मानव बम बन मोदी को उड़ाने की थी साजिश, उड़ गया था आतंकी का शरीर, दोषियों को कोर्ट से कैसे मिली बड़ी राहत?

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ANI
अभिनय आकाश । Sep 14 2024 3:33PM

2021 में एनआईए की विशेष अदालत ने इस मामले में कुल नौ लोगों को दोषी ठहराया था, जिनमें से चार को मृत्युदंड, दो को आजीवन कारावास और दो को 10 साल की कैद और एक को सात साल की जेल की सजा और एक अन्य को सात साल की जेल की सजा सुनाई थी जबकि एक आरोपी को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया था। इस फैसले के खिलाफ पटना हाई कोर्ट में अपील की गई थी।

पटना गांधी मैदान ब्लास्ट केस में हाई कोर्ट ने निचली अदालत का फैसला बदल दिया है। हाई कोर्ट ने फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया। चार दोषी हैदर अली, मोजिबुल्ला, नुमान और इम्तिहाज की फांसी को 30 साल के कारावास में बदल दिया है। न्यायमूर्ति आशुतोष कुमार और जितेंद्र कुमार की खंडपीठ ने राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) की विशेष अदालत द्वारा दो अन्य दोषियों उमर और फैजुद्दीन को सुनाई गई आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा। आपको बता दें कि अक्टूबर, 2021 में एनआईए की विशेष अदालत ने इस मामले में कुल नौ लोगों को दोषी ठहराया था, जिनमें से चार को मृत्युदंड, दो को आजीवन कारावास और दो को 10 साल की कैद और एक को सात साल की जेल की सजा और एक अन्य को सात साल की जेल की सजा सुनाई थी जबकि एक आरोपी को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया था। इस फैसले के खिलाफ पटना हाई कोर्ट में अपील की गई थी। 

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निचली अदालत ने चार को दी थी फांसी

पटना हाई कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को पलट दिया। जिन चार लोगों को फांसी की सजा दी गई थी, उनकी फांसी की सजा उम्रकैद में बदल दी गई। आशुतोष कुमार और जितेंद्र कुमार की खंडपीठ ने 63 पृष्ठों के अपने आदेश में मृत्युदंड की सजा पाए आरोपियों इम्तियाज आलम, हैदर अली, नुमान अंसारी और मुजीबुल्लाह अंसारी के बारे में कहा कि इनके लिए 30 वर्ष का कारावास पर्याप्त होगा और न्याय के उद्देश्यों को पूरा करेगा। आलम, अली और मुजीबुल्लाह अंसारी जुलाई, 2013 के बोधगया सीरियल बम धमाके मामले में भी आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं। 

हाई कोर्ट ने फैसला पलटते हुए क्या कहा

अदालत ने कहा कि चारों दोषी युवा हैं, जिनका कोई स्थापित सीमा-पार संपर्क नहीं है। ये सभी झारखंड के रांची के रहने वाले हैं। पीठ ने कहा कि अधीनस्थ न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत सामग्री अपर्याप्त थी।  यह निष्कर्ष निकालने के लिए कि वे सुधार से परे थे। जब वे हिरासत में थे, तब ऐसा कुछ भी सामने नहीं आया, जिससे यह संकेत मिले कि उन्होंने जांचकर्ताओं के लिए मुश्किलें पैदा की हों। 

मानव बम बन उड़ाने की थी साजिश

मास्टर माइंड हैदर अली और मुजिबुल्लाह को ब्लास्ट का  मास्टर माइंड बताया जाता है।  पूछताछ के दौरान उसने अपना जुर्म कुबूल कर लिया। उसने पूछताछ में बताया था कि वो अपनी पूरी टीम के साथ गांधी मैदान में हुंकार रैली को दहलाने के लिए पहुंचा था। इन धमाकों में आतंकियों के निशाने पर नरेंद्र मोदी थे और उन्हें मानव बम से उड़ाने की प्लानिंग थी। आतंकियों ने इसकी पूरी तैयारी कर रखी थी। इस प्लानिंग में बम से लैस जैकेट को पहनकर आतंकियों का नरेंद्र मोदी के पास जाना और उन्हें उड़ा देना शामिल था।

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उड़ गया था एक आतंकी का शरीर

27 अक्टूबर 2013 को बिहार की राजधानी पटना में हुए सिलसिलेवार धमाकों में छह लोगों की मौत हुई थी और नब्बे से ज्यादा लोग घायल हुए थे। हालांकि इन धमाकों के बावजूद पटना के गांधी मैदान में रैली हुई और नरेंद्र मोदी ने भाषण भी दिया था। वो बीजेपी की तरफ से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार थे। गांधी मैदान में जिस वक्त यह धमाके हुए, उस दौरान पुलिस ने इसे छोटा विस्फोट बताया था लेकिन सच यह था कि धमाके में एक आतंकी का शरीर ही उड़ गया था। बताया जाता है कि मानव बम का इस्तेमाल पीएम उम्मीदवार रहे वर्तमान पीएम नरेंद्र मोदी के वाहन को उड़ाने के लिए किया गया था। लेकिन गलती से वह पटना जंक्शन के शौचालय में फट गया। इस धमाके में गांधी मैदान व पटना रेल थाने में मामला दर्ज किया गया था। बाद में इस केस को एनआइए को सौंपा गया था। हालांकि किसी आतंकवादी संगठन ने इसकी जिम्मेदारी नहीं ली थी लेकिन जांच एजेंसियों को सिमी और इंडियन मुजाहिदीन के शामिल होने का संदेह जताया गया था। 

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