जानें JNU का पूरा घटनाक्रम, लाठीचार्ज में 50 छात्र जख्मी, क्या मामले की होगी पूरी जांच ?
जेएनयू ही सिर्फ एक स्थान नहीं है जहां के छात्र फीस वृद्धि को लेकर अपनी आवाज बुलंद कर रहे हो। जबकि उत्तराखंड के 16 आयुर्वेदिक कालेजों के छात्र भी फीस वृद्धि के खिलाफ करीब 50 दिनों से आंदोलन कर रहे हैं।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के हजारों छात्रों ने छात्रावास शुल्क वृद्धि को पूरी तरह वापस लिए जाने की मांग को लेकर संसद मार्च निकाला। यह मार्च उस समय निकाला गया जब संसद के शीतकालीन सत्र का पहला दिन था। छात्रों का कहना था कि वह अपनी बात सीधे जनता के प्रतिनिधियों के समक्ष रखेंगे।
समाचार एजेंसी पीटीआई की माने तो छात्रों के इस प्रदर्शन को देखते हुए पुलिसबल की 10 कंपनियों को तैनात किया गया। जिसका मतलब है कि 700-800 सुरक्षाकर्मी छात्रों को रोकने के लिए तैनात थे। छात्रों के प्रदर्शन को देखते हुए धारा 144 लागू कर दी गई। इसके बावजूद छात्र अपनी आवाज जनता के प्रतिनिधियों को सुनाने के लिए निकल पड़े। एक के बाद एक तीन बैरिकेट को लांघकर अपनी आवाज को बुलंद कर छात्र आगे बढ़ते चले गए। लेकिन पुलिस ने उन्हें रोक दिया। इसके साथ ही विभिन्न स्थानों पर पुलिस के कथित लाठीचार्ज में कुछ छात्र घायल हो गए और 100 छात्रों को हिरासत में ले लिया गया।
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मिली जानकारी के मुताबिक जेएनयू के करीब 50 छात्र अपना उपचार कराने के लिए एम्स के ट्रामा सेंटर पहुंचे। जहां पर इन छात्रों के साथ एक दिव्यांग छात्र भी था। जो देख नहीं सकता लेकिन अपनी मांगों के साथ सरकार को अपनी आवाज सुनाने निकल पड़ा था।
#WATCH Delhi: Clash between Jawaharlal Nehru University (JNU) students and police, earlier today. Delhi Police PRO has said that they will inquire into lathi charge allegations made by JNU students. pic.twitter.com/5yOhuDBvdi
— ANI (@ANI) November 18, 2019
जेएनयू ही सिर्फ एक स्थान नहीं है जहां के छात्र फीस वृद्धि को लेकर अपनी आवाज बुलंद कर रहे हो। जबकि उत्तराखंड के 16 आयुर्वेदिक कालेजों के छात्र भी फीस वृद्धि के खिलाफ करीब 50 दिनों से आंदोलन कर रहे हैं। छात्रों ने सीधे तौर पर आरोप लगाया कि हाई कोर्ट के आदेश के बावजूद निजी कॉलेज फीस बढ़ोतरी को वापस नहीं ले रहे हैं। छात्रों ने इसके पीछे की वजह भी बताई। उन्होंने सीधे तौर पर कहा कि ये कॉलेज सरकार के मंत्रियों, उनके रिश्तेदारों या फिर दूसरे प्रभावशाली लोगों के हैं, इसलिए ऐसा हो रहा है।
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वहीं, कॉलेज ने अपना पक्ष रखते हुए सरकार पर सारा दोष मढ़ दिया। कॉलेजों ने कहा कि हमने फीस सरकार के कहने के बाद बढ़ाई थी और इसके बावजूद छात्रों पर होने वाला खर्च कहीं ज्यादा है। छात्रों का यह प्रदर्शन देहरादून के परेड ग्राउंड में चल रहा है।
वापस जेएनयू की तरफ चलते हैं। यह थोड़ा चितिंत करने वाला है जब रोजगार के साधन कम हो और फीस बढ़ोत्तरी हो जाए तो उन परिवारों पर इसका कितना असर पड़ेगा जिनका जीवन-यापन देहाड़ी यानी की रोजाना काम के आधार पर मिलने वाले पैसों से होता है। जेएनयू में महज फीस वृद्धि को लेकर ही नहीं बल्कि हॉस्टल मैनुअल, लाइब्रेरी के समय को लेकर भी आंदोलन चल रहा है।
छात्रों और शिक्षकों ने आरोप लगाया कि पुलिस ने उन पर लाठियां चलाईं और यहां से चले जाने के लिये मजबूर किया। वहीं पुलिस अधिकारियों ने कहा कि प्रदर्शनकारी एम्स और सफदरजंग अस्पताल की एंबुलेंस के रास्तों को रोक रहे थे। हालांकि उन्होंने आश्वासन दिया कि "लाठीचार्ज" के सभी आरोपों की जांच की जाएगी।
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क्या है छात्रों की मांग
विरोध प्रदर्शन करते हुए छात्रों ने अपनी मांग दोहराई और कहा कि बढ़ा हुआ छात्रावास शुल्क पूरी तरह वापस लिया जाए और कुलपति इस्तीफा दें।
विरोध की उठती आवाज सुनकर जागा प्रशासन
मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने सोमवार को तीन सदस्यीय एक समिति का गठन किया, जो जेएनयू की सामान्य कार्यप्रणाली बहाल करने के तरीकों पर सुझाव देगी। अधिकारियों ने बताया कि जेएनयू पर एचआरडी मंत्रालय की समिति छात्रों एवं प्रशासन से बातचीत करेगी और सभी समस्याओं के समाधान के लिए सुझाव देगी।
#JNU MHRD appointed a high power committee for discussion with students and administration for peaceful resolution of all issues. pic.twitter.com/E29zLekCkP
— R. Subrahmanyam (@subrahyd) November 18, 2019
लोकसभा में भी गूंजा जेएनयू मुद्दा
एक तरफ छात्र सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे थे और लाठियां खा रहे थे तो दूसरी तरफ सरकार इस प्रदर्शन को शांत करने के लिए प्रभावी कदम उठाए जाने के लिए योजना तैयार कर रही थी। दिल्लीवासी इस प्रदर्शन से नाखुश थे क्योंकि उन्हें ट्रैफिक का सामना करना पड़ रहा था और विपक्षी खेमा खुश नजर आ रहा था क्योंकि उन्हें एक नया मुद्दा मिल गया था छात्रों के नाम पर राजनीति करने का।
शरद यादव तो खुद जेएनयू जाकर इस आंदोलन में शामिल होना चाहते थे लेकिन जेएनयू प्रशासन ने उन्हें अनुमति नहीं दी क्योंकि मामला बिगड़ सकता था। ऐसे में उन्होंने शुल्क वृद्धि को लेकर जेएनयू प्रशासन को ही निशाने पर ले लिया। उन्होंने सीधे तौर पर आरोप लगाया कि जेएनयू प्रशासन केंद्र सरकार के इशारे पर काम कर रहा है।
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नेताओं ने की दिल्ली पुलिस की निंदा
छात्रों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई की निंदा करते हुए शरद यादव ने कहा कि यह ‘पूरी तरह से अन्यायपूर्ण’ है और यह स्थिति को और भड़का सकता है।
माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी ने मामले की निंदा करते हुए कहा कि लोकतांत्रिक तरीके से किये जा रहे आंदोलन से निपटने का यह उपयुक्त तरीका नहीं है।
जब विपक्ष के अन्य दल इस मामले में अपनी आपत्ति दर्ज करा रहा है तो कांग्रेस कैसे चूक सकती है। कांग्रेस ने भी मौके पर एक चौका जड़ दिया और मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि यह सरकार छात्रों एवं नौजवानों से डरी हुई है।
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