चीन ने भारतीयों को विशेष विमान में यात्रा करने से रोका, खाली लौटा
इस हरकत के पीछे चीन यह दलील दे दे रहा है कि पिछले 21 जून को शंघाई के स्पेशल फ्लाइट में दो भारतीय कोरोना पॉजिटिव निकल गए थे। इसके बाद उसने सतर्कता बढ़ा दी है और दूसरे देशों से आने वाले नागरिकों को फिलहाल अनुमति नहीं दे रहा है।
भारत के खिलाफ चीन अपनी चालाकी से बाज नहीं आ रहा है। वह बार-बार भारत के खिलाफ नई-नई साजिशें रच रहा है। सीमा पर जारी तनाव के बीच चीन ने कूटनीतिक के परिवारों सहित कई भारतीयों को अपने यहां आने से रोक दिया। यह लोग सोमवार की सुबह नई दिल्ली से ग्वांगझोउ सिटी एयर इंडिया की विशेष उड़ान से जाने वाले थे। इस हरकत के पीछे चीन यह दलील दे दे रहा है कि पिछले 21 जून को शंघाई के स्पेशल फ्लाइट में दो भारतीय कोरोना पॉजिटिव निकल गए थे। इसके बाद उसने सतर्कता बढ़ा दी है और दूसरे देशों से आने वाले नागरिकों को फिलहाल अनुमति नहीं दे रहा है। लेकिन कूटनीतिक अधिकारियों के रोक पर अब नया विवाद शुरू हो गया है। चीन प्रशासन ने भारत से ग्वांगझोउ सिटी के लिए खाली उड़ान की अनुमति दे दी।
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चीन ने इस उड़ान की अनुमति इसलिए दी ताकि वहां से भारतीयों को स्वदेश लाया जा सके। सोमवार को वंदे भारत मिशन के तहत एयर इंडिया के विशेष विमान ग्वांगझोउ सिटी से 86 भारतीयों को लेकर उड़ान भरी थी। 21 जून को शंघाई फ्लाइट के जरिए भी 186 भारतीय वापस लौटे थे। इन सबके बीच भारतीयों के पास विशेष एअरलिफ्ट और डिप्लोमेटिक पासपोर्ट होने के बावजूद भी चीन ने इन्हें अपने देश में आने की अनुमति नहीं दी है। इस बात से साफ संकेत यह जाता है कि फिलहाल दोनों देशों के बीच कमर्शियल उड़ानों के शुरू होने में वक्त लगेगा। हालांकि चीन ने अपनी सफाई में कहा कि हाल में ही उसने कुछ भारतीय राजनयिकों और उनके परिवारों की चीन में वापसी की व्यवस्था की है। चीन ने यह भी कहा है कि दोनों देशों ने कोरोनावायरस मामलों की बढ़ती संख्या को लेकर पहले ही इस बात की सहमति जता दी थी कि 29 जून को ग्वांगझोउ सिटी जाने वाली फ्लाइट्स में कोई यात्री नहीं होंगे।
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इस मसले को लेकर फिलहाल भारत चुप्पी साधे हुए है। भारत में इस बात की आशंका जरूर जताई जा रही है कि चीन यह जानबूझकर कर रहा है। ऐसे समय में राजनयिकों को अपने देश आने से रोक रहा है जब भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को लेकर तनाव जारी है। चीन कहता कुछ और है और करता कुछ और है। यही कारण है कि चीन की इस चाल को भारतीय गहरी साजिश के रूप में देख रहे हैं। हालांकि 21 जून को कुछ अधिकारी चीन जरूर पहुंच गए थे। चीन का यह रवैया इसलिए भी महत्वपूर्ण हो सकता है क्योंकि वह लगातार भारत पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है। भारत में चीन के खिलाफ प्रदर्शन जारी है। उसके सामानों का बहिष्कार किया जा रहा है। ऐसे में चीन रणनीतिक रूप से भारत पर दबाव बनाने की कोशिश करेगा।
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लद्दाख में 14-15 जून को हुई दोनों देशों की सेनाओं के बीच झड़प के बाद भारत चीन के रिश्तों में तनाव देखने को मिल रहा है। तनाव को कम करने के लिए लगातार कोशिशें जारी है। भारत यह कह रहा है कि वह चीन के साथ सैन्य और कूटनीतिक दोनों स्तर पर बातचीत कर रहा है। विवाद सुलझाने के लिए कूटनीतिक रास्ते तलाश रहे है। भारत ने चीन में तैनात राजदूत को चीनी नेतृत्व से संपर्क साधने की जिम्मेदारी दे रखी है। भारत-चीन विवाद को लेकर अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी तरह-तरह की संकाय व्यक्त की जा रही है। उधर अमेरिका दोनों देशों को आपस में बातचीत करने को लेकर लगातार दबाव दे रहा है। देखना है कि चीन की चाल कितनी सफल हो पाती है या फिर भारत अपने रणनीति को आगे बढ़ाने में कामयाब होता है।
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