डूसू से आवक्ष प्रतिमाएं स्थापित करने की अनुमति लेने को कहा है: एबीवीपी
पदाधिकारी ने कहा कि एबीवीपी ने छात्र संघ के पदाधिकारियों से स्पष्ट कहा है कि अनुमति मिलने तक प्रतिमाएं डूसू कार्यालय में रखी जाएं। प्रतिमाएं लगाने के कदम की कांग्रेस से संबद्ध एनएसयूआई और वाम समर्थित आइसा ने आलोचना की है। उन्होंने कहा कि सावरकर की प्रतिमा सुभाष चंद्र बोस और भगत सिंह की प्रतिमाओं वाले स्थल पर नहीं रखी जा सकती।
नयी दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबद्ध अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने बुधवार को कहा कि उसने दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) के अपने पदाधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे प्राधिकारियों से अनुमति मिलने तक कला संकाय के बाहर स्थापित सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह और वीर सावरकर की आवक्ष प्रतिमाओं को डूसू कार्यालय में रखें। डूसू ने बिना अनुमति के कला संकाय के बाहर आवक्ष प्रतिमाएं स्थापित की थीं जिसके बाद विवाद खड़ा हो गया था। एबीवीपी के राज्य मीडिया प्रभारी आशुतोष सिंह ने कहा कि आवक्ष प्रतिमाएं डूसू की पहल पर स्थापित की गई थीं। एबीवीपी का मानना है कि ऐसा उचित मंजूरी के साथ किया जाना चाहिए। डूसू अध्यक्ष शक्ति सिंह ने कहा, ‘‘इस मामले को लेकर हमारी विश्वविद्यालय प्रशासन से बातचीत चल रही है।’’
ABVP leader & DUSU president Shakti Singh: There is a cellar on campus where Bhagat Singh was kept during trial. We had demanded that either a statue of Bhagat Singh be erected or the cellar be made public.But DU admn didn't respond to us. So we had no other option but to do this pic.twitter.com/XIQ1bJHBww
— ANI (@ANI) August 21, 2019
विश्वविद्यालय से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है। एबीवीपी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि उनके संगठन का स्पष्ट मानना है कि डीयू प्रशासन और अन्य संबंधित प्राधिकारियों की अनुमति मिलने के बाद ही विश्वविद्यालय परिसर में प्रतिमाएं लगाई जाएं। उन्होंने कहा, ‘‘छात्र संघ प्रशासन से प्रतिमाएं लगाने की मांग लंबे समय से कर रहा था और प्रशासन को उसकी मांग पर विचार करना चाहिए था। इसी कारण छात्र संघ ने विरोध में ऐसा कदम उठाया।’’ पदाधिकारी ने कहा कि एबीवीपी ने छात्र संघ के पदाधिकारियों से स्पष्ट कहा है कि अनुमति मिलने तक प्रतिमाएं डूसू कार्यालय में रखी जाएं। प्रतिमाएं लगाने के कदम की कांग्रेस से संबद्ध एनएसयूआई और वाम समर्थित आइसा ने आलोचना की है। उन्होंने कहा कि सावरकर की प्रतिमा सुभाष चंद्र बोस और भगत सिंह की प्रतिमाओं वाले स्थल पर नहीं रखी जा सकती।
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