आरक्षण विधेयक के साथ खड़े हुए अधिकत्तर दल, सरकार पर कसे खूब तंज भी
सामान्य वर्गो के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को 10 प्रतिशत आरक्षण के संविधान संशोधन विधेयक पर तमाम राजनीतिक दलों ने अपना समर्थन दिया।
नयी दिल्ली। सामान्य वर्गों के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने संबंधी संविधान संशोधन विधेयक का कांग्रेस सहित विभिन्न राजनीतिक दलों ने मंगलवार को समर्थन किया। हालांकि विपक्षी दलों ने इसे लोकसभा चुनाव के मद्देनजर जल्दबाजी में की गयी कवायद करार देते हुए कहा कि इसमें कानूनी त्रुटियां हैं। संविधान 124वां संशोधन विधेयक पर चर्चा की शुरूआत करते हुए कांग्रेस सदस्य के वी थामस ने कहा कि कल केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला किया और 48 घंटे के अंदर इसे सदन में चर्चा के लिये लाया गया । उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी विधेयक की अवधारणा का समर्थन करती है।
उन्होंने कहा कि यह महत्वपूर्ण विधेयक है जिसका आर्थिक एवं सामाजिक परिदृश्य पर दूरगामी प्रभाव पड़ेगा । इसे जल्दबाजी में पेश करने से अव्यवस्था की स्थिति पैदा हो सकती है। इसे ‘तमाशा’ नहीं बनने देना चाहिए। उन्होंने कहा कि 1991 में तब की नरसिंह राव की सरकार ने ऐसा एक प्रयास किया था लेकिन यह उच्चतम न्यायालय में नहीं टिक पाया। कांग्रेस नेता ने कहा कि इसे देश के 50 प्रतिशत राज्यों में स्वीकृति की जरूरत होगी, और सरकार के पास तीन महीने का समय बचा है, तो इस अवधि में क्या सभी प्रक्रियाएं पूरी होंगी।
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उन्होंने कहा कि देश ने नोटबंदी को देखा है, जब प्रधानमंत्री ने कहा था कि यह आर्थिक कल्याण, फर्जी मुद्रा पर लगाम लगाने से जुड़ा है । लेकिन आज की स्थिति क्या है, सामने है। उन्होंने कहा कि सरकार ने कानूनी पहलुओं को ध्यान में नहीं रखा है। थामस ने कहा कि विधेयक में रोजगार के संबंध में आरक्षण प्रावधान का प्रस्ताव किया गया है । सरकार ने कहा था कि हर साल दो करोड़ नौकरियां सृजित की जायेंगी। लेकिन रोजगार सृजन की स्थिति बेहद खराब है। एक रिपोर्ट के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार की सबसे अधिक कमी का सामना करना पड़ा है।
सामाजिक न्याय एवं अधकारिता मंत्री थावर चंद गहलोह ने संविधान संशोधन विधेयक को ‘सबका साथ, सबका विकास’ की दिशा में अहम कदम करार देते हुए कहा कि यह एक ऐतिहासिक कदम है जिससे समाज में सामाजिक समरसता एवं समता का माहौल कायम होगा। उन्होंने कहा कि इसमें शब्द कम हैं लेकिन इसका प्रभाव व्यापक है। अन्नाद्रमुक के एम थम्बिदुरै ने कहा कि यह विधेयक आगे जाकर उच्चतम न्यायालय में अटक सकता है और इसके लागू होने के बाद आय प्रमाणपत्र को लेकर भ्रष्टाचार भी बढ़ेगा। तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा कि हम इस आशा के साथ विधेयक का समर्थन करते हैं कि सरकार बेरोजगार युवाओं की ओर भी ध्यान देगी। बेरोजगारी के विषय पर सदन में विस्तृत चर्चा होनी चाहिए।
FM Arun Jaitley in Lok Sabha: This reservation bill ensures 'sabka saath, sabka vikas'. It is a move for equality, will enable social upliftment. pic.twitter.com/Eb81Yk840K
— ANI (@ANI) January 8, 2019
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उन्होंने कहा कि चुनाव में कुछ ही महीने बचे हैं, ऐसे में हम जानना चाहते हैं कि यह विधेयक बेरोजगार युवाओं के लिए लाया गया है या 2019 के लोकसभा चुनावों को प्रभावित करने के लिहाज से राजनीतिक जुमलेबाजी है। सरकार को सरकारी और निजी क्षेत्र की नौकरियों पर श्वेतपत्र जारी करना चाहिए। बंदोपाध्याय ने कहा कि सरकार को महिला आरक्षण विधेयक भी लाना चाहिए। केंद्रीय मंत्री एवं लोजपा नेता राम विलास पासवान ने संविधान संशोधन विधेयक लाने के सरकार के कदम का स्वागत करते हुए मंगलवार को कहा कि विधेयक को संविधान की नौवीं अनुसूची में डाला जाना चाहिए ताकि यह न्यायिक समीक्षा के दायरे से बाहर हो जाए ।
शिवसेना के आनंदराव अडसुल ने कहा कि पार्टी संस्थापक दिवंगत बाला साहब ठाकरे के समय से हमारी पार्टी जाति, धर्म के अलावा आर्थिक दुर्बलता के आधार पर आरक्षण की बात करती रही है। उन्होंने यह भी कहा कि विधेयक को लाने का उद्देश्य अच्छा है और देर आया, दुरुस्त आया फैसला है लेकिन यह सवाल भी उठता है कि इसे लाने में सरकार को साढ़े चार साल क्यों लग गये? ऐसा कहीं आगामी लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखकर तो नहीं किया गया। तेलंगाना राष्ट्र समिति के एपी जितेंद्र रेड्डी ने सरकार के कदम का स्वागत किया।
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