महाराष्ट्र के सियासी खेल के नायक बने ''चाणक्य'' पवार, शाह की रणनीति को भी दी मात
शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस महाराष्ट्र में सरकार बनाने जा रही हैं और भाजपा विरोधी इस गठबंधन को मूर्त देने तथा भाजपा को सत्ता से बेदखल करने में पवार की अहम भूमिका रही।
मुंबई। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) अध्यक्ष शरद पवार ने गत 21 अक्टूबर को हुए विधानसभा चुनाव के लिए महाराष्ट्र के सतारा में बारिश के बीच चुनावी रैली को संबोधित किया था लेकिन तब कुछ ही लोगों को अहसास होगा कि 79 वर्षीय पवार राज्य की नई सरकार के मुख्य कर्ता-धर्ता होंगे।
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शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस महाराष्ट्र में सरकार बनाने जा रही हैं और भाजपा विरोधी इस गठबंधन को मूर्त देने तथा भाजपा को सत्ता से बेदखल करने में पवार की अहम भूमिका रही। विधानसभा चुनाव में अपनी मेहनत के बल पर पवार अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही राकांपा को मजबूत स्थिति में ले आए लेकिन उनकी कोशिशों को उस समय झटका लगा जब भतीजे ने उन्हें स्तब्ध करते हुए भाजपा के साथ मिलकर सरकार बना ली।
भाजपा की यह सरकार अजित पवार के निजी कारणों से उपमुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने और उसके कुछ घंटे बाद ही देवेंद्र फडणवीस के भी मुख्यमंत्री पद छोड़ने के ऐलान करने से पहले महज 80 घंटे ही अस्तित्व में रही और गैर भाजपा गठबंधन की सरकार बनने का रास्ता साफ हो गया। महाराष्ट्र चुनाव से पहले राकांपा को कई झटके लगे थे लेकिन शरद पवार नेचुनाव प्रचार की जिम्मेदारी ली और पूरे राज्य का दौरा किया। उनकी कोशिशें रंग लाईं और पार्टी 288 सदस्यीय सदन में 54 सीटें जीतकर आई, जो 2014 के मुकाबले 13 सीटें अधिक है।
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निर्भीक शरद पवार राज्य में सरकार बनाने और भाजपा को सत्ता से दूर रखने में सभी को जोड़ने वाली ताकत के रूप में उभरे। उनका 52 साल का राजनीतिक करियर है जिसमें वह रक्षा मंत्री, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और तीन बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। शरद पवार सात-सात बार महाराष्ट्र विधानसभा और लोकसभा के लिए निर्वाचित हो चुके हैं। वह 27 साल की उम्र में पहली बार विधायक बने और 38 साल की उम्र में कांग्रेस की सरकार गिरा दी।
राकांपा अध्यक्ष को 1978 में उस समय ख्याति मिली जब उन्होंने वंसंतदादा पाटिल की सरकार गिराकर जनता पार्टी के साथ सरकार बना ली। उस समय उनकी उम्र मात्र 38 साल थी और वह महाराष्ट्र के सबसे युवा मुख्यमंत्री थे। शरद पवार जून 1988 से जून 1991 और मार्च 1993 से मार्च 1995 तक मुख्यमंत्री रहे। उन्होंने जून 1991 और मार्च 1993 तक देश के रक्षामंत्री की जिम्मेदारी निभाई।
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वर्ष 1999 में पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के विदेशी मूल का मुद्दा उठाते हुए उन्होंने अपने रास्ते अलग किए और राकांपा की स्थापना की। 1999 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस और राकांपा राज्य सरकार बनाने के लिए साथ आए। शरद पवार मनमोहन सिंह की सरकार में देश के कृषि मंत्री बने और लगातार दस साल तक इस पद पर रहे। वह उन चुनिंदा नेताओं में है जिन्हें विचारधारा से इतर सभी पार्टियों में सम्मान मिलता है।
राकांपा अध्यक्ष पर अकसर विरोधी परिवारवाद बढ़ाने का आरोप लगते हैं। उनकी बेटी सुप्रिया सुले तीन बार से बारामती से सांसद हैं। उनके पोते रोहित पवार करजत जामखेड सीट से विधायक चुने गए हैं। राजनीति के अलावा शरद पवार अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद सहित क्रिकेट निकायों से भी जुड़े रहे हैं।
महाराष्ट्राचं नेतृत्व योग्य व्यक्तीच्या हाती जावं यासाठी आम्ही सर्व पक्षांनी मिळून निष्कर्ष काढला आणि ही जबाबदारी शिवसेनेचे पक्षप्रमुख @OfficeofUT यांच्यावर सोपवली. त्यांनी ही जबाबदारी स्वीकारली आहे.#MaharashtraVikasAghadi pic.twitter.com/5qmGHBv2WQ
— Sharad Pawar (@PawarSpeaks) November 26, 2019
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