Chandrayaan-3 को लेकर आया बड़ा अपडेट, प्रज्ञान रोवर चांद की सतह पर नहीं छोड़ पाया देश के प्रतीक चिन्ह के निशान
इसमें प्रज्ञान रबर की खासियत थी कि इसके पिछले पहियों पर भारत का राष्ट्रीय चिन्ह यानी अशोक चिन्ह और इसरो का लोगो उकेरा गया था। इसरो नई संभावना जताई थी कि अगर प्रज्ञान रोवर चांद की सतह पर चलेगा तो इसरो का लोगो और अशोक चिन्ह के निशान चांद की सतह पर छप जाएंगे।
इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन यानी इसरो ने अगस्त में चंद्रयान-3 मिशन के जरिए चांद के दक्षिणी ध्रुव की सतह पर सफलतापूर्वक लैंडिंग की थी। चंद्रयान 3 मिशन का विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर चांद की सतह पर उतरा था। इसमें प्रज्ञान रबर की खासियत थी कि इसके पिछले पहियों पर भारत का राष्ट्रीय चिन्ह यानी अशोक चिन्ह और इसरो का लोगो उकेरा गया था।
दरअसल इसरो नई संभावना जताई थी कि अगर प्रज्ञान रोवर चांद की सतह पर चलेगा तो इसरो का लोगो और अशोक चिन्ह के निशान चांद की सतह पर छप जाएंगे हालांकि ऐसा नहीं हो सका है।
इस संबंध में टाइम्स आफ इंडिया में एक हम रिपोर्ट छपी है जिसके मुताबिक प्रज्ञान रोवर ने चांद की सतह पर जब चलना शुरू किया तो प्रज्ञान रोवर के पिछले पहियों पर लगे अशोक चिन्ह और इसरो के लोगो पूरी तरह से चांद की सतह पर अपनी छाप नहीं छोड़ पाए। इस खबर से कई भारतीयों को काफी निराश हो सकती है लेकिन इसके साथ ही एक बेहद अच्छी खबर है।
दरअसल प्रज्ञा रिवर विक्रम लंदन ने जो भी जानकारी इकट्ठा करी है उसे इसरो के वैज्ञानिक यह समझना में सफल हुए हैं कि चांद के दक्षिणी ध्रुव पर जो मिट्टी मिली है उसकी गुणवत्ता काफी अलग है। बता दें कि चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक लैंडिंग करने वाला भारत दुनिया का पहला देश बनकर इतिहास रच चूका है।
दक्षिणी ध्रुव पर मिली मिट्टी के संबंध में जांच करने पर पता चला है कि यहां बसाने और इंसानों की मौजूदगी के लिए काफी अहम चीज हो सकती है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इस इलाके में अपनी उपस्थिति हो सकता है लेकिन इसके निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए कई मिशन किए जाने हैं। बता दे कि चांद पर आशियाना बनाना इंसान की सबसे महत्वाकांक्षी स्पेस मिशन में से एक है। ऐसे में अगर चांद की सतह पर इंसानों की आबादी बसती है तो भविष्य में यह एक बेस के तौर पर भी कम कर सकता है। चांद के जरिए सौरमंडल के अलग-अलग जगह पर भी आवाजाही की जा सकती है।
बता दें कि इसरो चीफ एस सोमनाथ का कहना है कि राष्ट्रीय चिन्ह अशोक चिन्ह और इसरो का लोगो ठीक से नहीं छपने से हमें नहीं जानकारी मिली है। यह पहले से ही ज्ञात था कि चांद की मिट्टी धरती की अपेक्षा कुछ अलग है लेकिन अब यह पता लगाना होगा कि ऐसा होने के पीछे कारण क्या है। उन्होंने कहा कि चांद की मिट्टी धूल भरी नहीं है लेकिन यह थुलथुली है। उन्होंने कहा कि चांद की इस तरह मिट्टी होने का अर्थ है की मिट्टी में कोई चीज है ऐसे में मिट्टी की जांच करने की जरूरत है और इसके बारे में गहन जानकारी हासिल करना अभी बाकी।
विक्रम लैंडर की दूसरी हुई परी को लेकर इसरो चीफ एस सोमनाथ ने कहा कि अब तक रोवर से किसी तरह का सिग्नल नहीं मिल सका है। उन्होंने कहा कि अभी यह कहना जल्दबाजी होगी कि सिग्नल फिर से मिल ही नहीं पाएगा। उन्होंने कहा कि अगले 14 दिनों तक हम इंतजार कर सकते हैं क्योंकि इस दौरान चांद पर पूरे समय रोशनी रहने वाली है। चांद पर रोशनी रहने से यहां का तापमान बढ़ेगा और इससे रोवर से दोबारा कनेक्ट करने की संभावना भी बनी रहेगी।
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