योग को विश्व के कोने-कोने में पहुंचाने में बाबा रामदेव ने निभाई अहम भूमिका
बाबा रामदेव बचपन से ही कुछ अलग करना चाहते थे। वह क्रांतिकारी राम प्रसाद बिस्मिल व नेताजी सुभाष चंद्र बोस को अपना आदर्श मानते थे। गांव में ही आठवीं तक की पढ़ाई पूरी करने के बाद रामदेव आचार्य प्रद्युम्न और योग आचार्य बलदेव जी से संस्कृत व योग की शिक्षा लेने के लिए खानपुर गांव पहुंचे।
योग को लोगों तक पहुंचाने में बाबा रामदेव ने अहम भूमिका निभाई। कभी हरियाणा की गलियों में साइकिल पर सवार होकर दवाइयां बेचने वाले रामदेव आज पूरी दुनिया में योग गुरु के रूप में पहचाने जाते हैं। बाबा रामदेव का जन्म हरियाणा के महेंद्रगढ़ जनपद स्थित अली सैयद पुर गांव में हुआ था। बाबा रामदेव बचपन से ही कुछ अलग करना चाहते थे। वह क्रांतिकारी राम प्रसाद बिस्मिल व नेताजी सुभाष चंद्र बोस को अपना आदर्श मानते थे। गांव में ही आठवीं तक की पढ़ाई पूरी करने के बाद रामदेव आचार्य प्रद्युम्न और योग आचार्य बलदेव जी से संस्कृत व योग की शिक्षा लेने के लिए खानपुर गांव पहुंचे।
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यहां उनके जीवन में बड़ा परिवर्तन आया और अपने माता-पिता व बंधु बांधव को सदा सर्वदा के लिए छोड़ दिया। युवावस्था में ही सन्यास लिया और स्वामी रामदेव बन गए। स्वामी रामदेव आज घर-घर में बाबा रामदेव के नाम से जाने जाते हैं। 1995 से योग को लोकप्रिय बनाने के लिए वह अथक परिश्रम कर रहे हैं। बाद में बाबा रामदेव जींद जिले की यात्रा की और कालवा गुरुकुल में शामिल हो गए। वह निशुल्क लोगों को योग की प्रशिक्षण देते दे थे। बाबा रामदेव भारतीय प्राचीन संस्कृति और परंपरा को भी सिखाने में व्यस्त रहते थे। लोगों को इसकी भी शिक्षा देते रहते थे। 1995 में ही दिव्य योग मंदिर ट्रस्ट की स्थापना की।
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2003 से आस्था टीवी ने बाबा रामदेव के कार्यक्रम को प्रस्तुत करना शुरू किया जिसकी वजह से वह घर-घर तक प्रसिद्ध हो गए। बाबा रामदेव के रूप में उनकी ख्याति होने लगी। टीवी के जरिए बाबा रामदेव ने भी योग को देश के साथ-साथ विदेशों में भी पहुंचाया। इसके साथ ही बाबा के अनेक लोग भक्त भी बन गए। जगह-जगह बाबा शिविर लगाया करते थे जिसमें योग करने के लिए हजारों लोग शामिल होते थे। आम हो या फिर खास, सभी बाबा से प्रभावित होने लगे। बाबा रामदेव ने इसके बाद भारत के आयुर्वेद परंपरा को भी आगे बढ़ाने की शुरुआत कर दी और इसके लिए उन्होंने दिव्य फार्मेसी की स्थापना की।
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इस संस्था में आयुर्वेदिक दवाइयों का निर्माण किया जाता था और देश के अलग-अलग हिस्सों में पहुंचाया जाता था। धीरे-धीरे इन दवाइयों की लोकप्रियता बढ़ने लगी। इसके साथ ही बाबा रामदेव ने पतंजलि योगपीठ की भी स्थापना की। बाबा रामदेव ने भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में भी जमकर भाग लिया। काले धन को वापस लाने की मांग करते हुए बाबा ने पूरे भारत की 1 लाख किलोमीटर यात्रा भी की है। काले धन के खिलाफ बाबा रामदेव की लड़ाई अब भी जारी है और वे राष्ट्र निर्माण में प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं। बाबा रामदेव देश में स्वच्छता को बढ़ावा देने के लिए भी विभिन्न प्रकार के अभियानों में शामिल होते हैं।
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