पाकिस्तान सरकार पर बुकर पुरस्कार विजेता अरुधंती राय को है इतना भरोसा, समर्थन में दिया ये बड़ा बयान
अरुंधति राय उन कथाकथित बुद्धिजीवियों में शामिल हैं, जिनके बयान या लेखन अक्सर देश को तोड़ने वाली शक्तियों के लिए ही चलती रही है। कभी वह छत्तीमसगढ़ के दीन-हीन आदिवासियों का खून बहाने वाले माओवादियों के साथ खड़ी हो जाती हैं।
बुकर पुरस्कार विजेता अरुंधति राय वैसे तो अक्सर अपने बयानों को लेकर चर्चा में रहती हैं। लेकिन उनका पाकिस्तान प्रेम खुलकर सामने आया, जिसके बाद सोशल मीडिया पर उन्हें करारी आलोचना भी झेलनी पड़ी। अरुंधति रॉय ने अपने हाल ही में दिये एक बयान में दावा किया है कि पाकिस्तानी सरकार कभी भी अपने देश की जनता के खिलाफ अपनी सेना का इस्तेमाल नहीं करती है। बल्कि भारत कश्मीर को लेकर ऐसा कर रहा है। इस बयान को लेकर अरुंधति रॉय की आलोचना हो रही है। ट्विटर पर #ArundhatiRoy ट्रेंड कर रहा है। तारिक फतेह ने अरुंधति राय के बयान पर ट्वीट करते हुये लिखा कि अरुंधति रॉय ने दावा कर रही हैं कि पाकिस्तान ने अपनी सेना का इस्तेमाल अपनी जनता के लिये कभी नहीं किया। क्या ये अंधी और बहरी हो गई हैं। क्या 1971 में पाक सेना द्वारा बांग्लादेश नरसंहार में 3M की मौत नहीं हुई थी। क्या वह बलूचिस्तान की हालता से अनजान है? वह शाब्दिक रूप से पाकिस्तान आईएसआई ब्रीफिंग नोट पढ़ रही हैं।
#ArundhatiRoy claims Pakistan has nvr deployed its military against its own people. Was she blind & deaf when 3M died in the Bangladesh genocide by Pak Army in 1971? Is she unaware of #Balochistan? She's literally reading off a Pakistan ISI briefing note. pic.twitter.com/09SyUHURF6
— Tarek Fatah (@TarekFatah) August 25, 2019
गौरतलब है कि राय भारतीय सेना पर हमला बोल रही हैं बल्कि कह रही हैं कि भारतीय सेना देश की जनता के खिलाफ ही इस्तेमाल हो रहा है और पाकिस्तान की आर्मी पाक-साफ है। वैसे देखा जाए तो अरुंधति राय का नजरिया पूरी तरह से न सिर्फ सरकार विरोधी है बल्कि भारत विरोधी भी है। अरुंधति राय उन कथाकथित बुद्धिजीवियों में शामिल हैं, जिनके बयान या लेखन अक्सर देश को तोड़ने वाली शक्तियों के लिए ही चलती रही है। कभी वह छत्तीमसगढ़ के दीन-हीन आदिवासियों का खून बहाने वाले माओवादियों के साथ खड़ी हो जाती हैं। तो कभी उन्हें कश्मीर के अलगाववादी नेताओं यासीन मलिक और इफ्तिखार गिलानी के समर्थन में लिखने से भी बाज नहीं आती हैं।
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