डॉ. वीरेंद्र कुमार: कभी सुधारा करते थे साइकिल का पंचर, आज हैं मोदी सरकार में मिनिस्टर
डॉ. वीरेंद्र कुमार सितंबर 2017 में पहली बार केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री बने थे। वह सादगी के लिए जाने जाते हैं और अपनी जड़ों को कभी नहीं भूलते हैं। वीरेंद्र कुमार अपनी ‘‘विनम्र जड़ों’’ को कभी नहीं भूलते हैं और आज भी अपने बजाज सुपर स्कूटर की सवारी करना पसंद करते हैं।
जब-जब संघर्ष कर राजनीति में बड़ा मुकाम हासिल करने वाले नेताओं की बात होगी तो उसमें केंद्रीय मंत्री डॉ वीरेंद्र कुमार का नाम जरूर आएगा। बचपन में पिता के साथ साइकिल का पंचर बनाने का काम करते थे। जब बड़े हुए तो अपना जीवन सामाजिक कार्यों में समर्पित कर दिया। सांसद होने के बावजूद भी खुद को सादगी पूर्वक रखना इनकी पहचान है। वर्तमान में डॉ वीरेंद्र कुमार मोदी सरकार में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री हैं। हालांकि डॉ वीरेंद्र कुमार के संघर्ष की कहानी लाखों लोगों को प्रेरित करने वाली है। राजनीति में आने से पहले हुआ उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में भी कार्य किया है। अर्थशास्त्र में वीरेंद्र कुमार ने मास्टर की डिग्री हासिल की है। अपने बल पर उन्होंने पीएचडी की डिग्री हासिल की। वह बचपन से ही आरएसएस और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े थे।
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बाद में उन्हें सागर जिले का भारतीय जनता युवा मोर्चा का महासचिव बनाया गया और उसके बाद वह राजनीति में सक्रिय हो गए। 1996 में वीरेंद्र कुमार ने पहले एक दफा लोकसभा का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। वीरेंद्र कुमार का जन्म 27 फरवरी 1954 को मध्य प्रदेश के सागर जिले में हुआ था। सागर से ही वह 1998, 1999 और 2004 में भी चुनाव जीते। इसके बाद उन्हें टीकमगढ़ लोकसभा सीट से मैदान में उतारा गया और 2009, 2014 तथा 2019 में उन्हें वहां से जीत मिली। वह सागर लोकसभा सीट से चार बार और टीकमगढ़ लोकसभा सीट से तीन बार जीते हैं। वर्तमान में वह टीकमगढ़ सीट से लोकसभा के सदस्य हैं। सागर और टीकमगढ़ दोनों ही प्रदेश के पिछड़े बुंदेलखंड क्षेत्र में आते हैं।
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डॉ. वीरेंद्र कुमार सितंबर 2017 में पहली बार केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री बने थे। वह सादगी के लिए जाने जाते हैं और अपनी जड़ों को कभी नहीं भूलते हैं। वीरेंद्र कुमार अपनी ‘‘विनम्र जड़ों’’ को कभी नहीं भूलते हैं और आज भी अपने बजाज सुपर स्कूटर की सवारी करना पसंद करते हैं। वह इस क्षेत्र में साइकिल पंक्चर की मरम्मत करने वालों के साथ बैठने में कभी शर्म महसूस नहीं करते और उनकी तथा गरीबों की मदद भी करते हैं। वह आज भी अपने वर्तमान निर्वाचन क्षेत्र में स्कूटर की सवारी करते हैं। ऐसा कर जनता उन्हें अपने जैसा साधारण व्यक्ति समझती है और इसलिए वे खुले दिल से अपनी समस्याएं उन्हें बताते हैं, जिससे उनका निवारण जल्द हो जाता है।
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17 जून 2019 को उन्होंने प्रोटेम स्पीकर (अस्थाई अध्यक्ष) के रूप में भी काम किया। उन्होंने कहा कि मंत्री होने के बावजूद वह प्राय: ऑटोरिक्शा पर रेलवे स्टेशन से अपने घर जाया करते हैं। वह बचपन से ही आरएसएस में स्वयंसेवक के रूप में जुड़े रहे। खटीक ने डॉ हरि सिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर (अब एक केंद्रीय विश्वविद्यालय) से पढ़ाई की है। उन्होंने अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर और बाल श्रम में पीएचडी की है। आपातकाल के दौरान वह 16 महीने जेल में रहे और लोक नायक जयप्रकाश नारायण के संपूर्ण क्रांति आंदोलन में भी हिस्सा लिया।
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