JMM के बाद BJP में गए चंपई सोरेन, अब ऐसे होगा पार्टी को फायदा...Hemant Soren को ऐसे हो सकता है नुकसान

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रितिका कमठान । Sep 13 2024 10:19AM

चंपई सोरेन आदिवासी अधिकारों को लेकर समर्पण और राज्य में अपने आंदोलन को लेकर जाने जाते है। साल के अंत में होने वाली चुनावों से पहले बीजेपी का साथ देने वाले चंपई का ये कदम झारखंड की राजनीति में अहम मोड़ लेकर आ गया है। चंपई के जाने से जेएमएम को तगड़ा झटका लगा है।

झारखंड में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं। इन चुनावों से पहले झारखंड मुक्ति मोर्चा छोड़कर बीजेपी का दामन थामने वाले चंपई सोरेन चर्चा का विषय हैं। चंपई सोरेन "कोल्हान टाइगर" के नाम से मशहूर है। झारखंड राजनीति में वो एक प्रमुख चेहरा और नाम है।

चंपई सोरेन आदिवासी अधिकारों को लेकर समर्पण और राज्य में अपने आंदोलन को लेकर जाने जाते है। साल के अंत में होने वाली चुनावों से पहले बीजेपी का साथ देने वाले चंपई का ये कदम झारखंड की राजनीति में अहम मोड़ लेकर आ गया है। चंपई के जाने से जेएमएम को तगड़ा झटका लगा है। बीजेपी भी सोरेन के साथ का भरपूर लाभ उठाने के लिए तैयार है।

 

जेएमएम में विश्वसनीयता पर सवाल

जानकारी के अनुसार 28 अगस्त को सरायकेला निर्वाचन क्षेत्र से सात बार विधायक रहने वाले चंपई सोरेन ने हेमंत सोरेन के प्रति अपनी निराशा को व्यक्त किया। उन्होंने असंतोष जाहिर करते हुए जेएमएम से इस्तीफा दिया। ये इस्तीफा कई महीनों से चल रही पार्टी में कलह का नतीजा था। इस इस्तीफे से ये भी साफ हुआ कि पार्टी में विश्वसनीयता की कमी है। गौरतलब है की चंपई सोरेन ने इस्तीफा तब दिया जब हेमंत सोरेन गिरफ्तार किए गए और उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटना पड़ा। 

चंपई सोरेन के इस कदम के लिए कहा जा रहा है कि उन्हें कई बार नजरंदाज किया गया है। इसकी वजह पार्टी की अंदरूनी लोकतंत्र कारण रहा। इससे जेएमएम के आदिवासी नेतृत्व के प्रति उसकी प्रतिबद्धता पर गंभीर सवाल भी उठे है।

पार्टी में जो आंतरिक रूप से कुप्रबंधन हुआ, उसकी आलोचना काफी हुई। पार्टी में भाई भतीजावाद को बढ़ावा देने के आरोप भी लगे। उन नेताओं की अनदेखी की गई जिनका आदिवासी समुदायों में अच्छा वर्चस्व था।

 

सोरेन के नेतृत्व पर उठे सवाल

इस बात में कोई दोराय नहीं है की मुख्यमंत्री के तौर पर हेमंत सोरेन का कार्यकाल सुर्खियों में बना रहा है। कई आरोपों से घिरे रहने के साथ ही इन पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे। इन आरोपों की पुष्टि प्रवर्तन निदेशालय द्वारा की गई गिरफ्तारी से होती है। अप्रभावी शासन, वादों को पूरा करने में असफल रहने आदिवासी आबादी के हितों को बनाए रखने में असमर्थता के लिए की गई है। इन्हीं मुद्दों के आधार पर चंपई सोरेन ने अपना इस्तीफा दिया था।

ये भी कहा जा रहा है की आदिवासियों की हित करने वाली जेएमएम अपनी मूल उद्देश्य से भटक गई है। पार्टी सत्ता पर काबिज रहने पर फोकस कर रही है। इस कारण पार्टी के कई लोग अलग थलग सा महसूस कर रहे है। यही वजह है कि पार्टी के कार्यकर्ताओं में असंतोष की भावना बढ़ रही है। ऐसे में इन चुनावों में हेमंत सोरेन का जनता पर विश्वास बनाए रखना मुश्किल होने वाला है।

 

चंपई सोरेन दिलाएंगे बीजेपी को सत्ता में एंट्री

चुनावों से कुछ महीनों पहले ही चंपई सोरेन का बीजेपी में शामिल होना पार्टी के लिए बड़ी सफलता है। बीजेपी का उद्देश्य है कि झारखंड में अपनी पकड़ को मजबूत बनाए। चम्पाई सोरेन जो आदिवासी आदिवासी अधिकारों के कट्टर समर्थक है, उनका बीजेपी में शामिल होना पार्टी को मतदाताओं से जोड़ने में मदद करेगा। जेएमएम के उन क्षेत्रों में भी सेंध लग सकती जहां पार्टी का वर्चस्व रहा है।

चंपई सोरेन बीजेपी की तरह ही बांग्लादेश घुसपैठियों को लेकर एक दिशा में सोचते है। चंपई सोरेन कह चुके है कि बांग्लादेशी घुसपैठियों के कारण राज्य के आदिवासियों का जीवन और अस्तित्व खतरे में है।

इन सभी मुद्दों पर गौर करें तो चंपई सोरेन का बीजेपी में जुड़ना और हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी से राज्य की राजनीति में नया मोड़ आ गया है। ये राजनीतिक स्थिति बीजेपी के लिए जीत की तरह है, जिससे राज्य में उसकी पकड़ मजबूत हुई है।

जेएमएम के लिए चंपई सोरेन का जाना और हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली पार्टी की कमियां उजागर होना बड़ी समस्या है। आगामी चुनावों से पहले चंपई सोरेन कमिस्तीफा देना बड़ी भूमिका निभा सकता है, जिससे वोटर प्रभावित हो सकते है।

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