जिन सीटों पर भाजपा नहीं हासिल कर पाती जीत, वहां के लिए बनाई गई खास रणनीति, केंद्रीय मंत्री ने किया खुलासा

arjun ram meghwal
ANI
अंकित सिंह । Jul 10 2022 6:00PM

भाजपा ने वर्ष 2014 और 2019 के चुनाव में उत्तर और पश्चिम भारत में लगातार बड़ी जीत दर्ज की थी। वहीं अब पार्टी लगातार अपनी उपस्थिति पूर्वी भारत और दक्षिण भारत में बढ़ाने की कोशिश कर रही है, ताकि उसकी सीट संख्या में किसी कमी से उसकी राष्ट्रीय महत्वकांक्षा पर कोई असर नहीं पड़े।

भले ही लोकसभा चुनाव में अभी भी डेढ़ साल का वक्त है, लेकिन सत्तारूढ़ भाजपा इसकी तैयारी में जुट गई है। यही कारण है कि केंद्रीय मंत्री लगातार देश के विभिन्न राज्यों का दौरा कर रहे हैं। जानकारी के मुताबिक भाजपा जिन सीटों पर जीत नहीं हासिल कर पाती हैं, उन पर अपनी पकड़ को मजबूत बनाने के लिए पार्टी की ओर से तैयारी शुरू कर दी जा चुकी है। इसी कड़ी में केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल अमृतसर पहुंचे थे। अमृतसर में उन्होंने कहा कि भाजपा ने एक योजना बनाई है कि लोकसभा की ऐसी सीट जिसे हम बिल्कुल नहीं जीतते या कभी-कभार जीतते हैं और सर्वे में वो सीट कमज़ोर दिखती है ऐसी सीट पर कुछ मंत्रियों की ड्यूटी लगाई गई है। ये देखेंगे कि वहां कौन से प्रस्ताव लंबित हैं, उसे जल्द क्लियर कराएंगे।

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इसके साथ ही उन्होंने पंजाब सरकार पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि मैं 2 दिनों से देख रहा हूं कि पंजाब की कानून-व्यवस्था कुछ ज्यादा अच्छा नहीं है, बिगड़ा हुआ है लेकिन मेरा एजेंडा सुशासन और विकास का है। इससे पहले अर्जुन राम मेघवाल ने अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में अरदास की थी। आपको बता दें कि भाजपा ने वर्ष 2014 और 2019 के चुनाव में उत्तर और पश्चिम भारत में लगातार बड़ी जीत दर्ज की थी। वहीं अब पार्टी लगातार अपनी उपस्थिति पूर्वी भारत और दक्षिण भारत में बढ़ाने की कोशिश कर रही है, ताकि उसकी सीट संख्या में किसी कमी से उसकी राष्ट्रीय महत्वकांक्षा पर कोई असर नहीं पड़े। 

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भाजपा ने पश्चिम बंगाल और ओडिशा जैसे पूर्वी राज्यों में नयी जमीन तैयार की और पूरे पूर्वोत्तर में सबसे बड़ी ताकत के रूप में उभरी, लेकिन विंध्य के पार उसकी कोशिश अब तक उतनी लाभदायक साबित नहीं हुई है। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने हैदराबाद में हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में दक्षिण भारत को लक्षित किया, जहां पार्टी को वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में कर्नाटक को छोड़कर बाकी चार राज्यों की कुल 101 सीट में से महज चार सीट पर जीत मिली थी। राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के महज कुछ दिनों के बाद ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नीत सरकार ने दक्षिणी राज्यों के चार प्रमुख लोगों को राज्यसभा के लिए मनोनीत करने के वास्ते चुना, जिससे पार्टी की राजनीति स्पष्ट हो गई।

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