सीएए पर ‘सांप्रदायिक राजनीति’ फिर से शुरू हो गई है: मुख्तार अब्बास नकवी
केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने रविवार को कहा कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) पर ‘सांप्रदायिक राजनीति’फिर से शुरू हो गई है, क्योंकि कुछ लोग सीएए को वापस लेने की मांग कर रहे हैं।
नयी दिल्ली। केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने रविवार को कहा कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) पर ‘सांप्रदायिक राजनीति’ फिर से शुरू हो गई है, क्योंकि कुछ लोग सीएए को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सीएए किसी की नागरिकता छीनने के लिए नहीं है, बल्कि यह पाकिस्तान, अफगानिस्तान तथा बांग्लादेश में हिंदुओं, सिखों एवं उत्पीड़न के शिकार अन्य अल्पसंख्यकों को नागरिकता प्रदान करने के लिए है। नकवी ने कहा कि कुछ लोगों ने अनुच्छेद 370 को बहाल करने की भी मांग की है, जबकि इसके समाप्त होने से जम्मू कश्मीर तथा लद्दाख में 370 से ज्यादा समस्याओं का समाधान हुआ है और लोग विकास की मुख्यधारा से जुड़ रहे हैं।
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उत्तर प्रदेश के रामपुर में एक सामूहिक विवाह समारोह में शामिल होने के बाद संवाददाताओं से बातचीत में केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यकाल में ‘‘कट, कमीशन और करप्शन (भ्रष्टाचार)’ की विरासत’’ को समाप्त कर दिया गया है। नकवी ने कहा कि मोदी और योगी की सरकारों ने ‘दंगों और माफिया’ को बढ़ावा देने वाली राजनीति का अंत कर दिया है तथा भ्रष्ट लोगों के मन में डर पैदा किया है। नकवी के कार्यालय से जारी वक्तव्य के अनुसार, मंत्री ने तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को वापस लेने के फैसले के बाद कुछ तबकों में चल रही चर्चाओं के संदर्भ में कहा, ‘‘सीएए और अनुच्छेद 370 पर सांप्रदायिक राजनीति शुरू हो गई है’’।
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उन्होंने कहा, ‘‘कुछ लोग कहते हैं कि सीएए को वापस लेना चाहिए और अनुच्छेद 370 को बहाल करना चाहिए। ये लोग भलीभांति जानते हैं कि सीएए किसी की नागरिकता लेने के लिए नहीं बल्कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान तथा बांग्लादेश में हिंदुओं, सिखों तथा उत्पीड़न के शिकार अन्य अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने के लिए है।’’ कृषि कानूनों को वापस लेने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा के बाद प्रमुख मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने शुक्रवार को सरकार से सीएए को भी वापस लेने की अपील की थी। अमरोहा से बहुजन समाज पार्टी के सांसद दानिश अली ने भी बिना देरी के सीएए को वापस लेने की मांग की थी। सीएए को 12 दिसंबर, 2019 को अधिसूचित किया गया था और यह पिछले साल 10 जनवरी को प्रभाव में आया। संसद द्वारा सीएए को पारित किये जाने के बाद देश के अनेक हिस्सों में व्यापक विरोध प्रदर्शन देखे गये।
नकवी ने अपने बयान में भारत में मुसलमानों को निशाना बनाये जाने संबंधी आरोपों की खबरों पर पाकिस्तान को भी आड़े हाथ लिया। उन्होंने कहा कि कितनी हैरानी की बात है कि पाकिस्तान अल्पसंख्यकों के अधिकारों के लिए भारत को भाषण दे रहा है और विडंबना यह है कि भारत के कुछ राजनीतिक दल देश की समावेशी संस्कृति को बदनाम करने की अपनी साजिश में इसका समर्थन कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में हिंदुओं और सिखों के हजारों धर्मस्थलों को गिरा दिया गया, जबकि भारत में करीब तीन लाख मस्जिद हैं, मंदिर, गिरजाघर और गुरुद्वारे समेत लाखों अन्य उपासना स्थल हैं। नकवी ने कहा कि भारत में देश के विकास में अल्पसंख्यकों की बराबर की भागीदारी है। उन्होंने कहा कि सब जानते हैं कि भारत अल्पसंख्यकों के लिए दुनिया में सर्वश्रेष्ठ और सुरक्षित जगह है। उन्होंने कहा कि ‘हिंदुत्व’ पर सवाल खड़ा करने वाले लोग देश की समावेशी संस्कृति को बदनाम करने की साजिश रच रहे हैं, जबकि ‘हिंदुत्व’ धर्मनिरपेक्षता तथा समावेशीकरण की गारंटी है।
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