व्यापम घोटाले में हुआ बड़ा खुलासा, पदों की संख्या से ज्यादा हुई भर्ती
जांच में लिखा गया है कि विभाग में स्वीकृत पदों में 75% पद सीधी भर्ती से और 25% पद प्रमोशन के जरिये भरे जाने थे। जैन ने नाप-तौल नियंत्रक पद पर रहते हुए 2009-10 से 2012-13 तक इसकी गणना में त्रुटि की।
भोपाल। मध्य प्रदेश में साल 2012 में हुई नाप-तौल निरीक्षक की भर्ती प्रक्रिया में एक और घोटाला उजागर हुआ है। यह परीक्षा कुल 27 पदों के लिए हुई थी, लेकिन 35 पदों पर भर्ती की गई है। जिनकी भर्ती हुई, उनकी नियुक्ति भी कर दी है और वे आज भी नौकरी कर रहे हैं।
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दरअसल इन अतिरिक्त पदों के लिए न तो सामान्य प्रशासन विभाग से अनुमति ली गई और न ही राज्य सरकार को जानकारी दी गई। ये भर्ती पहले से ही व्यापमं घोटाले में शामिल है। अतिरिक्त भर्तियों की जब शिकायत हुई तो सरकार ने नाप-तौल विभाग के नियंत्रक एसके जैन को दोषी माना गया है।
वहीं जब विभागीय जांच में मानवीय भूल मानते हुए एसके जैन को 23 नवंबर को नियंत्रक पद से हटा दिया, लेकिन उन्हें खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग में ओएसडी बना दिया गया है। इसी विभाग के प्रमुख सचिव फैज अहमद किदवई ने नियंत्रक को हटाए जाने की पुष्टि की है।
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आपको बता दें कि जांच में लिखा गया है कि विभाग में स्वीकृत पदों में 75% पद सीधी भर्ती से और 25% पद प्रमोशन के जरिये भरे जाने थे। जैन ने नाप-तौल नियंत्रक पद पर रहते हुए 2009-10 से 2012-13 तक इसकी गणना में त्रुटि की।
उन्होंने जिन पदों पर विभागीय प्रमोशन से पद भरे जाने थे, उन पदों पर भी व्यापमं की वेटिंग लिस्ट से पद भर लिए। अगर एसके जैन सामान्य प्रशासन विभाग को इसकी जानकारी दे देते तो यह गड़बड़ी ही न होती। इसलिए यह मानवीय भूल है।
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