UN की वोटिंग से भारत के परहेज पर बोले असदुद्दीन ओवैसी, मुद्दा मानवीय है, राजनीतिक नहीं
ओवैसी ने कहा कि मुद्दा मानवीय है, राजनीतिक नहीं। भारत ने 'नागरिकों की सुरक्षा और कानूनी और मानवीय दायित्वों को कायम रखने' शीर्षक वाले जॉर्डन-मसौदा प्रस्ताव का समर्थन नहीं किया, जिसमें इज़राइल-हमास युद्ध में तत्काल मानवीय संघर्ष विराम और गाजा पट्टी में निर्बाध मानवीय पहुंच का आह्वान किया गया था।
एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने शनिवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत के कदम की आलोचना की है। भारत इजरायल-हमास संघर्ष पर एक प्रस्ताव को लेकर वोटिंग के दौरान अनुपस्थित रहा था। ओवैसी ने कहा कि मुद्दा मानवीय है, राजनीतिक नहीं। भारत ने 'नागरिकों की सुरक्षा और कानूनी और मानवीय दायित्वों को कायम रखने' शीर्षक वाले जॉर्डन-मसौदा प्रस्ताव का समर्थन नहीं किया, जिसमें इज़राइल-हमास युद्ध में तत्काल मानवीय संघर्ष विराम और गाजा पट्टी में निर्बाध मानवीय पहुंच का आह्वान किया गया था। भारत ने कहा कि प्रस्ताव में आतंकवादी समूह हमास का कोई जिक्र नहीं है।
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एक्स पर असदुद्दीन ओवैसी ने इस कदम को चौंकाने वाला बताया। इसके अलावा, एआईएमआईएम प्रमुख ने भारत के कदम पर सवाल उठाया और कहा कि यह एक मानवतावादी मुद्दा है, राजनीतिक नहीं। प्रस्ताव पर रोक लगाकर, भारत ग्लोबल साउथ, दक्षिण एशिया और ब्रिक्स में अकेला खड़ा है। ओवैसी ने ट्विटर पर लिखा कि नरेंद्र मोदी ने हमास के हमले की निंदा की, लेकिन संघर्ष विराम की मांग करने वाले संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव पर सहमत नहीं हो सके। उन्होंने कुछ दिन पहले जॉर्डन के राजा से बात की थी, लेकिन जॉर्डन द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव पर उन्होंने रोक लगा दी। यह एक असंगत विदेश नीति है।
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संयुक्त राष्ट्र महासभा ने गाजा में युद्धविराम से जुड़े एक प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। ये प्रस्ताव जॉर्डन समेत अरब देशों की तरफ से पेश किया गया था। जिसे भारी बहुमत से अपनाया गया। इस प्रस्ताव पर भारत का वोटिंग में भाग न लेने की वजह पर विदेशी मामलों के जानकारों का कहना है कि बीते 10 सालों से भारत सरकार की कूटनीति आतंकवाद के खिलाफ रही है। अंतरराष्ट्रीय मंचों से भी भारत के बयान ने उसके इस रुख की पुष्टि की है।
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