सीमापुरी हिंसा मामले में अदालत ने आरोपी की हड्डी संबंधी जांच कराने की दी अनुमति
राष्ट्रीय राजधानी में एक अदालत ने संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ सीमापुरी में हुए हिंसक प्रदर्शन को लेकर गिरफ्तार किए गए और स्वयं के नाबालिग होने का दावा करने वाले आरोपी की आयु का पता लगाने के लिए दिल्ली पुलिस को उसकी हड्डियों संबंधी जांच (बोन ओसिफिकेशन टेस्ट) कराने की शुक्रवार को अनुमति दे दी।
नयी दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी में एक अदालत ने संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ सीमापुरी में हुए हिंसक प्रदर्शन को लेकर गिरफ्तार किए गए और स्वयं के नाबालिग होने का दावा करने वाले आरोपी की आयु का पता लगाने के लिए दिल्ली पुलिस को उसकी हड्डियों संबंधी जांच (बोन ओसिफिकेशन टेस्ट) कराने की शुक्रवार को अनुमति दे दी। पुलिस ने अदालत से कहा कि आरोपी के पास अपनी आयु का कोई वैध प्रमाण नहीं है और उसकी हड्डियों संबंधी जांच कराए जाने की आवश्यकता है जिसके बाद मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट गीता ने पुलिस को इसकी अनुमति दे दी। अदालत ने पुलिस को 30 दिसंबर तक रिपोर्ट जमा कराने का निर्देश दिया। वकील जाकिर रजा और मोनिस रईस ने एक याचिका दायर करके दावा किया था कि आरोपी नाबालिग है।
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याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत ने इस बात पर गौर किया कि आरोपी की आयु साबित करने के लिए वकीलों द्वारा मुहैया कराए गए दस्तावेज वैध नहीं है। वकीलों ने उस मदरसे द्वारा जारी प्रमाण पत्र पेश किए थे जहां आरोपी पढ़ता था। पुलिस ने कहा कि आरोपी के पास कोई पहचान पत्र नहीं है और इसलिए उसकी आयु का पता करने के लिए उसकी हड्डियों संबंधी जांच कराने की आवश्यकता है। इस बीच, मामले में गिरफ्तार 10 अन्य आरोपियों ने अदालत में जमानत याचिकाएं दायर कीं। अदालत ने सीएए और प्रस्तावित राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के खिलाफ सीमापुरी में हुए हिंसक प्रदर्शनों के संबंध में गिरफ्तार 14 लोगों को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजा था।
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