पूर्वी लद्दाख संघर्ष के मद्देनजर सशस्त्र बलों ने हथियार, उपकरण की खरीद की : सरकार
रक्षा राज्य मंत्री श्रीपाद नाईक ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में राज्यसभा को चीन का नाम लिये बिना बताया कि सशस्त्र बल भारत के ‘‘उत्तरी विरोधियों’’ द्वारा उत्पन्न संभावित खतरों को विफल करने के लिए भौगोलिक परिस्थितियों एवं मौसम के अनुरूप उपकरण खरीद रहे हैं।
नयी दिल्ली। सरकार ने सोमवार को कहा कि सशस्त्र बलों ने पूर्वी लद्दाख सीमा गतिरोध के मद्देनजर युद्धक क्षमताओं को बढ़ाने के लिए कुछ हथियारों एवं उपकरणों की आपात खरीद की है। रक्षा राज्य मंत्री श्रीपाद नाईक ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में राज्यसभा को चीन का नाम लिये बिना बताया कि सशस्त्र बल भारत के ‘‘उत्तरी विरोधियों’’ द्वारा उत्पन्न संभावित खतरों को विफल करने के लिए भौगोलिक परिस्थितियों एवं मौसम के अनुरूप उपकरण खरीद रहे हैं।
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एक अन्य प्रश्न के लिखित उत्तर में उन्होंने कहा कि चीन के साथ लगने वाली सीमा पर तैनात सशस्त्र बल कर्मी के परिवार को कोई विशेष भत्ता नहीं दिया जाता है। उन्होंने कहा, ‘‘खतरे की अवधारणा और उपलब्ध प्रौद्योगिकी के आधार पर सशस्त्र बल भारत के ‘‘उत्तरी विरोधियों’’ द्वारा उत्पन्न संभावित खतरों को विफल करने के लिए भौगोलिक परिस्थितियों एवं मौसम के अनुरूप उपकरण खरीद रहे हैं।’’ नाईक ने कहा, ‘‘मौजूदा गतिरोध में सशस्त्र बलों ने अपनी युद्धक क्षमताओं को बढ़ाने के लिए कुछ हथियारों एवं उपकरणों की आपात खरीद की।’’
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उन्होंने कहा कि पूर्वी लद्दाख में करीब 10 हजार भारतीय एवं चीनी सैनिक अपने अपने क्षेत्रों में तैनात हैं और लंबे समय तक चलने वाली गतिरोध की स्थिति में अपनी तैनाती पर मजबूती से टिके रहने को तैयार हैं। इस बीच परस्पर रूप से स्वीकार्य समाधान निकालने के लिए राजनयिक एवं सैन्य वार्ता जारी है। उनके अनुसार, पिछले साल मई में पेंगांग झील के पास दोनों पक्षों के सैनिकों के बीच संघर्ष के बाद गतिरोध बना था। एक अन्य प्रश्न के उत्तर में नाईक ने बताया कि पिछले तीन साल में जवानों को दिये जाने वाले भोजन को लेकर सेना मुख्यालय को कोई शिकायत नहीं मिली।
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