2 करोड़ रुपए की रिश्वत, 181 दिन की जेल, संजय सिंह की जमानत से खुलेगा सिसोदिया-केजरीवाल की रिहाई का रास्ता
शराब घोटाले से जुड़ा मनी लॉन्ड्रिंग का मामला था, 2 करोड़ रुपए के रिश्वत के आरोप संजय सिंह पर लगे थे। डी ने 4 अक्टूबर, 2023 को दिल्ली में उनके आवास पर तलाशी के बाद गिरफ्तार किया था।
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (2 अप्रैल) को प्रवर्तन निदेशालय द्वारा रियायत दिए जाने के बाद दिल्ली शराब नीति मामले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आम आदमी पार्टी (आप) नेता संजय सिंह को जमानत दे दी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बेसिक स्तर पर संजय सिंह जमानत के हकदार हैं। ईडी ने कहा कि हमें जो सबूत जुटाने थे वो हमने जुटा लिए गए हैं। जब तक ट्रायल चलेगा तब तक संजय सिंह बाहर रहेंगे। शराब घोटाले से जुड़ा मनी लॉन्ड्रिंग का मामला था, 2 करोड़ रुपए के रिश्वत के आरोप संजय सिंह पर लगे थे। डी ने 4 अक्टूबर, 2023 को दिल्ली में उनके आवास पर तलाशी के बाद गिरफ्तार किया था।
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आप के राज्यसभा सांसद 181 दिनों बाद जेल से बाहर आ पाएंगे। आम आदमी पार्टी की तरफ से केंद्र सरकार और बीजेपी पर हमला करने वालों में संजय सिंह सबसे मुखर रहते थे। उनके जेल से बाहर आने के बाद आम आदमी पार्टी की चुनावी तैयारियों को नई धार मिल सकती है। शराब घोटाले में संजय सिंह को राहत मिलने से इसी मामले में मनीष सिसोदिया और अरविंद केजरीवाल को भी कानूनी राहत मिलने की संभावनाएं बन सकती है। सत्येंद्र जैन, मनीष सिसोदिया और अरविंद केजरीवाल के केस में भी ग्राउंड होगा। संजय सिंह ने कहा कि जिस तरह से सुप्रीम कोर्ट संजय सिंह की जमानत का फायदा होगा।
क्या है पीएमएलए कानून
धन शोधन निवारण अधिनियम को 2002 में अधिनियमित किया गया था और इसे 2005 में लागू किया गया। इस कानून का मुख्य उद्देश्य काले धन को सफेद में बदलने की प्रक्रिया (मनी लॉन्ड्रिंग) से लड़ना है। मनी लॉन्ड्रिंग को रोकना, अवैध गतिविधियों और आर्थिक अपराधों में काले धन के उपयोग को रोकना, मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल या उससे प्राप्त संपत्ति को जब्त करना और मनी लॉन्ड्रिंग के जुड़े अन्य प्रकार के संबंधित अपराधों को रोकने का प्रयास करना।
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पीएमएलए की धारा 45
वर्तमान सरकार ने 2018 में पीएमएलए में संशोधन किया, जिसके मद्देनजर धारा 45 के तहत जमानत के लिए दो सख्त शर्तें हैं। पहला, अदालत को यह मानना होगा कि आरोपी दोषी नहीं है, और दूसरा, आरोपी का अपराध करने का कोई इरादा नहीं होना चाहिए। जमानत पर रहते हुए. सुप्रीम कोर्ट ने ईडी की शक्तियों को बरकरार रखते हुए और 2018 में पीएमएलए अधिनियम में संशोधन करते हुए कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग एक जघन्य अपराध है जो देश के सामाजिक और आर्थिक मामलों को प्रभावित करता है।
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