NITI Ayog की मीटिंग का बहिष्कार करेंगे केजरीवाल, पीएम मोदी को लिखी चिट्ठी, पूछा- क्या यही सहकारी संघवाद है?
अपने पत्र में केजरीवाल ने लिखा कि पिछले कुछ वर्षों में जिस तरह जनतंत्र पर हमला हुआ है, गैर भाजपा सरकारों को गिराया जा रहा है, तोड़ा जा रहा है या काम नहीं करने दिया जा रहा, ये ना ही हमारे भारतवर्ष का विजन है और ना ही सहकारी संघवाद।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल आगामी नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार करने के का निर्णय लिया है। उन्होंने इसको लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने कहा कि लोग पूछ रहे हैं, अगर पीएम सुप्रीम कोर्ट का पालन नहीं करते हैं तो लोग न्याय के लिए कहां जाएंगे? उन्होंने साफ तौर पर कहा है कि नीति आयोग की बैठक में भाग लेने का क्या मतलब है जब सहकारी संघवाद एक मजाक है। अपने पत्र में केजरीवाल ने लिखा कि पिछले कुछ वर्षों में जिस तरह जनतंत्र पर हमला हुआ है, गैर भाजपा सरकारों को गिराया जा रहा है, तोड़ा जा रहा है या काम नहीं करने दिया जा रहा, ये ना ही हमारे भारतवर्ष का विजन है और ना ही सहकारी संघवाद।
इसे भी पढ़ें: नाच न जाने, आंगन टेढ़ा वाली कहावत केजरीवाल पर फिट बैठती है, कांग्रेस का AAP के 'फुल पॉवर' वाली डिमांड पर करारा प्रहार
केजरीवाल ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों से देश भर में एक संदेश दिया जा रहा है यदि किसी राज्य में लोगों ने गैर - भाजपा पार्टी की सरकार बनायी तो उसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि आठ साल की लड़ाई के बाद दिल्ली वालों ने सुप्रीम कोर्ट में लड़ाई जीती, दिल्ली वालों को न्याय मिला। मात्र आठ दिन में आपने अध्यादेश पारित करकेप्रीम कोर्ट का आदेश पलट दिया। उन्होंने कहा कि तो आज अगर दिल्ली सरकार का कोई अधिकारी काम ना करे तो लोगों द्वारा चुनी हुई सरकार उस बारे में कोई कार्रवाई नहीं कर सकती। ऐसे सरकार कैसे काम करेगी? ये तो सरकार को बिलकुल पंगु बनाया जा रहा है। आप दिल्ली सरकार को पंगु क्यों बनाना चाहते है? क्या यही भारतदेश का विजन है? क्या यही सहकारी संघवाद है?
इसे भी पढ़ें: मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी से मिलने का समय मांगेंगं केजरीवाल, क्या केंद्र के अध्यादेश पर मिल पाएगा कांग्रेस का साथ
केजरीवाल ने अपने पत्र के माध्यम से दावा किया कि आपके अध्यादेश के खिलाफ दिल्ली ही नहीं, पूरे देश के लोगों में ज़बरदस्त विरोध है। सुप्रीम कोर्ट को न्याय का सबसे बड़ा मंदिर माना जाता है। लोग पूछ रहे है- अगर प्रधान मंत्री सुप्रीम कोर्ट को भी नहीं मानते तो लोग न्याय के लिए फिर कहाँ जायेंगे? उन्होंने कहा कि जब इस तरह खुलेआम संविधान और जनतंत्र की अवहेलना हो रही है और सहकारी संघवाद का मजाक बनाया जा रहा है तो फिर नीति आयोग की मीटिंग में शामिल होने का कोई मतलब नहीं रह जाता। उन्होंने कहा कि देश के प्रधान मंत्री परिवार के पिता और बड़े भाई के समान होते हैं। किसी राज्य में चाहे किसी पार्टी की सरकार हो, प्रधान मंत्री को सबको साथ लेकर चलना चाहिए। देश के सभी लोग, सभी राज्य सभी सरकारे जब मिलकर काम करेंगी, तभी तो देश आगे बढ़ेगा।
अन्य न्यूज़