आंबेडकर का सम्मान न करने वाली भाजपा और अन्य पार्टियां एक ही थैले के चट्टे-बट्टे : Mayawati
मायावती ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए कहा कि ये सभी ‘‘बाबा साहब डॉ. आंबेडकर का निरादर करने के मामले में एक ही थैले के चट्टे-बट्टे हैं।’’ हुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो ने कहा कि अमित शाह को अपने शब्दों को वापस लेकर इनको पश्चाताप भी जरूर करना चाहिए
लखनऊ । बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए कहा कि ये सभी ‘‘बाबा साहब डॉ. आंबेडकर का निरादर करने के मामले में एक ही थैले के चट्टे-बट्टे हैं’’। मायावती ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर सिलसिलेवार पोस्ट में कहा, ‘‘भाजपा के श्री अमित शाह द्वारा संसद में दलित एवं अन्य उपेक्षित वर्गों के मसीहा परमपूज्य बाबासाहेब डा. भीमराव अम्बेडकर के बारे में जिन शब्दों का इस्तेमाल किया गया है, उससे इन वर्गों की भावनाओं को गहरी ठेस पहुंची है। ऐसे में उन शब्दों को वापस लेकर इनको पश्चाताप भी जरूर करना चाहिए।’’
उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री का यह बयान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह द्वारा इस सप्ताह की शुरुआत में राज्यसभा में आंबेडकर पर की गई टिप्पणी को लेकर सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्षी दलों के बीच चल रही खींचतान के बीच आया है। उन्होंने कहा कि इस बात से इनकार करना असंभव है कि कांग्रेस, भाजपा एवं इनके सहयोगी दलों का चाल, चरित्र व चेहरा बाबा साहेब डा. आंबेडकर व उनके करोड़ों दलित-पिछड़े, शोषित-पीड़ित अनुयायियों के हितों और कल्याण के प्रति हमेशा संकीर्ण एवं जातिवादी रहा है और यही वजह है कि इन समुदायों के सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक हालात लगातार बदतर हुए हैं।
मायावती ने यह भी लिखा कि बाबासाहेब डॉ. आंबेडकर के प्रति दिल से सम्मान नहीं करने, उनके अनुयायियों के विरुद्ध अन्याय-अत्याचार करने तथा इन्हें संवैधानिक एवं कानूनी हक देने के बजाय छीनने में भी ये पार्टियां एक ही थैली के चटटे-बट्टे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘इसको लेकर सत्ता व विपक्ष के बीच जारी तकरार केवल वोट के स्वार्थ की राजनीति है।’’ बसपा प्रमुख ने संविधान जगह-जगह लहराये जाने और नीला रंग पहनने आदि को दिखावे की सस्ती राजनीति करार देते हुए कहा कि यह सब करने से पहले सत्ता एवं विपक्ष दोनों को अपने दिल की संकीर्णता, जातिवाद एवं द्वेष आदि की कालिख मिटाकर पाक-साफ बनना होगा, तभी इन वर्गों और देश का भी हित संभव होगा।
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