दिल्ली हिंसा में मरने वालों की संख्या बढ़कर 35 हुई, 200 से ज्यादा लोग जख्मी
दिल्ली में पिछले कुछ दिन से भड़के दंगों में मृतक संख्या 34 पहुंच गयी जहां हिंसा में कमी तो आई है लेकिन यह पूरी तरह थमी नहीं है। हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में लोगों ने तीन दशक से अधिक समय में राजधानी में हुए सबसे भयावह दंगों के बाद अपनी जिंदगी को पटरी पर लाने के प्रयास तेज कर दिये हैं।
नयी दिल्ली। दिल्ली में पिछले कुछ दिन से भड़के दंगों में मृतक संख्या गुरूवार को 35 पहुंच गयी जहां हिंसा में कमी तो आई है लेकिन यह पूरी तरह थमी नहीं है। हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में लोगों ने तीन दशक से अधिक समय में राजधानी में हुए सबसे भयावह दंगों के बाद अपनी जिंदगी को पटरी पर लाने के प्रयास तेज कर दिये हैं। नागरिकता संशोधन कानून को लेकर उत्तर पूर्व दिल्ली में रविवार से भड़के सांप्रदायिक संघर्ष का अंजाम इतना बुरा हुआ कि अब सड़कों पर चारों तरफ ईंट-पत्थर बिखरे हुए हैं, मकान, दुकानें जला दिये गये, लूटपाट की घटनाओं को अंजाम दिया गया। गुरूवार को जोहरी एन्क्लेव के एक नाले में एक व्यक्ति का शव मिला।
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इन मामलों में गिरफ्तार किये गये लोगों की सही-सही संख्या तो पता नहीं चली है लेकिन सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दिल्ली उच्च न्यायालय में कहा कि हिंसा के सिलसिले में 48 प्राथमिकी दर्ज की गयी हैं। दिल्ली पुलिस ने दंगों की जांच अपराध शाखा को हस्तांतरित कर दी है और दो विशेष जांच दल बनाये गये हैं। दिलशाद गार्डन स्थित जीटीबी अस्पताल में 200 से ज्यादा घायलों का इलाज चल रहा है। अस्पताल के मुर्दाघर के बाहर बड़ी संख्या में लोग अपने रिश्तेदारों के शव पाने के लिए खड़े हैं। यहां आज पांच और लोगों की मौत हो गयी।
दिल्ली स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘एलएनजेपी अस्पताल में भी एक और मौत हो गयी वहीं जग प्रवेश चंद्र अस्पताल में भी एक व्यक्ति की मृत्यु की खबर है। इस तरह मृतक संख्या 35 हो गयी है जो बुधवार को 27 थी।’’ विपक्षी कांग्रेस ने इस मुद्दे पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के नेतृत्व में पार्टी के एक शिष्टमंडल ने गृह मंत्री अमित शाह पर कर्तव्य निभाने में लापरवाही बरतने का आरोप लगाते हुए राष्ट्रपति कोविंद से अनुरोध किया कि शाह का इस्तीफा मांगा जाए और केंद्र को ‘राज धर्म’ की याद दिलाई जाए।
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नवनियुक्त विशेष आयुक्त एस एन श्रीवास्तव ने प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया और संवाददाताओं से कहा, ‘‘हालात सामान्य हो रहे हैं। हम यहां लोगों को यह विश्वास दिलाने आये हैं कि हम उनके साथ हैं।’’ दंगा प्रभावित इलाकों में दुकानें, फार्मेसी और अन्य प्रतिष्ठान बंद रहे और लोग घरों में ही रहे। कई परिवारों को तबाही के इस मंजर के बाद अपने घरों को छोड़कर जाते हुए देखा गया। यमुना विहार में गुरूवार तड़के चार बजे तीन से चार दंगाइयों ने वाहनों में आग लगा दी।
एक स्थानीय नागरिक ने कहा, ‘‘उनमें से एक दंगाई के हाथ में बाल्टी थी। उसने तीन गाड़ियों पर कोई तरल पदार्थ फेंकना शुरू कर दिया। एक कार में आग लगा दी गयी। हमने शोर मचाया जिसके बाद वे भाग गये।’’ उन्होंने कहा कि इलाके के लोग रात भर निगरानी रख रहे थे। कुछ किलोमीटर दूर ब्रजपुरी के एक निजी स्कूल के बाहर स्वागत का बोर्ड लगा था लेकिन अंदर स्कूल को पूरी तरह तबाह कर दिया गया था। एक अधिकारी ने कहा कि 52 साल पुराना अरुण मॉडर्न उच्चतर माध्यमिक विद्यालय मरघट जैसा लग रहा है। उन्होंने स्कूल में 70 लाख रुपये से ज्यादा का नुकसान होने का आरोप लगाया।
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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ऐलान किया कि दंगों में जान गंवाने वालों के परिजनों को दिल्ली सरकार 10-10 लाख रुपये का मुआवजा देगी। गंभीर रूप से घायलों को दो-दो लाख रुपये दिये जाएंगे। उन्होंने कहा कि सरकार हिंसा में घायल हुए और निजी अस्पतालों में भर्ती लोगों के इलाज का भी खर्च उठाएगी। आम आदमी पार्टी के पार्षद ताहिर हुसैन पर दंगों में संलिप्त होने के आरोपों के बारे में पूछे जाने पर केजरीवाल ने कहा,‘‘अगर दंगों में शामिल लोग आप से जुड़े पाये जाते हैं तो उन्हें दोगुनी सजा दी जाए।’’
हुसैन ने दंगों में और खासतौर पर आईबी के कर्मी अंकित शर्मा की मौत में किसी तरह की संलिप्तता से इनकार किया है। शर्मा के परिवार ने उनकी हत्या के पीछे हुसैन के शामिल होने का आरोप लगाया है। भारत ने हिंसा पर अमेरिका के यूएस कमीशन ऑन इंटरनेशनल रिलिजियस फ्रीडम (यूएससीआईआरएफ), कुछ लोगों की टिप्पणियों पर एवं इस्लामी सहयोग संगठन (ओआईसी) के बयानों पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।
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विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा, ‘‘हमने यूएससीआईआरएफ मीडिया के कुछ तबकों और कुछ लोगों की दिल्ली में हालिया हिंसा के संबंध में टिप्पणियां देखी हैं। ये तथ्यात्मक रूप से गलत और भ्रामक हैं और मुद्दे का राजनीतिकरण करने के मकसद से की गयी लगती हैं।’’ कुमार ने कहा, ‘‘ओआईसी के बयान तथ्यात्मक रूप से गलत हैं, भ्रामक हैं। जमीन पर हालात सामान्य करने और विश्वास भरने के प्रयास चल रहे हैं।’’ सीबीएसई ने उत्तर पूर्व दिल्ली में हिंसा की वजह से राष्ट्रीय राजधानी के अन्य हिस्सों में परीक्षा में शामिल नहीं हो सके विद्यार्थियों के लिए फिर से परीक्षा आयोजित कराने का फैसला किया है।
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