समय से पहले प्रचार रोकने का चुनाव आयोग का फैसला न्यायोचित नहीं
सिंघवी ने बताया कि आयोग के समक्ष मतगणना में ईवीएम के मतों से वीवीपीएटी की पर्चियों के मिलान संबंधी दिशानिर्देशों का मामला भी उठाया गया गया।
नयी दिल्ली। पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनाव के प्रचार की अवधि को कम करने के चुनाव आयोग के फैसले को विपक्षी दलों ने अन्यायपूर्ण बताते हुये आयोग से प्रचार की अवधि में कम से कम आधे दिन की छूट देने की मांग की है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अभिषेक मनु सिंघवी की अगुवाई में अन्य विपक्षी दलों के प्रतिनिधिमंडल ने बृहस्पतिवार को चुनाव आयोग के समक्ष इस मामले में अपना पक्ष रखते हुये कहा कि पश्चिम बंगाल में किसी एक पक्ष की गलती का खामियाजा अन्य सभी पक्षकारों को भुगतना पड़ा है। सिंघवी ने कहा, ‘‘विभिन्न स्रोतों से मिले साक्ष्यों के आधार पर यह स्पष्ट है कि यह हिंसा भाजपा के लोगों ने की है। इसका खामियाजा अन्य गैर राजग दल क्यों उठायें। चुनाव आयोग से हमें इस बात का संतोषजनक जवाब नहीं मिला है इसलिये हमने अदालत जाने सहित अपने अन्य विकल्प खुले रखे हैं।’’ प्रतिनिधिमंडल में सिंघवी के अलावा कांग्रेस नेता अहमद पटेल, तेदेपा के राज्यसभा सदस्य सी आर रमेश और आप के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह भी शामिल थे। सिंघवी ने कहा कि आयोग को 17 मई को कम से कम आधे दिन के प्रचार की अनुमति देना चाहिये।
The EC's decision to call off campaigning in Bengal is against all norms of democratic fair play. I fully support @MamataOfficial ji in her fight to stop the undemocratic march of the two and a half men who have used and abused every institution of our country for their own gain.
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) May 15, 2019
उल्लेखनीय है कि कोलकाता में मंगलवार को भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के रोड शो के दौरान हुयी चुनावी हिंसा के कारण आयोग ने 19 मई को होने वाले मतदान में राज्य की नौ सीटों पर चुनाव प्रचार की अवधि एक दिन कम कर 16 मई को रात दस बजे से प्रचार अभियान बंद करने का फैसला किया है। सिंघवी ने बताया कि आयोग के समक्ष मतगणना में ईवीएम के मतों से वीवीपीएटी की पर्चियों के मिलान संबंधी दिशानिर्देशों का मामला भी उठाया गया गया। इसमें वीवीपीएटी और ईवीएम के परिणाम विरोधाभाषी होने पर वैकल्पिक व्यवस्था का प्रश्न उठाया गया। उन्होंने कहा कि 15 दिन पहले भी आयोग के समक्ष यह मुद्दा उठाते हुये ईवीएम और वीवीपीएटी के परिणाम विरोधाभाषी होने पर संबद्ध सीट पर पुनर्मतदान कराने की मांग की थी, लेकिन इस पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गयी है।
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सिंघवी ने कहा, ‘‘आयोग ने आज की बैठक में हमें इस मुद्दे पर जल्द से जल्द फैसला करने का आश्वासन दिया है।’’ इसके अलावा प्रतिनिधिमंडल ने पश्चिम बंगाल में कुछ मतदान केन्द्रों पर पुनर्मतदान कराने की सिफारिश करने वाले मुख्य सचिव को पद से हटाने का मामला भी उठाया। उन्होंने कहा कि आयोग विभिन्न राज्यों में एक ही तरह के मामलों में अलग अलग रवैया अपना रहा है। सिंघवी ने कहा कि आंध्र प्रदेश में मुख्य सचिव की रिपोर्ट के आधार पर पुनर्मतदान कराने का आयोग ने फैसला किया, जबकि वास्तव में इसकी कोई जरूरत नहीं थी। वहीं, पश्चिम बंगाल में मुख्य सचिव को जायज सिफारिश करने की सजा दे दी गयी। उन्होंने इसे संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन बताते हुये कहा कि एक मुख्य सचिव के गलत सुझाव को आयोग मान लेता है और दूसरे मुख्य सचिव का स्थानांतरण कर दिया जाता है। सिंघवी ने कहा कि प्रतिनिधिमंडल ने आयोग के समक्ष मुंगेर में चार मतदान केन्द्रों पर पुनर्मतदान कराने मांग करने के अलावा रायबरेली में पुलिस अधीक्षक पर भाजपा उम्मीदवार का पक्ष लेने की शिकायत करते हुये उक्त अधिकारी का तत्काल प्रभाव से स्थानांतरण करने की मांग की है।
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