कहा है।इन मसलों पर बृहस्पतिवार को होने वाली अगले दौर की बातचीत में विचार किया जाएगा। करीब तीन घंटे चली बैठक के बेनतीजा रहने के बाद मंगलवार को जारी आधिकारिक बयान में यह जानकारी दी गयी। कृषि मंत्री नरेंद्र सिहं तोमर, रेलवे और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल तथा वाणिज्य एवं उद्योग राज्यमंत्री सोमप्रकाश ने मंगलवार को 35 किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की। यहां विज्ञान भवन में हुई बैठक में मंत्रियों ने किसान संगठनों के प्रतिनिधियों को कृषि सुधार कानूनों के लाभ के बारे में जानकारी दी। इन कानूनों से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर सौहार्दपूर्ण माहौल में विस्तार से चर्चा की गयी। तोमर ने इस बात पर जोर दिया कि सरकार किसानों के कल्याण के लिये पूरी तरह से प्रतिबद्ध है और कृषि विकास हमेशा से शीर्ष प्राथमिकता रही है। बयान के अनुसार, ‘‘बातचीत के दौरान केंद्रीय कृषि मंत्री ने किसानों के मुद्दों को सामने रखने और विचार के लिये समिति गठित करने का प्रस्ताव किया ताकि आपसी सहमति से उसका समधान किया जा सके। किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने कहा कि सभी प्रतिनिधि मामले के सौहार्दपूर्ण तरीके से समाधान के लिये सरकार के साथ बातचीत में शामिल होंगे।’’
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सरकार ने मंगलवार को नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों की मांगों पर गौर करने के लिए एक समिति गठित करने की पेशकश की। सरकार के इस प्रस्ताव पर आंदोलनरत 35 किसान संगठनों के प्रतिनिधियों की ओर से ठंडी प्रतिक्रिया मिली। किसान संगठन तीनों नये कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं। तीन केन्द्रीय मंत्रियों और किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के बीच मंगलवार को हुई बैठक में केन्द्र की ओर से यह प्रस्ताव रखा गया। सूत्रों ने कहा कि किसान प्रतिनिधियों के साथ दो घंटे चली बैठक में किसान संगठनों के प्रतिनिधियों की एक राय थी कि तीनों नये कृषि कानूनों को निरस्त किया जाना चाहिये। किसानों के प्रतिनिधियों ने इन कानूनों को कृषक समुदाय के हित के खिलाफ करार दिया।
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