संविधान दिवस डा. भीमराव अम्बेडकर के समक्ष सम्मान प्रकट करने का अवसर हैः सुरेश भारद्वाज

Suresh Bhardwaj

उन्होंने डाॅ. भीमराव अम्बेडकर के विचार को साझा किया कि संविधान मात्र वकीलों का एक दस्तावेज नहीं है, यह जीवन का पहिया है और इसकी आत्मा हमेशा से युग की आत्मा हैै। सुरेश भारद्वाज ने कहा कि यह दिन संविधान में निहित अधिकारों और कत्र्तव्यों पर हमारे विश्वास को पुनः पुष्टि करने का दिन है। संविधान के माध्यम से हम ऐसे राष्ट्र का निर्माण कर सकते हैं जिसकी कल्पना हमारे पूर्वजों ने की थी।

 शिमला   शहरी विकास और विधि मंत्री सुरेश भारद्वाज ने आज संविधान दिवस के अवसर पर कहा कि आज का दिन भारतीय संविधान निर्माता भीमराव अम्बेडकर के समक्ष सम्मान प्रकट करने का अवसर है।

उन्होंने डाॅ. भीमराव अम्बेडकर के विचार को साझा किया कि संविधान मात्र वकीलों का एक दस्तावेज नहीं है, यह जीवन का पहिया है और इसकी आत्मा हमेशा से युग की आत्मा हैै। सुरेश भारद्वाज ने कहा कि यह दिन संविधान में निहित अधिकारों और कत्र्तव्यों पर हमारे विश्वास को पुनः पुष्टि करने का दिन है। संविधान के माध्यम से हम ऐसे राष्ट्र का निर्माण कर सकते हैं जिसकी कल्पना हमारे पूर्वजों ने की थी।

 

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उन्होंने लोगों को देश विरोधी ताकतों से सतर्क रहने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली वर्तमान केन्द्र सरकार भारत के संविधान की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने 26 जून, 1975 का उल्लेख करते हुए कहा कि उस समय संविधान के महत्त्व को कम करने के प्रयास के तहत प्रेस को नियंत्रण किया गया था और लोगों के मौलिक अधिकारों को छीन लिया गया था।

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सुरेश भारद्वाज ने कहा कि उन्होंने भी सरकार के अत्याचारों का सामना किया था पर यह संविधान की ताकत ही थी कि देश की जनता ने अंहकारी शासकों को सत्ता से बाहर किया था। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान में निहित मौलिक अधिकार और कत्र्तव्य हमारी भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था के स्तम्भ है जो विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका में संतुलन बनाए रखते हैं।

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