असम के राज्यपाल मुखी ने कहा, नागरिकता विधेयक पर बंटा हुआ है राज्य
असम में नागरिकता विधेयक में संशोधन को लेकर चल रहे विवाद के बीच राज्यपाल जगदीश मुखी ने कहा कि इस मुद्दे पर राज्य पूरी तरह बंटा हुआ है और सरकार मामले पर विचार कर रही है।
नयी दिल्ली। असम में नागरिकता विधेयक में संशोधन को लेकर चल रहे विवाद के बीच राज्यपाल जगदीश मुखी ने कहा कि इस मुद्दे पर राज्य पूरी तरह बंटा हुआ है और सरकार मामले पर विचार कर रही है। ‘नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन’ (एनआरसी) पर आशंकाओं को दूर करने का प्रयास करते हुए उन्होंने कहा कि राज्य में रहने वाले वास्तविक भारतीयों की त्रुटि मुक्त सूची बनाने का सराहनीय काम किया जा रहा है। मुखी ने पत्रकारों से कहा, ‘‘असम (नागरिकता संशोधन विधेयक) मुद्दे पर बंटा हुआ है। ब्रह्मपुत्र घाटी की अलग राय है और बराक घाटी की अलग। केवल राजनीतिक दलों ही नहीं, बल्कि सामाजिक , सांस्कृतिक , साहित्यिक संगठनों ने भी अपनी - अपनी राय रखी है। राज्य सरकार मामले पर विचार कर रही है। मैंने केंद्रीय गृह मंत्रालय का बयान देखा है और वह पर्याप्त है।’’
पिछले सप्ताह , गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि असम के लोगों को प्रस्तावित कानून को लेकर चिंतित नहीं होना चाहिए और सभी हितधारकों से विचार - विमर्श करने के बाद ही आगे कदम उठाए जाएंगे।।असम में नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2016 को कानून का रूप देने की केंद्र सरकार की कोशिशों को लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहा है। इस विधेयक में बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में धार्मिक रूप से सताए जाने के कारण भारत आ गए गैर मुस्लिमों को नागरिकता देने का प्रावधान है। विरोध प्रदर्शन कर रहे संगठनों का कहना है कि अगर विधेयक को पारित कर दिया गया तो यह बांग्लादेश से भारत में आए अवैध शरणार्थियों को नागरिकता देने का मार्ग प्रशस्त करेगा।
एनआरसी को अद्यतन किये जाने का उल्लेख करते हुए मुखी ने कहा कि राज्य में किये जा रहे सबसे बड़े कार्यों में से यह एक है। इसके लिये उच्चतम न्यायालय को धन्यवाद। मुखी ने कहा, ‘‘इसमें कड़ी मेहनत एवं समर्पण शामिल है। लोगों को भी पीड़ा उठानी होगी (सूची में अपने नाम दर्ज कराने के लिए) । उच्चतम न्यायालय द्वारा दिए निर्देश के बाद ही यह किया जा रहा है। कार्य शांतिपूर्ण तरीके से किया जा रहा है।’’ मुखी ने कहा कि राज्य का संवैधानिक प्रमुख होने के तौर पर उनकी कुछ सीमाएं हैं और वह मुद्दे पर कोई राजनीतिक बयान नहीं दे सकते।
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