देश के पहले मतदाता शयाम सरण नेगी ने 33 वीं बार मतदान कर इतिहास रचा
शनिवार को हिमाचल प्रदेश में हो रहे उपचुनावों में देश के प्रथम मतदाता 104 वर्षीय श्याम सरन नेगी ने एक बार फिर बिना रुके, बिना थके स्वयं चल पोलिंग बूथ पर पहुंचकर मतदान किया। यह उनका 33 वां मतदान था। उन्होंने मंडी लोकसभा उपचुनाव में के लिये मतदान किया।
कल्पा। देश के पहले मतदाता श्याम सरन नेगी ने एक बार फिर अपने मताधिकार का प्रयोग कर नया इतिहास रचा है। एक ओर आज के दौर में मतदाताओं में मतदान को लेकर कोई खास उत्साह नहीं दिखाई देता है। वहीं नेगी पूरे उत्साह के साथ मतदान कर भारतीय लोकतंत्र की मजबूती के लिये अपना योगदान देते हैं।
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शनिवार को हिमाचल प्रदेश में हो रहे उपचुनावों में देश के प्रथम मतदाता 104 वर्षीय श्याम सरन नेगी ने एक बार फिर बिना रुके, बिना थके स्वयं चल पोलिंग बूथ पर पहुंचकर मतदान किया। यह उनका 33 वां मतदान था। उन्होंने मंडी लोकसभा उपचुनाव में के लिये मतदान किया। जिला प्रशासन किन्नौर ने श्याम सरन नेगी को बूथ नंबर 51 तक लाने की पूरी तैयारी की हुई थी। जिला सहायक निर्वाचन अधिकारी व एसडीएम कल्पा स्वाति डोगरा ने बताया कि श्याम सरन नेगी को उनके घर कल्पा से सरकारी वाहन से सम्मानपूर्वक दोपहर बाद बूथ नंबर 51 के आदर्श मतदान केंद्र दो पर लाए गए। यहां गेट पर गाड़ी से उतरकर वह स्वय बूथ के अंदर पहुंचे व वोट डाला।
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श्याम सरन नेगी ने कहा उन्होंने कोई भी चुनाव नहीं छूटने दिया है व हर चुनाव में मतदान किया है। जिला निर्वाचन अधिकारी व उपायुक्त अपूर्व देवगन सहित प्रशासन एवं स्थानीय लोग रेड कार्पेट बिछाकर, पारंपरिक किन्नौरी वेशभूषा में वाद्ययंत्रों की धुन के बीच किन्नौरी टोपी व मफलर पहनाकर श्याम सरन नेगी का स्वागत किया गया। बूथ पर डाक्टर व वालंटियर भी मौजूद रहे। मतदान के बाद उन्हें वापस घर पहुंचाया गया। श्याम सरन नेगी को अब एक आंख से दिखना और एक कान ने सुनना कम हो गया है। घुटनों के दर्द से भी परेशान हैं, फिर भी मतदान के लिए उनका जोश कम नहीं हुआ है।श्याम सरन नेगी को चुनाव आयोग ने 2014 के आम चुनाव के दौरान ब्रांड एंबेसडर भी बनाया था और 12 जून, 2010 को मुख्य चुनाव आयुक्त ने उन्हें कल्पा आकर पहले मतदाता होने पर बधाई भी दी थी।
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देश में फरवरी 1952 में पहला लोकसभा चुनाव हुआ, लेकिन किन्नौर में भारी हिमपात के कारण पांच माह पहले सितंबर 1951 में ही चुनाव हो गए। चुनाव के समय श्याम सरन नेगी किन्नौर के मूरंग स्कूल में अध्यापक थे और चुनाव में उनकी ड्यूटी लगी थी। उन्हें मतदान का काफी उत्साह था। उनकी ड्यूटी शौंगठोंग से मूरंग तक थी, जबकि उनका वोट कल्पा में था, इसलिए उन्होंने सुबह मतदान कर ड्यूटी पर जाने की इजाजत मांगी। वह सुबह मतदान स्थल पर पहुंच गए, लेकिन छह बजकर 15 मिनट पर मतदान ड्यूटी पार्टी पहुंची। नेगी ने जल्दी मतदान करवाने का निवेदन किया, पार्टी ने रजिस्टर खोलकर उन्हें पर्ची दी।
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मतदान करते ही इतिहास बन गया और मास्टर श्याम सरन नेगी आजाद भारत के प्रथम मतदाता बन गए। श्याम सरण नेगी का जन्म जुलाई 1917 को किन्नौर के कल्पा में हुआ। 10 साल की उम्र में स्कूल गए नेगी की पांचवीं तक की पढ़ाई कल्पा में हुई। इसके बाद पढ़ाई के लिए रामपुर गए। रामपुर जाने के लिए पैदल तीन दिन लगते थे। नौवीं कक्षा तक की पढ़ाई रामपुर में ही की। उम्र ज्यादा होने से 10वीं कक्षा में प्रवेश नहीं मिला। मास्टर श्याम सरण नेगी ने शुरू में 1940 से 1946 तक वन विभाग में वन गार्ड की नौकरी की। उसके बाद शिक्षा विभाग में चले गए और कल्पा लोअर मिडल स्कूल में अध्यापक बने।
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