बीजेपी मायावती के खिलाफ बेबी रानी को बनाएगी दलित चेहरा!
बेबी रानी ने राष्ट्रपति को अपना इस्तीफा सौंप दिया है। राज्यपाल के सचिव बीके संत ने इसकी पुष्टि की है। चर्चा यह है कि बेबी रानी सक्रिय राजनीति में आकर आगरा में कहीं सेचुनाव लड़ सकती है,लेकिन इसके विपरीत जानकारों का यही कहना है कि राज्यपाल बनने के बाद किसी नेता या नेत्री का चुनाव की राजनीति में उतरते नहीं देखा गया है।
लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव के लिए बसपा और समाजवादी पार्टी मुस्लिम और ब्राहमण कार्ड खेलने में लगी है तो भारतीय जनता पार्टी ने बीएसपी की काट के लिए दलित कार्ड खेलने की तैयारी शुरू कर दी है। दलित कार्ड खेलने के लिए ही बीजेपी ने अपनी दलित नेत्री रही उत्तराखंड की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य से इस्तीफा ले लिया है। बेबी रानी ने राष्ट्रपति को अपना इस्तीफा सौंप दिया है। राज्यपाल के सचिव बीके संत ने इसकी पुष्टि की है। चर्चा यह है कि बेबी रानी सक्रिय राजनीति में आकर आगरा में कहीं सेचुनाव लड़ सकती है,लेकिन इसके विपरीत जानकारों का यही कहना है कि राज्यपाल बनने के बाद किसी नेता या नेत्री का चुनाव की राजनीति में उतरते नहीं देखा गया है। ऐसे में संभावना यही है कि बीजेपी आलाकमान निर्वतमान उत्तराखंड की राज्यपाल बेबी रानी को चुनावी राजनीति में उतारने की जगह उनका दलितों को रिझाने के लिए उपयोग कर सकती हैं। बेबी रानी उत्तराखंड के राज्यपाल के तौर पर बीती 26 अगस्त को अपने तीन साल का कार्यकाल पूरा कर चुकी हैं।
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बेबी रानी ने दो दिन पूर्व ही दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह के साथ मुलाकात की थी,जिसके बाद से ही बेबी रानी के इस्तीफा देने की चर्चाएं शुरू हो गई थीं। बेबी रानी बीजेपी की दलित नेत्री हैं और आगरा के आसपास के जिलों में दलितों के बीच उनकी अच्छी पकड़ है। वर्ष 1995 से वर्ष 2000 तक आगरा की महापौर रही थीं। वर्ष 1997 में वर्तमान राष्ट्रपति और तत्कालीन अध्यक्ष राष्ट्रीय अनुसूचित मोर्चा राम नाथ कोविंद जी के साथ कोषाध्यक्ष बतौर कार्य था तो 2001 में प्रदेश, सामाजिक कल्याण बोर्ड की सदस्य, 2002 में राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य रह चुकी हैं।
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