छावला गैंगरेप मामला: दोषियों को रिहा करने के लिए पुनरीक्षण याचिका पर सुनवाई के लिए नयी पीठ गठित करेगा SC
छावला गैंगरेप मामले में तीन दोषियों को बरी किए जाने के फैसले पर पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट नई पीठ का गठन करेगा। दिल्ली पुलिस की याचिका पर विचार के लिए तीन सदस्यीय पीठ गठित करने पर बुधवार को उच्चतम न्यायालय ने सहमति जताई।
नयी दिल्ली। छावला गैंगरेप मामले में तीन दोषियों को बरी किए जाने के फैसले पर पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट नई पीठ का गठन करेगा। उच्चतम न्यायालय ने 2012 में दिल्ली के छावला इलाके में 19 वर्षीय एक लड़की से सामूहिक बलात्कार एवं उसकी हत्या किए जाने के मामले में दिल्ली पुलिस की याचिका पर विचार के लिए तीन सदस्यीय पीठ गठित करने पर बुधवार को सहमति जताई।
इस मामले पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा एवं न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला की पीठ के समक्ष पुनर्विचार याचिका पेश की है। उन्होंने पीठ से कहा कि इस अदालत द्वारा बरी किए गए एक आरोपी ने हाल में एक व्यक्ति का गला काट दिया। मेहता ने कहा कि मैं यह कह रहा हूं कि बरी किए गए सभी आरोपी खूंखार अपराधी हैं, इसलिए हम पिछले साल के फैसले की समीक्षा का अनुरोध कर रहे हैं। उन्होंने तीनों दोषियों को रिहा करने के विचार का विरोद किया है।
उन्होंने कहा कि तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश की अगुवाई वाली तीन सदस्यीय पीठ ने यह फैसला सुनाया था। इसके बाद प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा कि न्यायालय पुनरीक्षण याचिका पर सुनवाई के लिए एक पीठ का गठन करेगा, जिसके सदस्य वह स्वयं और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी होंगी। इसके बाद मेहता ने न्यायालय से पुनरीक्षण याचिका पर सुनवाई खुली अदालत में करने का अनुरोध किया। इस पर पीठ ने कहा कि इस मामले में फैसला नयी पीठ करेगी। प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि जब नयी पीठ मामले पर सुनवाई करेगी, हम तब इस पर गौर करेंगे। तीनों आरोपियों को पिछले साल सात नवंबर को बरी कर दिया गया था।
सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि जिन लोगों को बरी किया गया है उनमें से एक आरोपी ने किसी व्यक्ति का गला रेत कर हत्या कर दी है। ये सभी बेहद संगीन आरोपी है। इन्हें रिहा करना अच्छा नहीं है।
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