नागरिकता विधेयक के खिलाफ असम बंद का देखा गया व्यापक असर

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[email protected] । Oct 23 2018 8:09PM

नागरिकता विधेयक के विरोध में मंगलवार को 46 संगठनों के 12 घंटे के असम बंद का व्यापक असर देखा गया तथा बाजार एवं वित्तीय संस्थान बंद रहे।

गुवाहाटी। नागरिकता विधेयक के विरोध में मंगलवार को 46 संगठनों के 12 घंटे के असम बंद का व्यापक असर देखा गया तथा बाजार एवं वित्तीय संस्थान बंद रहे। हालांकि भाजपा की अगुवाई वाली असम सरकार की गठबंधन सहयोगी असम गण परिषद (अगप) बंद के पक्ष में नहीं थी लेकिन उसने इस विधेयक के विरुद्ध यहां लतासिल फील्ड से चांदमारी क्षेत्र तक एक विशाल रैली निकाली। उसकी अगुवाई पार्टी अध्यक्ष और कृषि मंत्री अतुल बोरा ने की।

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार बंद के दौरान प्रदर्शनकारियों ने ट्रेन परिचालन रोकने की कोशिश करते हुए तड़के रेलवे मार्गों को बाधित की। उन्होंने सड़क यातायात रोकने के लिए विभिन्न स्थानों पर सड़कों पर टायर जलाए। सूत्रों के मुताबिक दुकानें, बाजार, वित्तीय संस्थान बंद रहे। कार्यालयों और शिक्षण संस्थानों में भी उपस्थिति बहुत कम रही। असम राज्य परिवहन निगम की नगर और लंबी दूरी की बसें पुलिस सुरक्षा में चलीं। लेकिन निजी वाणिज्यिक वाहन सड़कों से नदारद रहे क्योंकि उनके संचालकों ने दावा किया कि बंद और दंगे के दौरान उनके वाहनों को होने वाले नुकसानों की बीमा कंपनियों द्वारा भरपाई नहीं की जाती है।

कृषक मुक्ति संग्राम समिति (केएमएसएस), असम जातीयतावादी युवा छात्र परिषद (एजेवाईसीपी) और 44 अन्य संगठनों ने संसद में शीतकालीन सत्र में नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2016 को पारित करने की केंद्र सरकार की कोशिश के खिलाफ सुबह पांच बजे से 12 घंटे के बंद का आह्वान किया था। राजनीतिक पार्टियां कांग्रेस और एआईयूडीएफ ने बंद को समर्थन किया था। 

नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2016 को लोकसभा में नागरिकता अधिनियम, 1955 में संशोधन करने के लिए पेश किया गया। इसके तहत भारत में 31 दिसंबर, 2014 से पहले प्रवेश कर चुके उन हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाइयों को नागरिकता दी जाएगी जो बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न की वजह से भारत आ गए थे। 

असम सरकार ने सभी जिला प्रशासनों को सोमवार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था कि मंगलवार को कोई बंद न हो। जिला उपायुक्तों ने आदेश दिया था कि सभी दुकानें, कारोबारी प्रतिष्ठान, शैक्षणिक संस्थान खुले रहने चाहिए और सार्वजनिक यातायात सुविधा भी सामान्य तरीके से काम करे तथा सभी सरकारी अधिकारी अपनी ड्यूटी पर पहुंचे।

राज्य के वित्त और स्वास्थ्य मंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने सोमवार को कहा था कि गुवाहाटी उच्च न्यायालय ने कहा है कि बंद बुलाना गैरकानूनी है और इसलिए 46 संगठनों को मंगलवार को राज्य भर में बंद बुलाने की अनुमति नहीं दी जा सकती और किसी के भी द्वारा उसका समर्थन करना अदालत के आदेश की अवमानना होगी।

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