जर्मनी की नागरिकता रखकर भी बन गया चार बार विधायक, HC ने क्यों लगाया लाखों का जुर्माना
न्यायमूर्ति बी विजयसेन रेड्डी ने कहा कि 2009 से रमेश के कार्यों ने वास्तविक भारतीय नागरिकों को चुनाव लड़ने के अधिकार से वंचित कर दिया है। अदालत ने जर्मन नागरिक होने का हवाला देते हुए रमेश की भारतीय नागरिकता रद्द करने के केंद्रीय गृह मंत्रालय के फैसले को बरकरार रखा।
तेलंगाना हाई कोर्ट ने पूर्व बीआरएस विधायक चेन्नमनेनी रमेश से उनकी भारतीय नागरिकता छीन ली और उन्हें जर्मन नागरिक घोषित कर दिया। अदालत ने अपनी जर्मन नागरिकता छुपाने और न्यायपालिका को गुमराह करने के लिए 30 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया। यह किसी पूर्व विधायक द्वारा भारतीय नागरिकता खोने का पहला मामला है। न्यायमूर्ति बी विजयसेन रेड्डी ने कहा कि 2009 से रमेश के कार्यों ने वास्तविक भारतीय नागरिकों को चुनाव लड़ने के अधिकार से वंचित कर दिया है। अदालत ने जर्मन नागरिक होने का हवाला देते हुए रमेश की भारतीय नागरिकता रद्द करने के केंद्रीय गृह मंत्रालय के फैसले को बरकरार रखा।
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याचिकाकर्ता वी रोहित, कांग्रेस पदाधिकारी आदि श्रीनिवास के वकील ने तर्क दिया कि रमेश 1990 के दशक में जर्मनी में बसने के बाद जर्मन नागरिक बन गए थे, जहां उन्होंने काम किया, शादी की और एक परिवार का पालन-पोषण किया। वेमुलावाड़ा से चार बार विधायक रहे रमेश का 2009 में पहली बार निर्वाचित होने के बाद से एक लंबा राजनीतिक करियर रहा है।
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जांच से पता चला कि रमेश ने 2008 में भारतीय नागरिकता हासिल करने के बावजूद अपना जर्मन पासपोर्ट और नागरिकता बरकरार रखी थी। आपको बता दें कि भारत में दोहरी नागरिकता का कोई प्रावधान नहीं है। जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के अनुसार, कोई भी व्यक्ति जो भारतीय नागरिक नहीं है, किसी भी चुनाव में लड़ने या वोट देने के लिए पात्र नहीं है।
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