इसरो से 8 साल पहले बनी थी पाक की स्पेस एजेंसी, आज वो कहां और हम कहां !
अंतरिक्ष विज्ञान के मामले में भारत को दक्षिण एशिया में सर्वक्षेष्ठ माना जाता है। यानी की पहले पायदान पर स्थित है।
नई दिल्ली। चंद्रयान-2 शनिवार को चंद्रमा की सतह पर ऐतिहासिक ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करेगा। इसी के साथ भारत दुनिया का पहला देश बन जाएगा जो चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर अपना यान उतारेगा। आपको बता दें कि अंतरिक्ष विज्ञान के मामले में भारत को दक्षिण एशिया में सर्वक्षेष्ठ माना जाता है। यानी की पहले पायदान पर स्थित है।
दक्षिण एशिया में आठ देश हैं। जिनमें पाकिस्तान भी शामिल है। पाकिस्तान की बात की जाए तो भारत से पहले उन्होंने अपनी स्पेस एजेंसी बनाई थी लेकिन उसका नाम शायद ही किसी के जहन में होगा। क्या आप जानते हैं ? तो सुनिए 16 सितंबर 1961 को पाकिस्तान ने स्पेस एंड अपर एटमॉसफेयर रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन बनाया था। जबकि इसरो की स्थापना पाकिस्तान द्वारा अंतरिक्ष के क्षेत्र में प्रयास शुरू किए जाने के आठ साल बाद हुई थी। लेकिन आज इसरो दुनिया का सबसे भरोसेमंद संगठन है और पाकिस्तान की अंतरिक्ष एजेंसी गुमनाम है।
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अंतरिक्ष के क्षेत्र में पड़ोसी देशों की बात की जाए तो भारत के समक्ष पाकिस्तान के खड़े होने की अभी हिम्मत नहीं है जबकि चीन कुछ मामलों में हमसे आगे है। फिर भी चीन के अभियानों ने इसरो की तरह दुनिया को ऐतिहासिक पल से रूबरू नहीं कराया।
पाकिस्तान ने अब तक क्या कुछ किया
1961 में बनी पाकिस्तान की स्पेस एंड अपर एटमॉसफेयर रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन ने अब तक महज 5 उपग्रह ही छोड़े हैं। पहला उपग्रह उन्होंने साल 1990 में छोड़ा था। जिसका नाम बद्र-1 था। यह एक आर्टिफिशियल डिजिटल उपग्रह था जिसने अंतरिक्ष में छह महीने लगा दिए थे काम शुरू करने में...
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पाकिस्तान का दूसरा उपग्रह बद्र-बी था जो साल 2001 में छोड़ा गया था। यह एक तरह का अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट था। दूसरा उपग्रह छोड़े जाने के करीब 10 साल बाद 11 अगस्त 2011 को पाकिस्तान ने तीसरा उपग्रह पाकसाक-1 लॉन्च किया था। इस उपग्रम को बनाने के लिए पाकिस्तान ने चीन से मदद मांगी थी। यह एक तरह का संचार उपग्रह था और उन्हें अभी भी फीड देता है।
पाकिस्तान ने अपना चौथा उपग्रह 21 नवंबर 2013 को लॉन्च किया था जिसका नाम आईक्यूब-1 था। 2013 के बाद 2018 में पाकिस्तान ने अपना पांचवां और आखिरी उपग्रह छोड़ा था। यह एक रिमोट सेंसिंग सैटेलाइट है और चीन ने इसे अपने रॉकेट से अंतरिक्ष में भेजा था।
#ISRO
— ISRO (@isro) September 3, 2019
The second de-orbiting maneuver for #Chandrayaan spacecraft was performed successfully today (September 04, 2019) beginning at 0342 hrs IST.
For details please see https://t.co/GiKDS6CmxE
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