भुजबल राज्यसभा सीट पर नाराज, नामांकन के बाद आया सुनेत्रा पवार का रिएक्शन
महाराष्ट्र के मंत्री छगन भुजबल ने कहा कि पार्टी के कोर ग्रुप के सदस्यों ने सर्वसम्मति से सुनेत्रा पवार को राज्यसभा सीट देने का फैसला किया है। मेरे सहित कई लोग उस सीट को चाहते थे, लेकिन चर्चा के बाद हमने फैसला किया है कि सुनेत्रा पवार को राज्यसभा भेजा जाना चाहिए।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में कलह थमने का नाम नहीं ले रही है। पहले तो लोकसभा चुनाव के परिणाम पार्टी के अनुकूल नहीं रहे। लोकसभा में एक सीट ही उनके खाते में गई। फिर मंत्री पद को लेकर बीजेपी से कैबनिटे पद नहीं दिए जाने की बात कहकर मंत्री परिषद में शामिल होने से पार्टी ने इनकार किया। वहीं लोकसभा चुनाव जीते एकमात्र सांसद तटकरे के राज्य मंत्री पद की चाह की बात भी सामने आई। अब सुप्रिया सुले के हाथों बारामति लोकसभा चुनाव में हार का सामना करने वाली अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा को राज्यसभा भेजे जाने का मामला नए विवाद को जन्म दे रहा है।
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महाराष्ट्र के मंत्री छगन भुजबल ने कहा कि पार्टी के कोर ग्रुप के सदस्यों ने सर्वसम्मति से सुनेत्रा पवार को राज्यसभा सीट देने का फैसला किया है। मेरे सहित कई लोग उस सीट को चाहते थे, लेकिन चर्चा के बाद हमने फैसला किया है कि सुनेत्रा पवार को राज्यसभा भेजा जाना चाहिए। मैं इस फैसले से बिल्कुल भी परेशान नहीं हूं। हमने पार्टी के लिए यह फैसला लिया है। भुजबल के बयान के बाद सुनेत्र पवार ने राज्यसभा सांसद नामांकन के बाद अपनी चुप्पी तोड़ी है। उन्होंने कहा कि इस बात की खुशी है कि हमारी पार्टी ने हमपर विश्वास जताया है, हम उनके विश्वास पर खरा उतरते हुए एक अच्छे लोकप्रतिनिधि के रूप में अच्छा काम करेंगे।सबने हमें शुभकामनाएं दी हैं।
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एनसीपी नेतृत्व को अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा या उनके बेटे पार्थ में से किसी एक को चुनना था। पार्टी ने निर्णय लिया और सुनेत्रा को नामांकित करने का निर्णय लिया। अन्य उम्मीदवार अनुभवी ओबीसी नेता और राज्य के खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता संरक्षण मंत्री छगन भुजबल और पूर्व कांग्रेस मंत्री बाबा सिद्दीकी, जो राकांपा में शामिल हो गए थे, और पूर्व लोकसभा सांसद आनंद परांजपे थे। प्रफुल्ल पटेल द्वारा राज्यसभा सदस्य के रूप में इस्तीफा देने और एनसीपी (एसपी) द्वारा किसी भी अयोग्यता कार्यवाही को रोकने के लिए फरवरी में द्विवार्षिक चुनावों के दौरान फिर से निर्वाचित होने को प्राथमिकता देने के बाद चुनाव जरूरी हो गया है।
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