पंजाब की पांच ‘संघा बहनों’ के प्रयासों से नवां पिंड सरदारां सर्वश्रेष्ठ पर्यटन गांव से सम्मानित

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गुरमीत ने कहा कि शिल्प उत्पादों के लिए ‘बारी कलेक्टिव’ नामक ब्रांड बनाया गया है। सतवंत कौर ने बताया कि अमेरिका में रहने वाली उनकी बेटी मनप्रीत कौर संघा उनके मकान में होमस्टे की ऑनलाइन बुकिंग का काम संभालती हैं। पांच बहनों में सबसे छोटी नूर संघा पेशे से वकील हैं और मुंबई में रहती हैं। नवां पिंड सरदारां अमृतसर को कांगड़ा में माता वैष्णो देवी मंदिर, धर्मशाला, डलहौजी और अन्य महत्वपूर्ण पर्यटक स्थलों से जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग-54 से पांच किलोमीटर दक्षिण में स्थित है।

अपनी-अपनी पेशेवर जिंदगी में व्यस्त पांच बहनों ने यहां नवां पिंड सरदारां गांव में अपने दो पैतृक आवास के संरक्षण का बीड़ा उठाया और उनकी मेहनत रंग लायी तथा केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय ने उनके गांव को हाल में 2023 के लिए भारत के सर्वश्रेष्ठ पर्यटन गांव के सम्मान से नवाजा। ‘संघा बहनों’ के नाम से मशहूर इन महिलाओं ने अपने दो पैतृक आवास - ‘कोठी’ और ‘पीपल हवेली’ के संरक्षण में जी-जान लगा दी। अधिकारियों ने बताया कि गुरदासपुर में नवां पिंड सरदारां गांव को पंजाब की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और प्रचार तथा पर्यटन के जरिए सतत विकास के लिए इस प्रतिष्ठित पुरस्कार के लिए चुना गया। देश के 31 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश के कुल 750 गांवों ने इस पुरस्कार के लिए आवेदन किया था और इनमें से 35 चयनित गांवों में नवां पिंड सरदारां को भी चुना गया।

अधिकारियों ने बताया कि ‘कोठी’ और ‘पीपल हवेली’ करीब 140 साल पहले निर्मित की गयी और कुछ साल पहले उसकी मरम्मत करायी गयी और उसे ‘होमस्टे’ में तब्दील कर दिया जहां घरेलू और विदेशी पर्यटक आकर ठहरते हैं। इन इमारतों की देखभाल कर रही पांच बहनों के नाम गुरसिमरन कौर संघा, गुरमीत राय संघा, मनप्रीत कौर संघा, गीता संघा और नूर संघा हैं। उनकी मां सतवंत कौर संघा ने कहा, ‘‘हम यह पुरस्कार पाकर बहुत खुश हैं।’’ नवां पिंड सरदारां को 19वीं सदी के अंत में नरैन सिंह ने बसाया था। उन्होंने वहां रहने, कृषि उपज, खेती उपकरणों का भंडार करने तथा खेतों में काम करने वाले कर्मचारियों से बातचीत करने के लिए एक ‘हवेली’ बनवायी। 1886 में उनके बेटे बेअंत सिंह ने एक मकान बनाया जिसे अब ‘कोठी’ कहा जाता है।

गुरसिमरन संघा ने कहा, ‘‘हम अपने गांव से भावनात्मक रूप से जुड़े हुए हैं।’’ उनकी मां सतवंत कौर संघा ने कहा कि वह 1982 में अपने पति कैप्टन गुरप्रीत सिंह संघा के निधन के बाद गुरदासपुर में इस गांव में रहने आ गयी थीं। उन्होंने बताया कि उनकी बेटी गुरमीत राय ने करीब 15 साल पहले इस पैतृक आवास की कायाकल्प का सुझाव दिया और इस तरह यह सफर शुरू हुआ। गुरमीत जानी-मानी संरक्षण वास्तुकार हैं। संघा परिवार गुरदासपुर जिला प्रशासन के सहयोग से न केवल ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा दे रहा है बल्कि उसने स्थानीय समुदाय को भी इसमें शामिल किया है और उन्हें रोजगार के अवसर मुहैया करा रहा है। दिल्ली में रहने वाली गुरसिमरन ने कहा कि वह गांव में बकरी पालन का व्यवसाय करती हैं तथा उन्होंने इसमें स्थानीय युवाओं को भी शामिल किया है।

गीता संघा शिल्प उत्पादों के लिए गांव में महिला स्वयं-सहायता समूहों के साथ काम करती हैं। गुरमीत ने कहा कि शिल्प उत्पादों के लिए ‘बारी कलेक्टिव’ नामक ब्रांड बनाया गया है। सतवंत कौर ने बताया कि अमेरिका में रहने वाली उनकी बेटी मनप्रीत कौर संघा उनके मकान में होमस्टे की ऑनलाइन बुकिंग का काम संभालती हैं। पांच बहनों में सबसे छोटी नूर संघा पेशे से वकील हैं और मुंबई में रहती हैं। नवां पिंड सरदारां अमृतसर को कांगड़ा में माता वैष्णो देवी मंदिर, धर्मशाला, डलहौजी और अन्य महत्वपूर्ण पर्यटक स्थलों से जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग-54 से पांच किलोमीटर दक्षिण में स्थित है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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