सड़क पर नमाज की पाबंदी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जायेगें मेरठ के शहर काजी
मेरठ में नमाज करीब-करीब शांतिपूर्वक ही पढ़ी गई। प्रशासन ने पहले ही प्रशासन ने सड़क पर नमाज न पढ़ने की गाइडलाइन जारी की थी। शहर व आसपास के क्षेत्रों से अधिक भीड़ आने के कारण नमाज पढ़ने वालों की संख्या काफी रहती है। सड़क पर नमाज पढ़ने के बजाय इस बार सकारात्मक पहल हुई।
मेरठ। अयोध्या में प्रभु श्री रामलाल के मंदिर के फैसले को लेकर जब सुप्रीम कोर्ट की चर्चा छिड़ती थी तो बाबरी मस्जिद के पैरोकार और तमाम दलों के नेता एवं मुस्लिम धर्मगुरू दलील दिया करते थे कि कोर्ट संविधान से चलेग, ना की आस्था की बुनियाद पर फैसला ले सकता है, लेकिन जब इनके जज्बातों को ठेस लगी तो इसको आधार बना कर मेरठ के शाही ईदगाह में शहर काजी जैनुस साजिदीन ने ईद की नमाज पढ़ने के बाद खुत्बा पढ़ते हुए कहा, संविधान हर मजहब के लोगों को इबादत करने की आजादी देता है। ईद पर ईदगाह में ही नमाज पढ़ी जाती है। इधर, कुछ सालों से ईदगाह के बाहर नमाज पढ़ने पर पाबंदी लगाई जा रही है। इस बारे में राष्ट्रपति और अल्पसंख्यक आयोग में गुहार लगाई गई है, अगर वहां सुनवाई नहीं हुई तो सुप्रीम कोर्ट में अपील की जाएगी कि क्या हमें 10 मिनट सड़क पर नमाज के लिए सहूलियत नहीं दी जा सकती है।
गौरतलब हो, पुलिस ने जब सड़क पर नमाज नहीं पढ़ने को लेकर कदम उठाया था तो विरोध में नमाज के पहले नारा-ए-तकबीर, अल्लाहु अकबर के नारे लगे। कुछ लोग बांह पर काली पट्टी भी बांधे नजर आए। बड़ी संख्या में लोग फलस्तीन झंडे लगे स्टीकर लगाए थे जिस पर लिखा था- शांति के लिए प्रार्थना फलस्तीन के लिए प्रार्थना करें। कारी शफीकुर्रहमान ने बिना किसी पार्टी का नाम लिए एक जगह एक मुश्त वोट डालने की अपील की। नमाज के पहले तकरीर करते हुए कारी शफीकुर्रहमान ने कहा कि कांवड़ में जिस तरह हिंदुओं को सहूलियत दी जाती है तो क्या हमें 10 मिनट नमाज के लिए सहूलियत नहीं दी जा सकती है। उलमा ने ईदगाह के बाहर नमाज न पढ़ने देने पर भेदभाव का आरोप लगाया। कहा कि हम मुल्क में किराएदार नहीं साझेदार हैं। कहा, चंद साल से कानून को एक तरफ रख देश की हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जज्बातों के आधार पर फैसले किए जा रहे हैं। उलमा ने कहा कि फलस्तीन में मुसलमानों पर जुल्म हो रहे हैं। उन्होंने इजरायल के उत्पादों का बायकाट करने की अपील की।
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वैसे मेरठ में नमाज करीब-करीब शांतिपूर्वक ही पढ़ी गई। प्रशासन ने पहले ही प्रशासन ने सड़क पर नमाज न पढ़ने की गाइडलाइन जारी की थी। शहर व आसपास के क्षेत्रों से अधिक भीड़ आने के कारण नमाज पढ़ने वालों की संख्या काफी रहती है। सड़क पर नमाज पढ़ने के बजाय इस बार सकारात्मक पहल हुई। मस्जिदों में अधिक भीड़ के कारण प्रदेश के कई मस्जिदों में दो बार नमाज पढ़ी गई। इस दौरान देश में अमन-चौन, शांति, तरक्की की दुआ की गई।
उधर, अलीगढ़ में नमाज के बाद कुछ युवक फलस्तीन के समर्थन में पोस्टर लेकर पहुंच गए। पुलिस ने उन्हें जाने के लिए कहा, लेकिन नहीं माने। न मानने पर पुलिस ने कुछ युवकों को जीप में बिठा लिया। इससे नाराज अन्य लोगों ने पुलिस के खिलाफ नारेबाजी कर दी। नोकझोंक भी हुई। हंगामा होने पर पुलिस ने नाम-पते पूछकर पकड़े युवकों को जाने दिया।
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