देश के सफल संचालन के लिए अनुशासित नागरिक जरूरी : राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद

President Ram Nath Kovind

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शुक्रवार को यहां कहा कि देश के सफलतापूर्वक संचालन के लिए अनुशासित नागरिकों का होना जरूरी है। कोविंद उत्तर प्रदेश के तीन शहरों लखनऊ, गोरखपुर और अयोध्या के चार दिवसीय दौरे पर बृहस्पतिवार को यहां पहुंचे।

लखनऊ। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शुक्रवार को यहां कहा कि देश के सफलतापूर्वक संचालन के लिए अनुशासित नागरिकों का होना जरूरी है। कोविंद उत्तर प्रदेश के तीन शहरों लखनऊ, गोरखपुर और अयोध्या के चार दिवसीय दौरे पर बृहस्पतिवार को यहां पहुंचे। राष्ट्रपति ने यहां कैप्टन मनोज कुमार पांडेय सैनिक स्कूल में उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. सम्पूर्णानंद की प्रतिमा का अनावरण करने के बाद स्कूल के हीरक जयंती वर्ष के समापन समारोह को संबोधित करते हुए कहा, “डॉ. सम्पूर्णानंद इस देश के पहले ऐसे मुख्यमंत्री थे, जिन्होंने सैनिक स्कूल की स्थापना के बारे में सोचा।’’

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उन्होंने यह जरूर अनुभव किया होगा कि देश का सफलतापूर्वक संचालन करने के लिए अनुशासन जरूरी है। उनके मन में यह बात रही होगी कि नागरिक को अनुशासित किए बिना देश को विकास के रास्ते पर नहीं लाया जा सकता।” बारामूला में 26 जुलाई को एक शहीद स्मारक पर अपने एक दौरे को याद करते हुए कोविंद ने वहां लिखे एक उद्धरण मेरा हर काम-देश के नाम का उल्लेख करते हुए कहा कि कभी-कभी मैं सोचता हूं कि यदि ये उद्धरण हम सब भारतीय अपनी नियमित जिंदगी में यदि याद करके रखें कि मेरा हर काम देश के लिए है तो मुझे लगता है कि राष्ट्रभावना की एक अलग सी स्‍फूर्ति दिखेगी और शायद सैनिकों के पास जो प्रेरणा शक्ति होती है वह सभी नागरिकों के पास होगी।’’

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राष्ट्रपति कोविंद और उनकी पत्नी सविता कोविंद के अलावा उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा, माध्यमिक शिक्षा राज्यमंत्री गुलाब देवी और सैनिक स्कूल के पूर्व छात्र लेफ्टिनेंट जनरल राज शुक्ल देश के पहले सैनिक स्कूल कैप्टन मनोज कुमार पाण्डेय सैनिक स्कूल के हीरक जयंती वर्ष के समापन समारोह में शामिल हुए। इस अवसर पर राष्ट्रपति ने डॉ. सम्पूर्णानंद की 20 फुट ऊंची प्रतिमा का अनावरण किया, इसके अलावा इस मौके पर डॉ. सम्पूर्णानंद प्रेक्षागृह का लोकार्पण, कैप्टन मनोज कुमार पाण्डेय उत्तर प्रदेश सैनिक स्कूल, लखनऊ की क्षमता दोगुनी किए जाने की परियोजना, बालिका छात्रावास का शिलान्यास और डाक टिकट का विमोचन किया गया।

उन्होंने शुक्रवार को अपने संबोधन में शिक्षा के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश के आगे बढ़ने में राज्यपाल, मुख्यमंत्री और शिक्षा विभाग के अधिकारियों की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह देश का प्रथम सैनिक स्कूल है जिसने बेटियों के लिए भी सबसे पहले अपने दरवाजे खोले हैं। राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘कैप्टन मनोज पांडेय ने करगिल में शहादत दी और मैं पिछले तीन वर्ष से वहां जाकर शहीदों को श्रद्धा सुमन अर्पित करना चाह रहा हूं। मैं इस वर्ष दशहरे पर करगिल जाकर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करूंगा।’’ उन्होंने कहा कि डॉक्टर संपूर्णानंद और मनोज पांडेय में एक आदर्श समान है और वह राष्ट्र गौरव के लिए सब कुछ समर्पित कर देने की भावना है। सैनिक स्कूल की गौरव गाथा का बखान करते हुए कोविंद ने कहा कि इस स्‍कूल के लिए गौरव की बात है कि यहां के छात्र रहे मनोज पांडेय ने वीरता और बलिदान की गौरव गाथा लिखी और वह सर्वोच्‍च सम्‍मान परमवीर चक्र विजेता हैं। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश का यह सैनिक स्कूल देश में स्थापित प्रथम सैनिक स्कूल है। यहां के अध्यापकों तथा विद्यार्थियों ने श्रेष्ठ प्रदर्शन की परंपरा स्थापित की है तथा अन्य सैनिक स्कूलों के लिए अच्छे प्रतिमान निर्धारित किए है। कोविंद ने कहा कि जब सैनिक की भावना और अनुशासन के साथ खेल के मैदान में हमारे खिलाड़ी उतरते हैं तो हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद, फ्लाइंग सिख मिल्खा सिंह और नीरज चोपड़ा जैसे इतिहास रचने वाले चरित्र सामने आते हैं। उन्होंने कहा कि इस सभागार में उपस्थित अमर शहीद कैप्टन मनोज कुमार पाण्डेय के आदरणीय पिताजी को मैं पूरे देश की ओर से नमन करता हूं और उनके परिवारजनों का अभिवादन करता हूं। राष्ट्र की सीमाओं की रक्षा हेतु उनके बलिदान के लिए सभी देशवासी आपके परिवार के सदैव ऋणी रहेंगे। राष्‍ट्रपति ने डॉक्टर संपूर्णानंद के हवाले से कहा कि जहां ज्ञान होता है वहां शक्ति होती है। विद्यार्थियों के मन में जिज्ञासा होनी चाहिए और हृदय में विनम्रता। उन्होंने कहा, ‘‘मैं इस देश का राष्ट्रपति होने के साथ एक संवेदनशील नागरिक भी हूं। मेरी यात्रा के दौरान कई शहरों में इस प्रकार की जानकारी मिलती है कि यातायात पर नियंत्रण के कारण आम जनता को असुविधा होती है।

उसके विषय में मुझे भी चिंता है। मुझे पीड़ा भी है। लेकिन आज मैं दो तीन सुझाव भी दूंगा। पहला सुझाव यह कि कार्यक्रम के नियत समय से पहले ट्रैफि‍क बहुत पहले नियंत्रित कर दी जाती, मैं उसका विरोध नहीं करता लेकिन सजग होना चाहिए क‍ि ट्रैफिक को नियंत्रित करने में दस से 15 मिनट ही समय दीजिए। बहुत पहले रोक देना अच्छी बात नहीं है। कोविंद ने कहा कि दूसरी बात यह कि आपातकाल के वाहनों जैसे एंबुलेंस आदि के निकालने के लिए कोई समाधान सोचना चाहिए और इस पर कार्य करना चाहिए। यह केवल मेरे बारे में नहीं है। मुख्यमंत्री जी जब यात्रा करते हैं, राज्यपाल महोदया जब यात्रा करती हैं तो इस प्रकार की बातें होती हैं। उन्होंने कहा कि मैं अपनी ओर से कह रहा हूं कि यदि आवश्यकता हो तो हम जैसे लोगों के जो काफिले हैं उनको रोककर एंबुलेंस को निकाल सकते हैं। हालांकि उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि इस जिम्मेदारी को निभाने के लिए केवल प्रशासन और ट्रैफिक पुलिस पर निर्भर नहीं रहना है, इसके लिए सड़क पर जो वाहन चालक और जो नागरिक हैं उनको भी ट्रैफिक नियमों का पालन करते हुए प्रशासन को सहयोग देना होगा।

उल्लेखनीय है कि इसी वर्ष जून के आखिरी हफ्ते में राष्ट्रपति के उत्तर प्रदेश के दौरे में कानपुर में ट्रैफिक रोक दिये जाने के कारण बीमार इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन की अध्यक्ष वंदना मिश्र समय से अस्पताल न पहुंच सकी और उनकी मौत हो गई। इस मामले पर तब राष्‍ट्रपति ने नाराजगी जताई थी। समारोह में राज्यपाल पटेल ने राष्ट्रपति एवं उनकी पत्नी का स्वागत किया और कहा कि डॉ. सम्पूर्णानंद ने प्रथम सैनिक स्कूल की स्थापना कर उत्तर प्रदेश का मान बढ़ाया। उन्होंने कहा कि इस संस्थान में प्रशिक्षित बालिकाएं देश की सुरक्षा में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सकेंगी। इस दौरान मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने कहा कि डॉ. सम्पूर्णानंद ने देश के इस पहले सैनिक स्कूल की स्थापना की और आज देश में सैनिक स्कूलों की लम्बी श्रृंखला है। योगी ने कहा कि वर्ष 2018 में इस सैनिक स्कूल ने बालिकाओं के प्रवेश का फैसला किया और अब देश के सभी सैनिक स्कूलों में बालिकाओं का प्रवेश अनिवार्य कर दिया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं प्रधानमंत्री जी का आभारी हूं कि देश के समस्त सैनिक स्कूलों में बालिकाओं के प्रवेश को अनिवार्य कर दिया औरयह महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक नये युग का सूत्रपात है। योगी ने कहा कि केवल रक्षा सेनाओं के लिए ही नहीं बल्कि हमारी आंतरिक सुरक्षा के लिए भी सैनिक स्‍कूल देश की आवश्यकता हैं।

उन्होंने कहा कि जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में दक्ष और अनुशासित नागरिक हम देश को दे सकें, इस परिकल्पना को डॉक्टर संपूर्णानंद ने वर्ष 1960 में सैनिक स्कूल के माध्यम से साकार किया था। गौरतलब है कि एक जनवरी, 1891 को वाराणसी में जन्मे डा सम्पूर्णानंद 28 दिसंबर, 1954 से छह दिसंबर, 1960 तक दो बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री तथा 1962 से 1967 तक राजस्थान के राज्यपाल रहे। उन्होंने शिक्षा और साहित्य के क्षेत्र में अप्रतिम योगदान दिया। उन्होंने 15 जुलाई, 1960 को लखनऊ में देश के पहले सैनिक स्कूल की स्थापना की थी। बाद में इसका नाम करगिल युद्ध के शहीद और इसी स्कूल के छात्र कैप्टन मनोज कुमार पांडेय के नाम पर रखा गया। कैप्टन पांडेय को सेना के सर्वोच्च वीरता सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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