मेरठ में वन विभाग पर जमीन कब्जा करने का आरोप लगाकर आत्मदाह का प्रयास करने वाले किसान की मौत

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हालांकि, प्रार्थना पत्र घटना के समय तक दिया नहीं गया था। मीणा ने बताया कि असल में यह घटना बृहस्पतिवार की उस घटना के परिप्रेक्ष्य में हुई है, जिसमें वन विभाग की एक जमीन (खसरा संख्या 854) पर जगबीर का कब्जा पाया गया। वन विभाग द्वारा तहसील दिवस पर प्राप्त शिकायतों के क्रम में राजस्व की टीम के साथ मौके पर जाकर कब्जा की गई जमीन को कब्जा मुक्त करा कर जमीन को वन विभाग को दे दिया।

उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में कथित तौर पर एक किसान ने उसकी भूमि को सरकारी बताकर उस पर वन विभाग द्वारा कब्जा करने के विरोध में आत्मदाह का प्रयास किया, जिसकी शनिवार अपराह्न को मौत हो गयी। एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी ने यह जानकारी दी। अधिकारी ने बताया कि किसान की पहचान अलीपुर मोरना निवासी जगबीर (53) के तौर पर की गयी है, जिसने मवाना के उप जिलाधिकारी (एसडीएम) कार्यालय के सामने शुक्रवार को आग लगा कर आत्मदाह करने का प्रयास किया था। उन्होंने बताया कि आग में बुरी तरह झुलसे किसान को पहले सामुदायिक स्‍वास्‍थ्‍य केंद्र में भर्ती कराया गया था और बेहतर उपचार के लिये मेरठ भेजा गया था, जहां उपचार के दौरान आज उसकी मौत हो गयी।

जिलाधिकारी दीपक मीणा ने बताया, ‘‘मृतक किसान के परिजनों को शासन से हर संभव मदद दिलाने के लिए हम बात कर रहे हैं। हम खुद भी मदद कर रहे हैं, क्योंकि जगबीर कृषक था इसलिए दुर्घटना योजना का भी (अनुदान) मिलेगा और उनके परिवार से बात चल रही है। जो भी मदद होगी शासन से वह की जाएगी।’’ उधर, किसान की मौत होने से पहले अलीपुर मोरना गांव में जगबीर का छोटा बेटा आकाश गांव में लगे टावर पर चढ़ गया था। जिलाधिकारी ने बताया कि गांव में प्रशासनिक अधिकारी गांव की पंचायत में ग्रामीणों से बात कर रहे थे तभी किसान का बेटा टावर पर चढ़ गया था। उसको भी समझा-बुझा कर नीचे उतार लिया गया है। जगबीर की मौत की खबर सुनते ही परिजनों में आक्रोश फैल गया।

परिजन मवाना जाकर धरना-प्रदर्शन की जिद पर अड़े हैं, जबकि कुछ ग्रामीण पीड़ित परिवार को समझाने की कोशिश में लगे हैं। प्रशासनिक अधिकारियों ने मृतक जगबीर के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। परिजनों का कहना है कि जब तक दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं होगी तब तक वह उसका अंतिम संस्कार नहीं करेंगे। इससे पहले एसडीएम अखिलेश यादव और थाना प्रभारी विजय बहादुर गांव में पहुंचे थे, जहां उन्होंने ग्रामीणों को समझाने का प्रयास किया था। एसडीएम अखिलेश यादव ने ग्रामीणों को हर संभव मदद का आश्वासन दिया था। साथ ही कहा कि इस मामले में निष्पक्षता से पूरी जांच कराई जाएगी।

इस बीच, राष्ट्रीय लोकदल द्वारा एक प्रतिनिधिमंडल पीड़ित किसान के परिवार से मिलने के लिए मेरठ के अस्‍पताल में पंहुचा था, जिसमें मुख्य रूप से पूर्व मंत्री डॉ. मेराजुद्दीन अहमद, राष्ट्रीय सचिव डॉ. राजकुमार सांगवान समेत कई प्रमुख नेता थे। रालोद नेताओं ने पीड़ित परिवार को हर संभव मदद का भरोसा दिलाया और कहा कि राष्ट्रीय लोकदल आपके साथ है। जिलाधिकारी (डीएम) दीपक मीणा ने घटना के संबंध में शुक्रवार को बताया था कि दोपहर मवाना तहसील में करीब साढ़े बारह बजे जगबीर ने आत्मदाह करने की कोशिश की। उन्होंने बताया कि जगबीर की जेब से जो प्रार्थना पत्र मिला है, उसमें उसका कथन है कि उसकी जमीन वन विभाग ने कब्जा बता कर ले ली है, जिसकी सही तरीके से जांच करायी जाये।

हालांकि, प्रार्थना पत्र घटना के समय तक दिया नहीं गया था। मीणा ने बताया कि असल में यह घटना बृहस्पतिवार की उस घटना के परिप्रेक्ष्य में हुई है, जिसमें वन विभाग की एक जमीन (खसरा संख्या 854) पर जगबीर का कब्जा पाया गया। वन विभाग द्वारा तहसील दिवस पर प्राप्त शिकायतों के क्रम में राजस्व की टीम के साथ मौके पर जाकर कब्जा की गई जमीन को कब्जा मुक्त करा कर जमीन को वन विभाग को दे दिया।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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