Yes Milord! ASI सर्वे पर रोक, SC ने बढ़ाया ED चीफ का कार्यकाल, जानें इस हफ्ते कोर्ट में क्या कुछ हुआ
सुप्रीम कोर्ट से लेकर लोअर कोर्ट तक इस सप्ताह यानी 24 जुलाई से 28 जुलाई 2023 तक क्या कुछ हुआ? कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट और टिप्पणियों का विकली राउंड अप आपके सामने लेकर आए हैं।
सुप्रीम कोर्ट से लेकर लोअर कोर्ट तक के वीकली राउंड अप में इस सप्ताह कानूनी खबरों के लिहाज से काफी उथल-पुथल वाला रहा है। जहां ईडी निदेशक संजय मिश्रा का कार्यकाल सुप्रीम कोर्ट ने 15 सितंबर तक बढ़ाया। भीमा कोरेगांव केस में वर्नोन गोंसाल्विस और अरुण फरेरा को जमानत मिल गई है। वहीं दिल्ली के कंझावला कांड में कोर्ट ने आरोप तय कर दिए हैं। ज्ञानवापी मस्जिद के एएसआई सर्वे पर रोक जारी रहेगी। मुख्तार अंसारी के बेटे को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है। ऐसे में आज आपको सुप्रीम कोर्ट से लेकर लोअर कोर्ट तक इस सप्ताह यानी 24 जुलाई से 28 जुलाई 2023 तक क्या कुछ हुआ? कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट और टिप्पणियों का विकली राउंड अप आपके सामने लेकर आए हैं। कुल मिलाकर कहें तो आपको इस सप्ताह होने वाले भारत के विभिन्न न्यायालयों की मुख्य खबरों के बारे में बताएंगे।
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वर्नोन गोंसाल्वेस और अरुण फरेरा को SC से जमानत
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को भीमा कोरेगांव मामले में दो आरोपियों वर्नोन गोंसाल्वेस और अरुण फरेरा को जमानत दे दी। गोंसाल्वेस और फरेरा 2018 से जेल में बंद हैं और बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा उनकी जमानत याचिका खारिज किए जाने के बाद उन्होंने जमानत के लिए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था। दोनों ने तर्क दिया कि बॉम्बे हाई कोर्ट ने उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया था, भले ही उसने सह-अभियुक्त सुधा भारद्वाज को जमानत दे दी थी।
SC ने बढ़ाया ED चीफ का कार्यकाल
सुप्रीम कोर्ट ने ईडी डायरेक्टर एसके मिश्रा का कार्यकाल 15 सितंबर तक बढ़ा दिया है। कोर्ट ने कहा कि अब कार्यकाल बढ़ाने के लिए कोई आवेदन स्वीकार नहीं किया जाएगा। केंद्र ने ईडी डायरेक्टर का कार्यकाल 15 अक्टूबर तक बढ़ाने के लिए कोर्ट से गुहार लगाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने मिश्रा का टर्म 31 जुलाई तक तय किया था। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सवाल किया कि क्या यह दिखाने की कोशिश नहीं हो रही है कि डिपार्टमेंट में एक ही व्यक्ति सक्षम है? विभाग बिना इनके काम नहीं कर सकता ? केंद्र ने कहा कि मिश्रा फाइनैंशल एक्शन टास्क फोर्स की एंटी मनी लॉन्ड्रिंग रिव्यू प्रक्रिया में शामिल हैं। कार्यकाल नहीं बढ़ा तो निगेटिव इमेज बनेगी। अन्य देश कोशिश में हैं कि भारत ग्रे लिस्ट में आ जाए।
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कंझावला मामले में कोर्ट ने तय किए आरोप
कंझावला मामले में कोर्ट ने चार आरोपियों को पहली नजर में हत्या का आरोपी माना है। सत्र अदालत ने अमित खन्ना, कृष्ण, मिथुन और मनोज पर हत्या के आरोप तय किए। अदालत ने आरोपियों की मौजूदगी में उनके खिलाफ तय आरोप बताने के लिए 14 अगस्त की तारीख तय की। कोर्ट ने चारों आरोपियों के इस तर्क को ठुकरा दिया कि उन्हें कार के नीचे किसी के फंसे होने के बारे में मालूम नहीं था। उनकी मंशा किसी की जान लेने की नहीं थी। जज ने कहा कि अभियोजन ने मंशा और पता होने की बात साबित करने की कोशिश है।
ज्ञानवापी सर्वे पर अभी रोक, 3 को फैसला देगा हाई कोर्ट
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने गुरुवार को ज्ञानवापी परिसर में सर्वे के मामले में अपना फैसला सुरक्षित कर लिया। कोर्ट अब 3 अगस्त को फैसला सुनाएगा। तब तक हाई कोर्ट ने सर्वे पर लगी हुई रोक को बरकरार रखा है। बता दें कि वाराणसी कोर्ट ने सर्वे के आदेश दिए थे, जिसे मुस्लिम पक्ष ने हाई कोर्ट में चुनौती दी है। सुनवाई शुरू होने पर भारतीय पुरात्व विभाग (एएसआई) के अपर निदेशक ने अदालत को बताया कि एएसआई किसी हिस्से में खुदाई कराने नहीं जा रही है। वह मुख्य न्यायाधीश के सवाल का जवाब दे रहे थे। मुख्य न्यायाधीश ने पूछा कि आपका का उत्खनन (एक्सकेवेशन) से क्या आशय है? एएसआई के अधिकारी ने जवाब दिया कि काल निर्धारण और पुरातत्विक गतिविधियों से जुड़ी किसी गतिविधि को उत्खनन कहा जाता है, लेकिन हम स्मारक के किसी हिस्से की खुदाई (डिगिंग) करने नहीं जा रहे।
मुख्तार अंसारी के बेटे को सुप्रीम कोर्ट से झटका
सुप्रीम कोर्ट ने 2022 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव प्रचार अभियान के दौरान नफरती भाषण देने से जुड़े मामले में गैंगस्टर से नेता बने मुख्तार अंसारी के बेटे उमर अंसारी के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी रद्द करने से शुक्रवार को इनकार कर दिया। उमर नफरती भाषण मामले में अपने विधायक भाई अब्बास अंसारी के साथ आपराधिक मुकदमे का सामना कर रहा है। उस पर मऊ जिले में आयोजित एक रैली में मंच साझा करने का आरोप है, जहां उसके भाई ने सरकारी अधिकारियों को चुनाव के बाद कथित तौर पर देख लेने की धमकी दी थी। न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति पंकज मित्तल की पीठ ने कहा, “हम उस मामले में दर्ज प्राथमिकी को रद्द नहीं करेंगे, जिसमें उच्च न्यायालय ने राहत देने से इनकार कर दिया है। आपको मुकदमे का सामना करना होगा।
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