दिल्ली हिंसा को लेकर मंगलवार को भी संसद में सरकार को घेरेगी कांग्रेस
‘दिल्ली में हिंसा हुई है और बहुत सारे लोगों की मौत हुई है और अभी भी लाशें मिल रही हैं। देश और विदेश में इसकी चर्चा हो रही है। ऐसे में हमने कार्य मंत्रणा समिति (बीएसी) की बैठक में मांग की थी कि सदन में इस मुद्दे को उठाने का मौका मिलना चाहिए।
नयी दिल्ली। दिल्ली हिंसा को लेकर सोमवार को संसद के दोनों सदनों में जोरदार हंगामा करने वाली कांग्रेस ने मंगलवार को भी इस विषय पर सरकार को घेरने की रणनीति बनाई है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि जब तक सरकार इस मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार नहीं होती तब तक वह सदन में इसे उठाती रहेगी। लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने यह भी कहा कि उनकी पार्टी संसद के भीतर और बाहर दिल्ली हिंसा के मुद्दे को जोरशोर से उठाती रहेगी क्योंकि साजिश का पर्दाफाश करना उसका फर्ज है। उन्होंने संसद परिसर में संवाददाताओं से कहा, ‘‘दिल्ली में हिंसा हुई है और बहुत सारे लोगों की मौत हुई है और अभी भी लाशें मिल रही हैं। देश और विदेश में इसकी चर्चा हो रही है। ऐसे में हमने कार्य मंत्रणा समिति (बीएसी) की बैठक में मांग की थी कि सदन में इस मुद्दे को उठाने का मौका मिलना चाहिए।’’
Pained at ruckus in Lok Sabha, maintain dignity of Parliament: Om Birla
— ANI Digital (@ani_digital) March 2, 2020
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चौधरी ने कहा, ‘‘हमारी यह मांग भी थी कि कौन जिम्मेदार है और किसी गलती से यह हुआ है, इस पर सदन में चर्चा होनी चाहिए। इसी वजह से हमने इस मुद्दे को बार-बार उठाने की कोशिश की। लेकिन सत्तापक्ष की तरफ से बहाना बनाकर हमें अपनी बात रखने का मौका नहीं दिया गया है।’’ राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने कहा, ‘‘ दिल्ली में तीन दिनों तक दंगे होते रहे। केंद्र सरकार के किसी मंत्री को न तो बयान देते औेर न ही किसी जगह का दौरा करते देखा गया। इसके कारण पुलिस भी देखती रही। इसकी फुटेज देखने के बाद रोंगटे खड़े हो जाते हैं कि क्या प्रशासन ऐसे भी काम करता है।’ उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘भड़काऊ भाषण भी भाजपा के नेताओं ने खुद दिए। इसका मतलब कि इन दंगों के पीछे केंद्र सरकार खुद थी।’’
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आजाद ने कहा कि हमने नोटिस दिया है और दोनों सदनों में इसकी चर्चा होनी चाहिए। दरअसल, पिछले दिनों दिल्ली में हुई हिंसा के मुद्दे पर सरकार को घेरते हुए कांग्रेस एवं कुछ अन्य विपक्षी दलों ने सोमवार को संसद में भारी हंगामा किया तथा लोकसभा में हंगामे के दौरान एक बार सत्तापक्ष एवं विपक्ष के कुछ सदस्यों के बीच धक्का मुक्की भी हुई। हंगामे के कारण लोकसभा को तीन बार और राज्यसभा को एक बार के स्थगन के बाद पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया गया।
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