किठौर में जातीय लामबंदी का होगा असर, भाजपा और सपा गठबंधन के बीच हो सकता है कांटे का मुकाबला
किठौर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा ने मौजूदा विधायक सत्यवारी त्यागी को चुनावी मैदान में उतारा है। जबकि सपा-रालोद गठबंधन ने एक बार फिर से पूर्व कैबिनेट मंत्री शाहिद मंजूर पर दांव लगाया है। पिछले चुनाव में भाजपा को इस सीट पर जीत का स्वाद चखने को मिला था।
मेरठ। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी हलचलें तेज हो चुकी हैं। राजनीतिक दल मतदाताओं को लुभाने की लगातार कोशिश कर रहे हैं। ऐसे में हम बात किठौर विधानसभा क्षेत्र की करेंगे। जहां पर जातीय लामबंदी का पूरा असर दिखाई दे रहा है और बसपा से ज्यादा भाजपा और सपा-रालोद गठबंधन एक्टिव दिख रहा है।
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किठौर से भाजपा ने मौजूदा विधायक सत्यवीर त्यागी को चुनावी मैदान में उतारा है। जबकि सपा-रालोद गठबंधन ने एक बार फिर से पूर्व कैबिनेट मंत्री शाहिद मंजूर पर दांव लगाया है। पिछले चुनाव में भाजपा को इस सीट पर जीत का स्वाद चखने को मिला था। क्योंकि रालोद से भाजपा में आए सत्यवीर त्यागी ने सपा उम्मीदवार शाहिद मंजूर को मात दे दी थी।
सत्यवीर ने भाजपा को दिलाई थी जीत
सपा उम्मीदवार शाहिद मंजूर के पिता मंजूर अहमद भी यहां से दो बार विधायक बन चुके हैं। मंजूर के किले को भेदने के लिए भाजपा ने सत्यवीर पर दांव लगाया था और वो कामयाब भी हुए थे। ऐसे में पार्टी ने उन्हें एक बार फिर से अपना प्रत्याशी बनाया है। यहां से भाजपा के यह दूसरे विधायक हैं जिन्होंने जीत दर्ज की है। इससे पहले साल 1993 में रामकिशन वर्मा ने पहली बार भाजपा का परचम लहराया था।
साल 1957 से लेकर 2017 तक किठौर सीट पर कांग्रेस को तीन बार और भाजपा को दो बार जीत मिल चुकी है। जबकि बसपा का खाता भी नहीं खुला है। ऐसे में इस बार भी बसपा यहां पर कमजोर नजर आ रही है। यहां से पार्टी ने गुर्जर केपी मावी पर दांव लगाया है, जबकि कांग्रेस ने धनसिंह कोतवाल की प्रपौत्री को चुनावी मैदान में उतारा है।
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क्या कहते हैं आंकड़े ?
किठौर सीट पर मुस्लिम मतदाताओं की तादाद सवा लाख है, दलितों की 72 हज़ार और गुर्जर मतदाताओं की तादाद 42,000 के आस-पास है। जबकि ठाकुर मतदाताओं की संख्या 28,000, जाट मतदाता 19,000 और त्यागी मतदाता 18,000 और 12,000 ब्राह्मण मतदाता है।
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