पुलिसकर्मियों से बोले अमित शाह- यह थर्ड डिग्री का युग नहीं, जांच के लिए करें वैज्ञानिक तरीके का इस्तेमाल
यह तभी संभव है जब पुलिस आधुनिकीकरण समग्र तरीके किया जाए। यह थर्ड डिग्री का युग और समय नहीं है। हमें जांच के लिए वैज्ञानिक तरीके का इस्तेमाल करना चाहए। टेलीफोन टैपिंग से कोई नतीजा नहीं निकलेगा।
नयी दिल्ली। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बुधवार को कहा कि देश में आपराधिक मामलों में दोषसिद्धि दर ‘बहुत ही दयनीय’ है। उन्होंने कहा कि वर्षों पुरानी तकनीकों जैसे संदिग्ध को थर्ड डिग्री देने और फोन टैपिंग से अपराधों पर नकेल कसने या अपराधियों को दोषी साबित कराने में वांछित नतीजे नहीं मिले हैं। शाह ने यहां पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो (बीपीआरडी) के 49वें स्थापना दिवस कार्यक्रम में पुलिस संगठनों के शीर्ष अधिकारियों को संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि अपराधियों के गुनाह को साबित करने के लिए जांचकर्ताओं के लिए फोरेंसिक सबूतों का इस्तेमाल समय की मांग है। उन्होंने कहा कि उन्होंने बीपीआरडी से राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरों पर तौर तरीका ब्यूरो बनाने की योजना तैयार करने का निर्देश दिया है। ऐसा कहकर उन्होंने भावी चीजों का संकेत दिया।
Addressed the 49th Foundation day celebrations of Bureau of Police Research and Development (BPR&D) in New Delhi. pic.twitter.com/tcLJytlO52
— Amit Shah (@AmitShah) August 28, 2019
उन्होंने कहा कि सरकार उन सभी आपराधिक मामलों में फोरेंसिक सबूत को अनिवार्य बनाने पर विचार कर रही है जिनमें सात या उससे अधिक साल की कैद की सजा का प्रावधान है। गृह मंत्री ने कहा कि उन्होंने अपने मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले थिंक टैंक बीपीआरडी को अपराध दंडप्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और भादंसं में बदलाव लाने के लिए देशव्यापी ‘‘परामर्श प्रक्रिया’’शुरू करने को कहा है। उन्होंने कहा, ‘‘ सभी सुझावों को दस्तावेजों पर लाया जाना चाहिए और सिफारिशों को मंत्रालय के पास भेजा जाना चाहिए। सीआरपीसी और भादंसं में लंबे समय से बदलाव नहीं हुआ है और हमें इस दिशा में आगे बढ़ना चाहिए।पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो गृहमंत्रालय के अतर्गत आता है जिस पर पुलिस बलों के लिए बेहतर कामकाज की नीतियां तैयार करने एवं प्रौद्योगिकीय हल सुझाने की जिम्मेदारी है। वह नीतियों के निर्माण में राष्ट्रीय थिंक टैंक का काम करता है। शाह ने अदालतों में पुलिस जांचों की सफलता दर के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा, ‘‘ दोषसिद्धि की स्थिति वाकई बहुत दयनीय है। मौजूदा समय में यह नहीं चल सकता। उसमें सुधार की जरूरत है और सुधार तभी हो सकता है जब जांच में अपराध विज्ञान साक्ष्य की मदद ली जाए।’’
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उन्होंने कहा, ‘‘ यदि आरोपपत्र के समर्थन में अपराध विज्ञान साक्ष्य होते हैं तब न्यायाधीश और बचाव पक्ष के वकील के पास ज्यादा विकल्प नहीं होते हैं। ऐसे में अपने आप ही दोषसिद्धि की दर सुधरेगी।’’ शाह ने कहा, ‘‘ यह बहुत जरूरी है कि पुलिस अपराधियों और अपराध मानसिकता वाले लोगों से चार कदम आगे रहे। पुलिस को पीछे नहीं रहना चाहिए। यह तभी संभव है जब पुलिस आधुनिकीकरण समग्र तरीके किया जाए। यह थर्ड डिग्री का युग और समय नहीं है। हमें जांच के लिए वैज्ञानिक तरीके का इस्तेमाल करना चाहए। टेलीफोन टैपिंग से कोई नतीजा नहीं निकलेगा।’’ उन्होंने पुलिस जांच में अपराध विज्ञान के बारे में विस्तार से बात की और कहा कि उनकी सरकार की इस विषय पर एक योजना है। उन्होंने कहा, ‘‘ राष्ट्रीय स्तर पर एक पुलिस एवं राष्ट्रीय अपराध विज्ञान विश्वविद्यालय खोला जाएगा। उसके संबंधित कॉलेज हर राज्य में होंगे और कक्षा बारहवीं के बाद यदि कोई पुलिस या सीएपीएफ में करियर बनाने का निर्णय लेता है तो हम यह सुनिश्चित करे कि शुरू में ही ऐसे विद्यार्थियों का प्रशिक्षण हो जाए।’’
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