Bihar: प्रशांत किशोर ने दी राज्यव्यापी आंदोलन की धमकी, नीतीश सरकार से की ये तीन बड़ी मांग

Prashant Kishor
ANI
अंकित सिंह । Apr 21 2025 4:35PM

किशोर ने कहा कि अगर राज्य की एनडीए सरकार हमारी तीन मांगें नहीं मानती है, तो जन सुराज 11 मई से राज्य भर के 40,000 राजस्व गांवों में हस्ताक्षर अभियान चलाएगा। उन्होंने कहा कि 11 जुलाई को हम एक करोड़ लोगों से हस्ताक्षर एकत्र करने के बाद सरकार को ज्ञापन सौंपेंगे।

जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने सोमवार को बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के खिलाफ राज्यव्यापी आंदोलन शुरू करने की धमकी दी। उन्होंने कहा कि अगर वह जाति सर्वेक्षण कार्यान्वयन, भूमि वितरण और भूमि सर्वेक्षण में भ्रष्टाचार से संबंधित तीन प्रमुख मांगों को पूरा करने में विफल रहती है तो वह आंदोलन शुरू करेंगे। किशोर ने सरकार को एक महीने की समयसीमा दी, अगर मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया तो हस्ताक्षर अभियान, बड़े पैमाने पर लामबंदी और मानसून सत्र के दौरान विधानसभा का घेराव करने की चेतावनी दी।

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किशोर ने कहा कि अगर राज्य की एनडीए सरकार हमारी तीन मांगें नहीं मानती है, तो जन सुराज 11 मई से राज्य भर के 40,000 राजस्व गांवों में हस्ताक्षर अभियान चलाएगा। उन्होंने कहा कि 11 जुलाई को हम एक करोड़ लोगों से हस्ताक्षर एकत्र करने के बाद सरकार को ज्ञापन सौंपेंगे। अगर तब भी हमारी मांगों को नजरअंदाज किया जाता है, तो हम विधानसभा के अगले मानसून सत्र के दौरान विधानसभा का घेराव करेंगे, जो इस साल के अंत में होने वाले आगामी विधानसभा चुनावों से पहले आखिरी सत्र होगा।

किशोर की पहली मांग 7 नवंबर, 2023 को बिहार विधानसभा में पेश किए गए जाति सर्वेक्षण के निष्कर्षों पर लक्षित है। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 6,000 रुपये प्रति माह से कम कमाने वाले 94 लाख परिवारों को एकमुश्त 2 लाख रुपये की सहायता देने का वादा किया था, लेकिन किसी को भी सहायता नहीं मिली। किशोर ने कहा, "एक भी परिवार को यह सहायता नहीं मिली है। हम सरकार से एक महीने के भीतर इस पर श्वेत पत्र जारी करने की मांग करते हैं।"

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उन्होंने सर्वेक्षण के आधार पर प्रस्तावित 65 प्रतिशत आरक्षण को लागू करने में देरी पर भी सवाल उठाया। उन्होंने पूछा, "इस सर्वेक्षण के आधार पर 65 प्रतिशत आरक्षण बढ़ाने का वादा किया गया था, लेकिन उसका क्या हुआ?" दूसरी मांग दलित और महादलित परिवारों के लिए भूमि वितरण से संबंधित है। किशोर ने कहा कि 50 लाख बेघर या भूमिहीन परिवारों में से जिन्हें तीन डिसमिल जमीन मिलनी थी, उनमें से केवल दो लाख को ही भूखंड आवंटित किए गए हैं, वह भी ज्यादातर कागजों पर।

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