Prajatantra: क्या रेवड़ी कल्चर पर BJP की है दोहरी नीति, संकल्प पत्र में लोकलुभावन वादें क्यों?

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अंकित सिंह । Nov 16 2023 3:50PM

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने आपणो अग्रणी राजस्थान संकल्प पत्र-2023 का विमोचन किया। इस संकल्पपत्र की मुख्य बातों में ‘पीएम किसान सम्मान निधि’ के तहत किसानों के लिए वित्तीय सहायता को बढ़ाकर 12000 रुपए सालाना करना, लाडो प्रोत्साहन योजना के तहत सभी गरीब परिवारों की बालिकाओं के जन्म पर ‘सेविंग बांड’ देना, सभी गरीब परिवारों की महिलाओं को 450 रुपए में एलपीजी सिलेंडर देना शामिल है।

पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में 17 नवंबर को वोट डाले जाएंगे जबकि राजस्थान के लिए 25 नवंबर और तेलंगाना में 30 नवंबर को मतदान होंगे। सभी राजनीतिक दलों की ओर से लोगों को साधने की कोशिश की जा रही है। इसमें राजनीतिक दल अपना पूरा जोर लगा रहे हैं। राजनीतिक दलों की घोषणा पत्रों को देखें तो कहीं ना कहीं उसमें मुफ्त रेवड़ियों की बौछार है। यानी कि इन पांच राज्यों के चुनाव में फ्रीबीज के जरिए राजनीतिक दल सत्ता हासिल करने की कोशिश में है। हालांकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार इस फ्रीबीज को देश के लिए खतरनाक बताया था। लेकिन दिलचस्प बात यह है कि मध्य प्रदेश और राजस्थान में देखें तो भाजपा ने भी अपनी घोषणा पत्र में मुफ्त की चीजों का जबरदस्त तरीके से ऐलान किया है। 

राजस्थान के चुनावी वादे

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने आपणो अग्रणी राजस्थान संकल्प पत्र-2023 का विमोचन किया। इस संकल्पपत्र की मुख्य बातों में ‘पीएम किसान सम्मान निधि’ के तहत किसानों के लिए वित्तीय सहायता को बढ़ाकर 12000 रुपए सालाना करना, लाडो प्रोत्साहन योजना के तहत सभी गरीब परिवारों की बालिकाओं के जन्म पर ‘सेविंग बांड’ देना, सभी गरीब परिवारों की महिलाओं को 450 रुपए में एलपीजी सिलेंडर देना शामिल है। भाजया ने यह भी कहा है कि मुख्यमंत्री फ्री स्कूटी योजना के अंतर्गत 12वीं पास करने वाली मेधावी छात्राओं को स्कूटी देंगे। भाजपा के वादों में गरीब परिवारों को पक्के आवास, आर्थिक सहायता, निःशुल्क शिक्षा और मुफ्त राशन की सुविधा की भी बात कही गई है।

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मध्य प्रदेश के चुनावी वादे

मध्य प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा ने अपने घोषणापत्र में ‘लाडली बहना’ और उज्ज्वला योजनाओं के लाभार्थियों के लिए 450 रुपये में रसोई गैस सिलेंडर और गरीब परिवारों की लड़कियों के लिए स्नातकोत्तर तक मुफ्त शिक्षा सहित कई अन्य वादे किए हैं। इसमें ‘लाडली बहना’ योजना के लाभार्थियों के लिए घर और गरीब छात्रों के लिए 12वीं कक्षा तक मुफ्त शिक्षा प्रमुख वादों में शामिल है। लाडली बहना के तहत भाजपा सरकार हर महीने महिलाओं को आर्थिक सहायता अब भी प्रदान कर रही है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान और मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना जारी रहेंगी, जिसके तहत किसानों को प्रति वर्ष कुल 12,000 रुपये मिलते हैं। 12वीं कक्षा तक मुफ्त शिक्षा के साथ-साथ प्रत्येक छात्र को वर्दी, किताबें और स्कूल बैग के लिए प्रति वर्ष 1,200 रुपये देने का भी वादा किया गया। गरीबों के लिए मुफ्त राशन पांच साल तक जारी रहेगा। 

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मोदी ने क्या कहा था

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार रेवड़ी कल्चर को देश के लिए खतरनाक बताते रहे हैं। वे मानते हैं कि अभी इसे थोड़ा सा सियासी फायदा हो सकता है लेकिन भविष्य में इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी। नरेंद्र मोदी ने पिछले साल अक्टूबर में बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे की उद्घाटन के दौरान इस बात का सबसे पहले जिक्र किया था। मोदी ने राजनीति में ‘‘रेवड़ी संस्कृति’’ की आलोचना करते हुए कहा कि देश में एक बड़ा वर्ग इससे मुक्ति दिलाने के लिए कमर कस रहा है। मोदी ने आगे कहा कि करदाता जब यह देखता है कि उससे वसूले गए रुपयों से मुफ्त की रेवड़ी बांटी जा रही है, तो करदाता सबसे ज्यादा दुखी होता है। उन्होंने कहा कि इसे लेकर अनके करदाता उन्हें खुलकर चिट्ठी लिख रहे हैं। मोदी ने कहा कि उन्हें खुशी है कि देश में एक बड़ा वर्ग रेवड़ी संस्कृति से मुक्ति दिलाने के लिए कमर कस रहा है। वहीं, हाल में भी मोदी ने भारत में कुछ राज्य सरकारों द्वारा दी गई मुफ्त सुविधाओं पर कटाक्ष किया और वित्तीय अनुशासन की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा,‘‘ गैर-जिम्मेदाराना वित्तीय और लोकलुभावन नीतियों के अल्पकालिक राजनीतिक परिणाम मिल सकते हैं, लेकिन लंबी अवधि में इसकी बड़ी सामाजिक और आर्थिक कीमत चुकानी पड़ सकती है। गैर-जिम्मेदाराना वित्तीय नीतियों और लोकलुभावनवाद का सबसे अधिक असर, सबसे गरीब वर्ग पर पड़ता है।’’

हमारे देश में एक पुरानी कहावत है। हाथी का दांत खाने के और दिखाने के कुछ और। यह कहावत फिलहाल भाजपा पर भी चरितार्थ होती दिखाई दे रही है। हां, यह जरूर कहा जा सकता है कि बाकी के राजनीतिक दलों की तुलना में भाजपा ने रेवाड़ी कल्चर को लेकर थोड़ी संयमता जरूर बरती है। लेकिन रेस में वह भी पीछा नहीं रहना चाहती। हालांकि जनता को अपना भविष्य खुद ही तय करना होता है और लोकतंत्र में उन्हें मतदान का बड़ा अधिकार मिला हुआ है। यही तो प्रजातंत्र है।

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