VHP के कार्यक्रम में शामिल हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज, UCC की वकातल की, ओवैसी ने पूछा- आपसे न्याय की उम्मीद कैसे करे?

Owaisi
ANI
अंकित सिंह । Dec 9 2024 5:13PM

ओवैसी ने एक्स पर लिखा कि विभिन्न अवसरों पर विहिप पर प्रतिबंध लगाया गया। यह आरएसएस से जुड़ा है, एक ऐसा संगठन जिसे वल्लभाई पटेल ने 'नफरत और हिंसा की ताकत' होने के कारण प्रतिबंधित कर दिया था।

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने सोमवार को विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) की एक बैठक में भाग लेने के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश शेखर कुमार यादव की कड़ी आलोचना की और कार्यक्रम में न्यायाधीश की कथित टिप्पणियों पर आपत्ति जताई। वीएचपी, एक दक्षिणपंथी समूह, सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वैचारिक गुरु राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से संबद्ध है।

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ओवैसी ने एक्स पर लिखा कि विभिन्न अवसरों पर विहिप पर प्रतिबंध लगाया गया। यह आरएसएस से जुड़ा है, एक ऐसा संगठन जिसे वल्लभाई पटेल ने 'नफरत और हिंसा की ताकत' होने के कारण प्रतिबंधित कर दिया था। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश ने ऐसे संगठन के सम्मेलन में भाग लिया। इस 'भाषण का आसानी से खंडन किया जा सकता है, लेकिन आपके माननीय को यह याद दिलाना अधिक महत्वपूर्ण है कि भारत का संविधान न्यायिक स्वतंत्रता और निष्पक्षता की अपेक्षा करता है।

हैदराबाद के सांसद ने कहा कि भारत का संविधान बहुसंख्यकवादी नहीं बल्कि लोकतांत्रिक है। लोकतंत्र में, अल्पसंख्यकों के अधिकार सुरक्षित हैं। ओवेसी ने कहा कि न्यायमूर्ति यादव की कथित टिप्पणियाँ न्यायाधीशों की नियुक्ति की कॉलेजियम प्रणाली पर अभियोग थीं और न्यायपालिका की निष्पक्षता पर सवाल उठाती हैं। उन्होंने कहा कि एक अल्पसंख्यक विहिप के कार्यक्रमों में भाग लेने वाले व्यक्ति से पहले न्याय की उम्मीद कैसे कर सकता है?

इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति डॉ. शेखर यादव ने कहा कि समान नागरिक संहिता का मुख्य उद्देश्य विभिन्न धर्मों और समुदायों पर आधारित असमान कानूनी प्रणालियों को समाप्त कर सामाजिक सद्भाव लैंगिक समानता और धर्मनिरपेक्षता को बढ़ावा देना है। उन्होंने कहा कि समानता न्याय और धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों पर आधारित समान नागरिक संहिता भारत में लंबे समय से एक बहस का मुद्दा रही है। उन्होंने कहा कि एक समान नागरिक संहिता, एक ऐसे सामान्य कानून को संदर्भित करती है जो व्यक्तिगत मामलों जैसे विवाह, विरासत, तलाक, गोद लेने आदि में सभी धार्मिक समुदायों पर लागू होता है।

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