उत्तराखंड में बदलाव से भाजपा में उथल-पुथल, धामी को आगे करना फायदेमंद होगा या नुकसानदेह?
भाजपा त्रिवेंद्र सिंह रावत और तीरथ सिंह रावत के नेतृत्व में आई संकट के बाद पुष्कर सिंह धामी को आगे कर उससे उबरने की कोशिश कर रही है। लेकिन सीनियर नेताओं की नाराजगी उस पर कहीं आने वाले चुनाव में भारी न पड़ जाए।
उत्तराखंड में भाजपा लगातार सियासी संकट का सामना कर रही है। इसी के तहत भाजपा को एक बार फिर से अपना मुख्यमंत्री बदलना पड़ा। भाजपा ने पुष्कर सिंह धामी को राज्य की कमान सौंपी है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल तो यही है कि जो नेता कभी सरकार में मंत्री तक नहीं रहा उसे कमान सौंपकर भाजपा क्या संदेश देना चाहती है। इससे भी बड़ी बात तो यह है कि पुष्कर सिंह धामी को ऐसे समय में राज्य की कमान सौंपी गई है जब चुनाव में महज छह से आठ महीनों का ही वक्त बचा हुआ है। पुष्कर सिंह धामी 2017 में दूसरी बार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं। ऐसे में अगर उन्हें मुख्यमंत्री बनाया गया है तो जाहिर सी बात है कि कई सीनियर नेताओं के मन में नाराजगी तो जरूर हुई होगी। भाजपा त्रिवेंद्र सिंह रावत और तीरथ सिंह रावत के नेतृत्व में आई संकट के बाद पुष्कर सिंह धामी को आगे कर उससे उबरने की कोशिश कर रही है। लेकिन सीनियर नेताओं की नाराजगी उस पर कहीं आने वाले चुनाव में भारी न पड़ जाए।
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पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं और विधायकों की नाराजगी की वजह से कुछ महीने पहले त्रिवेंद्र सिंह रावत को हटाकर तीरथ सिंह रावत को सीएम बनाया गया था। हालांकि, जब तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाया गया तब इस तरह की नाराजगी सीनियर नेताओं में नहीं थी जैसे कि अब देखी जा रही है। हालांकि नाराजगी को पीछे रखकर सोचा जाए तो विश्लेषक भी इसे भाजपा का मास्टर स्ट्रोक बता रहे हैं। विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा अपने खिलाफ बने माहौल को पुष्कर सिंह धामी को आगे करके आने वाले चुनाव में अच्छा कर सकती है। पुष्कर सिंह धामी भाजपा के लिए गेमचेंजर के रूप में आगे आ सकते हैं। सिर्फ दो बार के विधायक को मुख्यमंत्री बनाना ज्यादा नेताओं को पच नहीं रहा है। नाम के ऐलान के बाद से ही बड़े और सीनियर नेताओं को भाजपा में लगातार मनाने की कोशिश करती रही।
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कुछ ऐसे नेता है तो फिलहाल पुष्कर सिंह धामी के मुख्यमंत्री बनाए से नाराज चल रहे हैं। इनमें सतपाल महाराज और धन सिंह रावत का नाम सबसे आगे है। यह वह नेता है जिन्हें लगातार मनाने की कोशिश की जा रही है। हरक सिंह रावत भी बगावत के मूड में है। यह वही नेता हैं जो मुख्यमंत्री पद की रेस में सबसे आगे थे। सतपाल महाराज और हरक सिंह रावत दोनों कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे। भले ही भाजपा अपना युवा मुख्यमंत्री पेश करने में कामयाब रही लेकिन कैबिनेट में ज्यादातर उन नेताओं को शामिल किया गया जो मुख्यमंत्री से उम्र में बड़े तो है ही साथ ही साथ नाराज भी हैं। अब देखना है कि आने वाले दिनों में भाजपा इस नाराजगी कैसे पाट पाती हैं।
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परिस्थितियों को समझते हुए पुष्कर सिंह धामी भी यह लगातार कह रहे हैं कि वह सबसे युवा मुख्यमंत्री हैं। उनके साथ कई सीनियर नेता भी हैं। ऐसे में सभी को वह साथ लेकर चलेंगे। पुष्कर सिंह धामी व्यक्तिगत तौर पर सभी नाराज नेताओं के घर पहुंचे। उनके साथ मदन कौशिक भी रहे। दूसरी ओर माना जा रहा है कि भाजपा के लिए उत्तराखंड में पुष्कर सिंह धामी को आगे करना कई तरह से फायदेमंद साबित हो सकता है। पुष्कर सिंह धामी युवाओं की पसंदीदा नेताओं में से एक है। वह भाजपा युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं। लोगों के लिए जाना पहचाना नाम भी हैं। तीरथ सिंह रावत के फटी हुई जींस वाले बयान पर जो युवा नाराज हुए थे उन्हें साधने में भाजपा को मदद मिलेगी। पुष्कर सिंह धामी लगातार युवाओं के बीच रहते हैं। उनके लिए काम भी करते हैं। पुष्कर सिंह धामी कुमाऊं क्षेत्र से आते हैं। भाजपा की पकड़ यहां थोड़ी कमजोर है। ऐसे में पुष्कर सिंह धामी की बदौलत वह अपना पकड़ यहां बना सकती है।
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