नौकरानी से जीभ से साफ करवाया था शौचालय! गर्म चीजों से आदिवासी महिला को टॉर्चर करने वाली निलंबित बीजेपी नेता गिरफ्तार
झारखंड बीजेपी ने सीमा पात्रा पर घरेलू सहायिका को गाली देने का आरोप लगाने के बाद उन्हें निलंबित कर दिया है। घरेलू सहायिका को कथित रूप से प्रताड़ित करने वाली भाजपा की निलंबित नेता सीमा पात्रा को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। सीमा पात्रा पर आदिवासी महिला को प्रताड़ित करने का मामला दर्ज किया गया था।
झारखंड बीजेपी ने सीमा पात्रा पर घरेलू सहायिका को गाली देने का आरोप लगाने के बाद उन्हें निलंबित कर दिया है। घरेलू सहायिका को कथित रूप से प्रताड़ित करने वाली भाजपा की निलंबित नेता सीमा पात्रा को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। सीमा पात्रा पर आदिवासी महिला को प्रताड़ित करने का मामला दर्ज किया गया था। आदिवासी महिला सीमा के घर में घर में नौकरानी के रूप में कार्यरत थी। सुनीता नाम की नौकरानी को कथित तौर पर अपनी जीभ से शौचालय साफ करने के लिए कहा गया था।
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बीजेपी की निलंबित नेता और पूर्व आईएएस अधिकारी महेश्वर पात्रा की पत्नी सीमा पात्रा पर पिछले 8 सालों से सुनीता को प्रताड़ित करने का आरोप लगा है। आदिवासी महिला सुनीता के पूरे शरीर पर कई घाव थे। उसने आरोप लगाया है कि सीमा पात्रा उसे गर्म वस्तुओं से जलाती थी। सीमा पात्रा के बेटे आयुष्मान ने नौकरानी को बचाने की कोशिश की और उसने अपने दोस्त विवेक बस्के को घर की घटनाओं के बारे में सूचित कर दिया था। सुनीता ने आखिरकार विवेक को अपनी पीड़ा के बारे में बताया और उसकी मदद से उसे बचा लिया गया।
पुलिस ने रांची के अरगोडा पुलिस स्टेशन में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की संबंधित धारा और एससी-एसटी अधिनियम, 1989 की धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की है। इस बीच कांग्रेस ने आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग करते हुए इस घटना ने सियासी मोड़ ले लिया है।
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राष्ट्रीय महिला आयोग ने अब सीमा पात्रा द्वारा झारखंड में अपनी घरेलू सहायिका को परेशान करने की खबरों पर संज्ञान लिया है। एनसीडब्ल्यू की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने एक बयान में कहा कि पैनल ने झारखंड के डीजीपी को लिखा है कि अगर आरोप सही पाए जाते हैं तो आरोपियों को गिरफ्तार किया जाए। रेखा शर्मा ने कहा, "आयोग ने मामले में निष्पक्ष और समयबद्ध जांच के लिए भी लिखा है।" उन्होंने कहा, “आयोग ने पीड़िता के लिए सर्वोत्तम चिकित्सा उपचार और उसका सुरक्षित पुनर्वास सुनिश्चित करने की मांग की है। मामले में की गई कार्रवाई से सात दिनों के भीतर आयोग को अवगत कराया जाना चाहिए।
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