बिहार विधानसभा विधायी कार्यों में निर्वाचित प्रतिनिधियों की अधिकतम भागीदारी के लिए विधायकों के पीए को प्रशिक्षित करेगी
विधानसभा में प्रश्नों के माध्यम से ही सरकार लोगों के संपर्क में रहती है जिससे सदस्यों को प्रशासन से संबंधित मामलों में जनता की शिकायतों को दूर करने में सक्षम बनाया जाता है। सदस्यों को अपने प्रश्नों के महत्व को समझना चाहिए।
पटना| बिहार विधानसभा ने उन सभी निर्वाचित सदस्यों के निजी सहायकों (पीए) के लिए प्रशिक्षण सत्र आयोजित करने का फैसला किया है जो सदन के कार्य में ज्यादा हिस्सा नहीं लेते।
बिहार विधानसभा के अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने कहा, ‘‘इसका उद्देश्य निर्वाचित सदस्यों के पीए को प्रशिक्षित करना है ताकि वे अपने जनप्रतिनिधि को ऑनलाइन प्रश्न उठाने में मदद कर सकें। प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान निजी सहायकों को समझाया जाएगा कि विधानसभा के ऑनलाइन तंत्र तक कैसे पहुंचें?’’
उन्होंने कहा कि बिहार विधानसभा के इतिहास में पहली बार आयोजित किया जाने वाला यह प्रशिक्षण सत्र अगले साल जनवरी के महीने में आयोजित किया जाएगा। अध्यक्ष ने आगे कहा कि इसका उद्देश्य विधायी प्रक्रिया के पूर्ण डिजिटलीकरण की ओर बढ़ना है।
उन्होंने कहा, ‘‘हम उन निर्वाचित प्रतिनिधियों के लिए भी एक प्रशिक्षण सत्र आयोजित करेंगे जो प्रश्नकाल के दौरान सवाल उठाने सहित अन्य विधायी कार्यों में ज्यादा भाग नहीं लेते हैं।’’
सिन्हा ने कहा कि दोनों प्रशिक्षण सत्र जनवरी के महीने में एक ही दिन आयोजित किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि देश के विख्यात संविधान विशेषज्ञों को भी विधायी कार्यों के महत्व पर अपनी राय देने के लिए आमंत्रित किया जाएगा।
हालांकि अध्यक्ष ने उन विधायकों के नामों का खुलासा करने से इनकार कर दिया जो प्रश्नकाल सत्र के दौरान मुश्किल से सवाल उठाते हैं। प्रश्नकाल के महत्व का उल्लेख करते हुए अध्यक्ष ने कहा कि प्रश्नकाल विधायी कार्यवाही का एक दिलचस्प हिस्सा हैं।
विधानसभा में प्रश्नों के माध्यम से ही सरकार लोगों के संपर्क में रहती है जिससे सदस्यों को प्रशासन से संबंधित मामलों में जनता की शिकायतों को दूर करने में सक्षम बनाया जाता है। सदस्यों को अपने प्रश्नों के महत्व को समझना चाहिए।
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