1987 के बाद 2024 में वो दौर आया है जब जम्मू-कश्मीर में उम्मीदवार घर-घर जाकर चुनाव प्रचार कर पा रहे हैं
हम आपको यह भी बता दें कि इस बार के चुनावों में जमात-ए-इस्लामी के कई पूर्व नेता मैदान में उतरे हैं। जमात-ए-इस्लामी को केंद्र सरकार ने प्रतिबंधित कर रखा है क्योंकि उस पर राष्ट्र विरोधी गतिविधियां चलाने का आरोप है।
जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावों में इस बार बहुत कुछ नया है। एक तो यह पहले ऐसे विधानसभा चुनाव हैं जो एक विधान और एक निशान यानि एक संविधान और एक झंडे के तहत हो रहे हैं। इससे पहले हुए विधानसभा चुनावों के दौरान जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 लगे होने के कारण भारतीय संविधान पूरी तरह लागू नहीं होता था और राज्य का अपना एक अलग झंडा भी था। इस बार के चुनावों में नयी बात यह भी है कि बंदूक और पत्थरबाजी से मसलों का हल निकालने में विश्वास रखने वाले अलगाववादी भी चुनाव लड़ रहे हैं क्योंकि उन्हें यह दिख चुका है कि सभी मुद्दों का हल लोकतांत्रिक तरीके से ही निकल सकता है। इसके अलावा इस बार के चुनावों में नयी बात यह भी है कि 1987 के बाद 2024 में पहली बार देखा जा रहा है जब उम्मीदवार घर घर जाकर चुनाव प्रचार कर पा रहे हैं। इससे पहले आतंकवाद के दौर में डर और तमाम तरह के प्रतिबंधों के चलते उम्मीदवार प्रचार नहीं कर पाते थे। लेकिन अब कश्मीर में डर और भय का माहौल नहीं है इसलिए उम्मीदवार मतदाता के घर तक और मतदाता पोलिंग स्टेशनों तक आसानी से पहुँचते हैं। हाल में लोकसभा चुनावों के दौरान कश्मीर घाटी में जिस तरह रिकॉर्ड मतदान हुआ था उससे उम्मीद है कि विधानसभा चुनावों के दौरान भी बंपर वोटिंग होगी।
हम आपको यह भी बता दें कि इस बार के चुनावों में जमात-ए-इस्लामी के कई पूर्व नेता मैदान में उतरे हैं। जमात-ए-इस्लामी को केंद्र सरकार ने प्रतिबंधित कर रखा है क्योंकि उस पर राष्ट्र विरोधी गतिविधियां चलाने का आरोप है। इसलिए जमात के सदस्यों ने निर्दलीय के तौर पर पर्चा दाखिल किया है। कुलगाम से जमात-ए-इस्लामी के पूर्व सदस्य सयार अहमद रेशी आजकल धुआंधार रैलियां कर रहे हैं जिसमें अच्छी खासी भीड़ उमड़ रही है। ऐसी ही एक रैली के दौरान बड़ी संख्या में राजपूत सयार अहमद रेशी के समर्थन में आये। इस दौरान प्रभासाक्षी संवाददाता से बातचीत में सयार अहमद रेशी ने कहा कि वह 2019 तक जमात से जुड़े थे और अब उन्होंने विधानसभा में अपने लोगों का प्रतिनिधित्व करने का फैसला किया है।
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उन्होंने कहा कि मैं 2019 तक जमात से जुड़ा था। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि जमात पर प्रतिबंध लगा दिया गया था इसलिए मैं लोगों के लिए काम नहीं कर पाया। उन्होंने कहा कि अब मैंने अपने लोगों का प्रतिनिधित्व करने के लिए इस चुनाव में एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में खड़ा होना चुना है। उन्होंने एक रैली के दौरान कहा, "मैं अपने छात्रों को मेरी रैलियों में भाग लेते देखकर बेहद खुश हूं।" उन्होंने कहा कि कुलगाम जिले के सभी राजपूत और कश्मीरी पंडितों ने प्यार और आशीर्वाद के साथ मेरा स्वागत किया है। मैं दीवारों पर अपने पोस्टर चिपका हुआ देख रहा हूं और मुझे उम्मीद है कि सफलता हमारी होगी। उन्होंने कहा, "मैं यह वादा नहीं करता कि मैं सरकार बनाऊंगा, लेकिन मैं विधानसभा में उनका प्रतिनिधित्व करूंगा और उनकी चिंताओं और मुद्दों को कम करने के लिए जो भी संभव होगा, मैं करूंगा।"
वहीं अदिजान गांव के एक स्थानीय हिंदू राजपूत रंजीत सिंह ने प्रभासाक्षी से कहा कि पूर्व जमात नेता सयार अहमद ने आज उनके क्षेत्र का दौरा किया और वहां रैली की। रंजीत ने कहा, "वह ईमानदार व्यक्ति हैं तथा हम उनका समर्थन करेंगे।"
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