भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने हरियाणा के लोगों से दिल्ली जा रहे किसानों की हर संभव मदद करने की अपील की
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने शुक्रवार को राज्य के लोगों से केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ ‘दिल्ली चलो’ मार्च के तहत राष्ट्रीय राजधानी की तरफ जा रहे किसानों के लिए भोजन और ठहरने जैसी हर संभव मदद करने की अपील की।
चंडीगढ़। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने शुक्रवार को राज्य के लोगों से केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ ‘दिल्ली चलो’ मार्च के तहत राष्ट्रीय राजधानी की तरफ जा रहे किसानों के लिए भोजन और ठहरने जैसी हर संभव मदद करने की अपील की। राष्ट्रीय राजधानी जाना चाह रहे हजारों किसान, दिल्ली की अलग-अलग सीमा पर डटे हुए हैं और पुलिस ने उनका रास्ता रोकने के लिए बैरिकेड लगा दिए हैं।
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किसानों पर आंसू गैस के गोले छोड़े गए और लाठियां भी चलायी गयी। हरियाणा में विपक्ष के नेता हुड्डा ने यहां एक बयान में कहा, ‘‘ठहरने और भोजन के लिए व्यवस्था की जानी चाहिए। किसानों की हरसंभव मदद करनी चाहिए। हो सकता है कि उन्हें दवा, चिकित्सा की जरूरत हो।’’ प्रदर्शनकारी किसानों पर लाठियां चलाने और आंसू गैस के गोले छोड़े जाने की आलोचना करते हुए हुड्डा ने कहा कि हरियाणा में भाजपा-जजपा के नेतृत्व वाली सरकार ने ‘‘तानाशाही’’ तरीके से किसानों के शांतिपूर्ण आंदोलन को दबाने का प्रयास किया।
उन्होंने कहा, ‘‘लोकतंत्र में समाज के हर नागरिक, हर धड़े को अपनी मांगों के लिए शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने का संवैधानिक अधिकार है। केंद्र सरकार को भी अपना हठी रवैया छोड़कर किसानों से बात करनी चाहिए और जल्द से जल्द उनकी मांगें लेनी चाहिए।’’ हुड्डा ने कहा कि नए कृषि कानून को वापस लेने की मांग करना पूरी तरह वैध है। उन्होंने कहा कि वह इन मांगों को लेकर किसानों के साथ हैं। उन्होंने कहा, ‘‘नए कृषि कानून न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था किए बिना किसानों के हित में नहीं है।’’
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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा कि किसानों को सरकार द्वारा दिए जाने वाले मौखिक आश्वासन पर भरोसा नहीं है, इसलिए वे न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था करने की मांग कर रहे हैं। हुड्डा ने कहा, ‘‘किसानों को सरकार के इरादों पर संदेह है। उन्होंने हर लोकतांत्रिक मंच से सरकार के समक्ष ये मांगें रखी थी लेकिन सरकार ने उसे नजरअंदाज किया। यही कारण है कि कोरोना वायरस की इस महामारी के समय उन्हें अपनी मांगों को लेकर सड़कों पर उतरना पड़ा।
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